महारानी वसुंधरा सिधिया साहिबा आपकी यह केसी स्वराज की संकल्प यात्रा है जो
आप स्वराज की सभी हकीक़तें भूल गयी है ,,,महारानी साहिबा राजस्थान में आप
स्वराज स्थापित करने के लियें सोतो हों को जगाने के लियें यात्राएं कर रही
है लेकिन स्वराज के मूल सिद्धांत पर आप खुद सो रही है ...आप की यात्रा एक
हफ्ते से कोटा सम्भाग यानी हाडोती सम्भाग में चल रही है .....कोटा के वकील
... कोटा की जनता .... कोटा सम्भाग के गरीब और पीड़ित लोग ... कोटा में
न्यायिक मामलों में स्वराज स्थापित करने की मांग को लेकर क्रमिक अनशन पर है
कोटा के वकील कोटा सम्भाग के लोगों के लियें सस्ते त्वरित न्याय की मांग
को लेकर बहत्तर दिन से आन्दोलन पर है आप को इस आन्दोलन की जानकारी है आपको
यह भी पता है के कोटा में राजस्थान हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग
वाजिब है व्यवहारिक है और इसके लियेंह केन्द्रीय कानून मंत्री ने भी सशर्त
स्वीक्रति देने का आश्वासन दिया है ...आपके विपक्ष नेता होने के दोरान इस
सरकार ने कोटा में राजस्व मंडल की डबल बेंच और किराये मामलो में विश्सिह्थ
ट्रिब्यूनल खोलने की घोषणा की थी ..ना आप इन घोषणाओं को पूरा करवाने के लिए
आगे बढ़ी ना ही आपकी पार्टी ने कुछ किया ..अब जब कोटा में वकील इन मांगों
को लेकर जनता से समर्थन प्राप्त कर आन्दोलन कर रहे है तब अगर आप हाडोती के
दोरे के दोरान स्वराज संकल्प यात्राओं की जनसभाओ में कोटा में हाईकोर्ट
आन्दोलन ..राजस्व मंडल की डबल बेंच स्थापित करने की मांग पर कुछ ना बोले तो
यह यहाँ की जनता और वकीलों के साथ धोखा नहीं तो और क्या है आप विपक्ष में
है हाडोती की लाडली है आप हाडोती से सांसद रहकर केंद्र में केबिनेट मंत्री
रही है आप हाडोती से विधायक रहकर मुख्यमंत्री रही है वर्तमान में आप भाजपा
की प्रदेश अध्यक्ष और भावी मुख्यमंत्री बन्ने की कोशिशों में है ऐसे में
हाडोती यात्रा के दोरान कोटा प्रवास के दोरान आपका स्वराज संकल्प होना
चाहिए था आप कोटा के वकीलों के धरना स्थल पर अदालत परिसर आतीं उन्हें
आश्वस्त करती उनके आन्दोलन को समर्थन करती तब लगता के आप राजनीति नहीं कर
रही है आप सही में स्वराज संकल्प की यात्रा कर रही है लेकिन आपने कोटा के
वकीलों कोटा सम्भाग की जनता हाडोती के किसानों के इस दर्द को मिटाने के
लियें एक सभा में भी मुद्दा नहीं उठाया है अब केसे मान ले के आप स्वराज का
संकल्प लेकर बेठी है ......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 अप्रैल 2013
उठो ओरिजनल राष्ट्रभक्ति जरा दिखाओ तो सही दिल्ली पर कब्जा कर चीन को या तो माफ़ी मांगने पर मजबूर करो या फिर उसे नेस्तनाबूत कर दो
अपनी ही आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा एक देश चीन हमारी सीमाओं पर आकर हमे ललकारता है और हमारे देश के प्रधानमन्त्री जिनके हाथ में परमाणु बम का रिमोट हमारे देश की जनता ने दिया है वोह विश्व को दिखाने के लियें इस कथित हमले का जवाब तक नहीं देते है ऐसे में क्या हमारे देश में राष्ट्रभक्ति बची है क्या हमारे देश की सरकारे पक्ष विपक्ष देश की सुरक्षा और अस्तित्व के प्रति गंभीर है बस मुझे प्रधानमन्त्री बना दो ...मेरी पार्टी की सरकार बना दो .यह हिन्दू है यह मुसलमान है में राष्ट्र भक्त हूँ मेरी जाती मेरे धर्म के ही लोग राष्ट्रभक्त है इसी काल्पनिक लड़ाए में हम जुटे है खुद अपने अपन को कथित रूप से देशभक्त राष्ट्रभक्त कहलाने का बुखार हमे चदा है देश के लियें देश की एकता अखंडता के लियें हम या हमारे मजहब के लोग दो कदम आगे नहीं चले है और हम कहते है के हम राष्ट्रभक्त है आज चीन के खिलाफ देश की जनता को देश के पक्ष विपक्ष को एक जुट होकर संसद हो चाहे प्रधानमन्त्री भवन चाहे राष्ट्रपति भवन हो उसका घेराव करके उन्हें मजबूर करना चाहिए के चीन को उसकी हरकत का मुंह तोड़ जवाब दिया जाए और अगर सरकार नहीं मानती है तो मोदी जी ..सुम्ब्न्यम स्वामी जी या जो भी सो कोल्ड देश भक्त खुद को कहते है आओ चलो उठो संसद पर ..प्रधानमन्त्री भवन पर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करो ..परमाणु बम का रिमोट हाथ में लोग और चीन को पाकिस्तान को सबक सिखाओ लेकिन ऐसा आप लोग नहीं करोगे आप तो देश के बर्बाद होने का केवल हर चीज़ की वोटो से जोड़ कर मार्केटिंग करने का इन्तिज़ार करोगे बताओं गद्दार कोन .........आज देश को एक क्रान्ति की जरूरत है एक लड़ाई की जरूरत है कमजोर लरजते गुलाम हाथों से देश के परमाणु बम का रिमोट छुड़ाने की जरूरत है इन हालातों में अगर इसके लियें हमें चुनाव का इन्तिज़ार किया तो जनाब तब तक तो देश बर्बाद हो जाएगा इसलियें सो कोल्ड राष्ट्रभक्तो उठो ओरिजनल राष्ट्रभक्त बनो और इस देश को बचाओ ....इस देश की तरफ टेडी निगाह देखने वाले को नेस्त नाबूत करके विश्वस्तर पर अपनी ताकत दिखाओ वरना घरों में गलियों में तो कुत्ते भी शेर होते है जो कभी हिन्दू मुस्लिम के नाम पर दंगे भड़काते है वोह चाहे हिन्दू हो चाहे मुसलमान हो खुद को देश भक्त कहता है तो लानत है ऐसी देशभक्ति पर उठो ओरिजनल राष्ट्रभक्ति जरा दिखाओ तो सही दिल्ली पर कब्जा कर चीन को या तो माफ़ी मांगने पर मजबूर करो या फिर उसे नेस्तनाबूत कर दो देश के सो कोल्ड राष्ट्रभक्तो क्या आप ऐसा कर सकेंगे अगर हाँ तो में दिली में ही संसद के आपका इन्तिज़ार कर रहा हूँ या जहाँ बुलाओ वहां आने को तय्यार हूँ ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
हाल ही में जजों के अनुशासन के लियें एक बेतुका फेसला
हाल ही में जजों के अनुशासन के लियें एक बेतुका फेसला जिसमे वकीलों की पार्टियों में जजों को जाने से पाबन्द किया था बदल दिया गया है ..दोस्तों इस बेतुके फेसले को हास्यास्पद ही कहा जाने लगा था सभी जानते है के वकील और जजों में सम्बन्ध है सभी अपने कर्तव्य निभाते है और इमानदारी से निभाना भी चाहिए लेकिन एक दुसरे से अलग अलग ना मुमकिन सा लगता है ...सभी जानते है के जज बन्ने के लियें पहली सीडी वकील बनना होती है और एक जज जब वकील रहता है तो वोह किसी का दोस्त किसी का जूनियर किसी का सीनियर होता है और एक दुसरे से प्र्गाद रिश्ते हो जाते है ऐसे में शादी ब्याह पार्टियों में अगर नहीं आये जाए तो लानत ही कही जाएगी ..वेसे दोस्तों जजों के लियें और दुसरे कानून है राजस्थान में तो जजों के लियें कितना सामान खरीदोगे ...इसकी सुचना अधिकारीयों को डोज घर का कोई फंक्शन होगा तो कितने रूपये तक की गिफ्ट ले सकेंगे सब कुछ लिखा है पोस्टिंग किसका कहाँ होगा लिखा है कोण जज केसा कम करेगा लिखा है लेकिन किताबों में लिखा है भाई ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
दोस्तों राहुल बाबा या तो कोंग्रेस में नए नए है या फिर वोह अभी कोंग्रेस संगठन को खुद के युवराज होने की ताकत से आंकते है
दोस्तों राहुल बाबा या तो कोंग्रेस में नए नए है या फिर वोह अभी कोंग्रेस संगठन को खुद के युवराज होने की ताकत से आंकते है ..खुद युवराज संगठन की ताकत को कमजोर साबित कर चुके है राजस्थान में मुख्यमंत्री और मंत्री को हटाने की जिद लेकर चले थे खुद को उनके आगे शरणं गच्छामि होना पढ़ा ..दोस्तों अब राहुल बाबा नये नये मुल्ला बने है वोह कहते है के संगठन के लोग चुनाव नहीं लड़ सकेंगे लेकिन दोस्तों संगठन कितना कमजोर है उन्हें पता नहीं जहाँ जहाँ कोंग्रेस की सत्ता है वहां वहां का हाल देखो तो स्पष्ट हो जायेगा के किस तरह से कोंग्रेस के जिला अध्यक्ष या तो सत्ता के इशारे पर नाचते है या फिर मंत्रियों से अपना काम नहीं करा पाने के कारन क्रोधित होते है मंत्री किसी भी संथान के कार्यकर्ता की नहीं सुनते खुद प्रदेश अध्यक्ष तक की मंत्री लोग नहीं सुनते तो जनाब ऐसे कमजोर संगठन में कोई क्यूँ रहेगा जिसमे बस केवल और केवल युवराज या फिर कुछ गिनती के लोगों की बात चलती हो और जो कोंग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता है जमीनी पदाधिकारी है उनकी तो कोंग्रेस की सत्ता में बेठे मंत्री मुख्यमंत्री सुनते तक नहीं यहाँ तक के कोंग्रेस कार्यालयों में जाने और कार्यकर्ताओं से मिलने में भी मंत्रियों को शर्म आती है ...... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है
इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है
इस दुनिया में सदियों से आशिक का ये किस्सा है
दर्दे-दिल की आग को कोई सागर क्या बुझाएगा
दिलजला तो मौत के पहलू में जाकर ही बुझता है
हर सितम एक आईना है, तुमको देखूं बार-बार
खूने-जिगर तो तेरी जफा ही पाने को तरसता है
कागज के फूलों की खूशबू भर जाती है आंखों में
तेरे इन पुराने खतों में तेरा साया दिखता है
इश्क के इस दाग का एक बेवफा से रिश्ता है
इस दुनिया में सदियों से आशिक का ये किस्सा है
दर्दे-दिल की आग को कोई सागर क्या बुझाएगा
दिलजला तो मौत के पहलू में जाकर ही बुझता है
हर सितम एक आईना है, तुमको देखूं बार-बार
खूने-जिगर तो तेरी जफा ही पाने को तरसता है
कागज के फूलों की खूशबू भर जाती है आंखों में
तेरे इन पुराने खतों में तेरा साया दिखता है
इस दुनिया में सदियों से आशिक का ये किस्सा है
दर्दे-दिल की आग को कोई सागर क्या बुझाएगा
दिलजला तो मौत के पहलू में जाकर ही बुझता है
हर सितम एक आईना है, तुमको देखूं बार-बार
खूने-जिगर तो तेरी जफा ही पाने को तरसता है
कागज के फूलों की खूशबू भर जाती है आंखों में
तेरे इन पुराने खतों में तेरा साया दिखता है
जहान भर की बेचैनी,
जहान भर की बेचैनी,
कुछेक अधूरे सफे
कई अलसाई राते
और उनींदी सुबहें
शुभ संकेत हैं
मैंने नहीं लिखी है कई दिनों से
एक भी कविता..................
कुछेक अधूरे सफे
कई अलसाई राते
और उनींदी सुबहें
शुभ संकेत हैं
मैंने नहीं लिखी है कई दिनों से
एक भी कविता..................
तुमको ही अपने जीवन के
तुमको ही अपने जीवन के, नस नस में बहता ज्वार कहा,
मेरे मन की सीपी में, तुम ही थे पहला प्यार कहा ,
एकाकी मन के आँगन में, बरसो बन कर मेघ घनेरे ...
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ... !!अनु!!
मेरे मन की सीपी में, तुम ही थे पहला प्यार कहा ,
एकाकी मन के आँगन में, बरसो बन कर मेघ घनेरे ...
तुमको ही बस ढूंढ़ रहा मन, तुम बिन मेरे सपने कोरे ... !!अनु!!
हर एक नज़र से वफा की उम्मीद मत रखना ,
हर एक नज़र से वफा की उम्मीद मत रखना ,
प्यार से देखना कहीं उसकी आदत ए शुमार न हो |
प्यार से देखना कहीं उसकी आदत ए शुमार न हो |
रात ढलने को है ,अब चलना चाहिए
Maya Shankar Jha रात ढलने को है ,अब चलना चाहिए .....
ख़्वाबों में आकर वो बड़ा सताते
भोले दिल को कभी हसाते कभी रुलाते
उनकी भी हदें है हमारी भी हदें है
हदों ही हदों में कदम लडखडाते ......
ख़्वाबों में आकर वो बड़ा सताते
भोले दिल को कभी हसाते कभी रुलाते
उनकी भी हदें है हमारी भी हदें है
हदों ही हदों में कदम लडखडाते ......
33 लाख लेकर कहा बनवा देंगे एमबीबीएस, जब कॉलेज पहुंचे तो खुला राज
कोटा/ सुकेत। भोपाल और इंदौर के मेडिकल कॉलेज में मैनेजमेंट
कोटे में एडमिशन दिलाने के नाम पर 33 लाख रुपए की ठगी के मामले में पुलिस
ने इंदौर के दो लोगों विवेक राजावत व अयाज खान को गिरफ्तार किया है।
इन्होंने भोपाल के चिरायु मेडिकल कॉलेज व इंडेक्स कॉलेज इंदौर में
सवाईमाधोपुर के पटवारी के बेटे एडमिशन कराने के नाम पर 33 लाख रुपए लिए थे।
विवेक ने एमए बीएड कर रखी है, जबकि अयाज इंदौर से इंजीनियरिंग कर रहा
है। एसपी विकास पाठक ने बताया कि पटवारी राजेश बैरवा (सवाईमाधोपुर) ने अपने
बेटे को मैनेजमेंट कोटे से चिरायु मेडिकल कॉलेज भोपाल व इंडेक्स कॉलेज
इन्दौर से एमबीबीएस कराने के लिए सातलखेड़ी निवासी कमलेश बैरवा से संपर्क
किया।
कमलेश के साथ इंदौर के अयाज खां, विवेक शर्मा, माला फाटक निवासी
सुशील श्रीवास्तव, गोल्याहेड़ी के दीपक शर्मा, आरके त्रिपाठी और तीन-चार
युवकों ने मिलकर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलाने के लिए नाम पर 33 लाख रुपए
हड़प लिए।
आरोपियों ने कहा कि तुम्हारे बेटे का एडमिशन चिरायु मेडिकल कॉलेज
भोपाल में हो गया है। वे बेटे को लेकर कॉलेज पहुंचे तो कॉलेज प्रशासन ने
एडमिशन होने से मना कर दिया। राजेश बैरवा ने आरोपियों से संपर्क किया तो
उन्होंने कहा कि आपके बेटे का एडमिशन इंडेक्स कॉलेज इन्दौर में करवा देंगे।
उन्होंने इंडेक्स कॉलेज में जाकर जानकारी की तो पता लगा कि बेटे का
एडमिशन यहां भी नहीं हुआ। पटवारी को लगा कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है तो
सुकेत थाने में मामला दर्ज कराया।
3 लाख एडवांस लेकर देता था नियुक्ति की गारंटी, अब रद्द हो सकती है लिपिक भर्ती परीक्षा
अजमेर। अजमेर के जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा आयोजित की गई
स्टेनो व लिपिक भर्ती परीक्षा में छह-छह लाख रुपए में पद बेचे जा रहे थे।
एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच में दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों के नाम सामने
आ चुके हैं जिन्होंने पद के लिए मोटी रकम दी, इनमें से सात अजमेर के हैं।
जांच में खुलासा हुआ है कि तीन तीन लाख रुपए एडवांस ले लिए गए थे,
बाकी की रकम नियुक्ति की अंतिम सिफारिश के बाद लिए जाने तय हुए थे। आरोपी
वकील अभ्यर्थियों से एडवांस लेने के बाद उन्हें नियुक्ति की गारंटी देता
था।
एसीबी के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अदालत में नाजिर राजेश शर्मा और
उसके लिपिक भाई हितेश शर्मा, दलाल अब्दुल रज्जाक और वकील हेमराज कानावत से
की गई पूछताछ में बुधवार तक ऐसे दस अभ्यर्थियों के नाम सामने आ गए थे
जिन्होंने भर्ती के लिए रिश्वत की मोटी रकम दी थी। चारों आरोपियों को एसीबी
रिमांड पर लेने के बाद गहन पूछताछ के लिए जयपुर ले गई।
वहां मुख्यालय पर इनसे अलग-अलग पूछताछ कर क्रास चैक किया जा रहा है।
अब तक की पूछताछ में राजेश शर्मा और उसके भाई हितेश शर्मा ने पंद्रह और
अभ्यर्थियों के नाम उगले हैं। इन्होंने एसीबी को जानकारी दी कि भर्ती के
लिए सभी अभ्यर्थियों से तीन तीन लाख रुपए एडवांस लिए गए थे, बाकी की रकम
नियुक्ति की सिफारिश के समय ली जानी थी।
यहां लड़की मांगती है दहेज में बिजली, इसलिए लड़के बैठे हैं कुंवारे
ये हकीकत है कोटा शहर से कुछ दूर गिरधरपुरा तालाब भील बस्ती गांव की ।
जहां बिजली नहीं होने से लड़के कुंवारे बैठे हैं। जिन 6 लड़के-लड़कियों की
सगाई गांव में बिजली आने की शर्त पर हुई थी, वे रिश्ते भी आखातीज (अक्षय
तृतीया) तक बिजली नहीं आई तो टूट जाएंगे, जबकि बस्ती में बिजली लाइन डालने
के लिए राशि स्वीकृत हो चुकी है।
लाड़पुरा पंचायत समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में डोल्या ग्राम पंचायत के सरपंच नंदलाल मेघवाल ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तालाब बस्ती गांव के 6 लड़के-लड़कियों के रिश्ते उन्होंने दूसरे गांव के परिवारों से यह भरोसा दिलाकर कराए थे कि आखातीज तक बिजली आ जाएगी। आखातीज पर शादियों का अबूझ सावा होता है और अब 17 दिन ही बाकी हैं।
सरपंच का कहना था कि तालाब बस्ती गांव में मांडा योजना के तहत बिजली की लाइन डालने के लिए 2 लाख 44 हजार रुपए मंजूर हो चुके हैं, लेकिन बिजली महकमे ने आज तक लाइन नहीं डाली। अगर आखातीज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची तो रिश्ते टूट जाएंगे।
भील परिवारों में आंटे-साटे विवाह का भी चलन है। मसलन, जिस परिवार में दूसरा परिवार अपनी लड़की दे रहा है तो लड़के के परिवार की लड़की का रिश्ता भी उस परिवार में हो जाता है। तालाब बस्ती गांव में बिजली नहीं होने के कारण न सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी कुंवारी बैठी हैं। बैठक की अध्यक्षता कर रही लाड़पुरा पंचायत समिति की प्रधान कांति गुर्जर ने इस मामले में जयपुर डिस्कॉम के इंजीनियर से जवाब-तलब किया।
लाड़पुरा पंचायत समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में डोल्या ग्राम पंचायत के सरपंच नंदलाल मेघवाल ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि तालाब बस्ती गांव के 6 लड़के-लड़कियों के रिश्ते उन्होंने दूसरे गांव के परिवारों से यह भरोसा दिलाकर कराए थे कि आखातीज तक बिजली आ जाएगी। आखातीज पर शादियों का अबूझ सावा होता है और अब 17 दिन ही बाकी हैं।
सरपंच का कहना था कि तालाब बस्ती गांव में मांडा योजना के तहत बिजली की लाइन डालने के लिए 2 लाख 44 हजार रुपए मंजूर हो चुके हैं, लेकिन बिजली महकमे ने आज तक लाइन नहीं डाली। अगर आखातीज तक गांव में बिजली नहीं पहुंची तो रिश्ते टूट जाएंगे।
भील परिवारों में आंटे-साटे विवाह का भी चलन है। मसलन, जिस परिवार में दूसरा परिवार अपनी लड़की दे रहा है तो लड़के के परिवार की लड़की का रिश्ता भी उस परिवार में हो जाता है। तालाब बस्ती गांव में बिजली नहीं होने के कारण न सिर्फ लड़के बल्कि लड़कियां भी कुंवारी बैठी हैं। बैठक की अध्यक्षता कर रही लाड़पुरा पंचायत समिति की प्रधान कांति गुर्जर ने इस मामले में जयपुर डिस्कॉम के इंजीनियर से जवाब-तलब किया।
जब पुलिस को देख भागी पुलिस,मंत्री जी की सिफारिश भी नहीं चली फिर जानिए क्या सब हुआ
मंत्री से सिफारिश के बाद भी महिला प्रोफेसर की सफारी का चालान कट ही गया। अचानक कार्रवाई से यूनिवर्सिटी परिसर में अफरा-तफरी मच गई। कुछ वाहन चालकों ने पुलिस से बचकर गाड़ी भगा ले जाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस टीमों ने उन्हें गाडिय़ों से पीछाकर पकड़ा और चालान काटे। ट्रैफिक डीसीपी सुबह करीब 10 बजे लाव-लश्कर लेकर यहां पहुंचीं। उन्होने एडिशनल डीसीपी (पूर्व) योगेश दाधीच को भी अभियान में शामिल किया। इसके बाद गांधी नगर, बजाज नगर व मालवीय नगर थानाप्रभारी को भी मय जाब्ता यूनिवर्सिटी गेट पर बुला लिया। काफी संख्या में पुलिस जाब्ता देखकर वाहन चालक पहले कुछ समझ नहीं पाए, लेकिन यूनिवर्सिटी गेट के नजदीक पहुंचने पर पुलिस उन्हें पकडऩे लगी, तो वे इधर-उधर भागने लगे।
दिल्ली में एक बार फिर 5 साल की बच्ची पर हमला, टॉयलेट से मिली जख्मी मासूम!
दिल्ली। दिल्ली के बदरपुर इलाके से जख्मी हालत में 5 साल की एक
बच्ची को टॉयलेट से बरामद किया गया है। उसे एम्स के ट्रामा सेंटर में
भर्ती किया गया है। बच्ची के गले पर वार किया गया है। फिलहाल उसकी हालत
गंभीर बनी हुई है.
पुलिस को बच्ची के रेप का शक है, हालांकि मेडिकल जांच के बाद ही उसकी
पुष्टि होगी। पुलिस ने पूछताछ के लिए 22 लोगों को गिरफ्तार किया है।
मोदी ने बदले तेवर, कहा सिर्फ हिंदुओं का नेता नहीं हूं!
हरिद्वार. गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ) ने हरिद्वार में संतों के बीच कहा कि वे सिर्फ हिंदुओं के नहीं सबके नेता हैं। मोदी ) ने
कहा कि वह संतों के बीच आकर धन्य हो गए हैं। उन्होंने कहा कि रामदेव देश
का इलाज कर रहे हैं और राजबाला की दोषी सरकार उन्हें परेशान कर रही है।
मोदी ने रामदेव को अफना भाई बताया और कहा कि उनकी कपालभाति से कपाल भ्रांति
दूर होंगी। मोदी ने कहा कि वह किसी प्लानिंग के तहत देश भर में नहीं घूम
रहे हैं।
मोदी ) ने
यूपी या केंद्र सरकार का नाम लिए बिना कहा कि वे जन्म से हर बार कुंभ मेले
में जाते हैं लेकिन इस बार कुंभ में नहीं पहुंचने का दर्द उन्हें आज भी
है। लेकिन इस बार संतों के बीच बैठकर कुछ पीड़ा कम हुई है। मोदी ने कहा कि
आज तक किसी भी संत ने मुझसे या किसी सरकार से कुछ नहीं मांगा है। संत देते
ही हैं लेते कुछ नहीं है। संतों ने मोदी को पीएम बनाने की भी मांग की।
सरबजीत पर जानलेवा हमला, सिर व पेट पर लगे गहरे घाव
लाहौर/नई दिल्ली. कोट लखपत जेल में चमेल सिंह की हत्या के बाद
अब सरबजीत पर जानलेवा हमला किया गया है। सरबजीत की हालत बेहद गंभीर है और
वह कोमा में चला गया। शुक्रवार को पांच कैदियों ने उस पर ईंटों व ब्लेड से
हमला किया। सरबजीत को सिर व पेट पर गहरे घाव हैं। उसे जिन्ना अस्पताल के
वेंटिलेटर पर रखा गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने देर रात ट्वीट किया कि
उसकी हालत बेहद गंभीर है। हमला उस समय हुआ जब सरबजीत को एक कोठरी से दूसरे
में ला जाया जा रहा था। हमलावरों में से दो की पहचान हो गई है। इनके नाम
मुदस्सर और आमिर हैं। उनसे पूछताछ की जा रही है। पाक सरकार ने इस मामले में
दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। कोट लखपत जेल में करीब 17000 कैदी
हैं। जबकि उसकी क्षमता 4000 कैदियों की है।
लाहौर बम विस्फोट मामले में बंद है सरबजीत
सरबजीत को लाहौर बम विस्फोट मामले में मंजीत सिंह मानकर फांसी की सजा
की सजा सुनाई गई है। उसकी रिहाई के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रयास चल रहे
हैं। उसके घरवालों का कहना है कि वह भटकते हुए पाकिस्तान सीमा में प्रवेश
कर गया था।
मेरी कोशिश थी हंसने की तू फिर से रुला गयी है ,
मेरी कोशिश थी हंसने की तू फिर से रुला गयी है ,
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
तू हाथ छुडा चली गयी , मजबूरी है कहके ,
मैं मुडके आउंगी , मुझे चली गयी ये कहके
मैं सच मान बैठ , पर वो लारा ला गयी है !
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
ये जिंदगी कांटो सी इसे ऐसे ही रहना है ,,
किसीने हमे समझने का नहीं जोखिम लेना है !
हमे दुखड़े सहने की अब आदत लगा ली है
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
अब जिद है अपनी भी किसी को अपना कहना नहीं
जो छोड़ गयी मझदार में उनका नाम भी लेना नहीं
अब आंसू रुकते नहीं , कैसा रोग लगा गयी है
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
मेरी कोशिश थी हंसने की तू फिर से रुला गयी है ,
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
तू हाथ छुडा चली गयी , मजबूरी है कहके ,
मैं मुडके आउंगी , मुझे चली गयी ये कहके
मैं सच मान बैठ , पर वो लारा ला गयी है !
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
ये जिंदगी कांटो सी इसे ऐसे ही रहना है ,,
किसीने हमे समझने का नहीं जोखिम लेना है !
हमे दुखड़े सहने की अब आदत लगा ली है
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
अब जिद है अपनी भी किसी को अपना कहना नहीं
जो छोड़ गयी मझदार में उनका नाम भी लेना नहीं
अब आंसू रुकते नहीं , कैसा रोग लगा गयी है
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
तू हाथ छुडा चली गयी , मजबूरी है कहके ,
मैं मुडके आउंगी , मुझे चली गयी ये कहके
मैं सच मान बैठ , पर वो लारा ला गयी है !
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
ये जिंदगी कांटो सी इसे ऐसे ही रहना है ,,
किसीने हमे समझने का नहीं जोखिम लेना है !
हमे दुखड़े सहने की अब आदत लगा ली है
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
अब जिद है अपनी भी किसी को अपना कहना नहीं
जो छोड़ गयी मझदार में उनका नाम भी लेना नहीं
अब आंसू रुकते नहीं , कैसा रोग लगा गयी है
मैं तो पहले ही अकेला था तू अहसास करा गयी है !
अँधेरे चारों तरफ साएँ-साएँ करने लगे
अँधेरे चारों तरफ साएँ-साएँ करने लगे
चराग़ हाथ उठा कर दुआएं करने लगे|
सलीक़ा जिनको सिखाया था, हमने चलने का
वो लोग आज हमें दाएं-बाएं करने लगे |
लहुलुहान पड़ा था ज़मीं पे एक सूरज
परिंदे, अपने परों से हवाएं करने लगे|
ज़मीं पर आ गए आंखों से टूटकर आंसू
बुरी ख़बर है, फ़रिश्ते खताएं करने लगे|
तरक्की कर गए बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएं करने लगे|
अज़ीब रंग था मज़लिस का, ख़ूब महफ़िल थी
सफेदपोश उठे ....काएं-काएं करने लगे |
-------------------------{राहत इन्दौरी}
अँधेरे चारों तरफ साएँ-साएँ करने लगे
चराग़ हाथ उठा कर दुआएं करने लगे|
सलीक़ा जिनको सिखाया था, हमने चलने का
वो लोग आज हमें दाएं-बाएं करने लगे |
लहुलुहान पड़ा था ज़मीं पे एक सूरज
परिंदे, अपने परों से हवाएं करने लगे|
ज़मीं पर आ गए आंखों से टूटकर आंसू
बुरी ख़बर है, फ़रिश्ते खताएं करने लगे|
तरक्की कर गए बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएं करने लगे|
अज़ीब रंग था मज़लिस का, ख़ूब महफ़िल थी
सफेदपोश उठे ....काएं-काएं करने लगे |
-------------------------{राहत इन्दौरी}
चराग़ हाथ उठा कर दुआएं करने लगे|
सलीक़ा जिनको सिखाया था, हमने चलने का
वो लोग आज हमें दाएं-बाएं करने लगे |
लहुलुहान पड़ा था ज़मीं पे एक सूरज
परिंदे, अपने परों से हवाएं करने लगे|
ज़मीं पर आ गए आंखों से टूटकर आंसू
बुरी ख़बर है, फ़रिश्ते खताएं करने लगे|
तरक्की कर गए बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएं करने लगे|
अज़ीब रंग था मज़लिस का, ख़ूब महफ़िल थी
सफेदपोश उठे ....काएं-काएं करने लगे |
-------------------------{राहत
मातम चाहत का मना रहा था .......
दोस्तों के आदेश पर कुछ नयी पंक्तियाँ आप सब FB FRNDZ की मोहब्बतों के नाम ...............
मातम चाहत का मना रहा था .......
वो ख़त के पुर्ज़े __उड़ा रहा था ........
अपनी मोहब्बत के मर्सिये को .......
मैं सुन रहा था , वो गा रहा था .........
' इश्क ' को बनाकर _फिर तमाशा ......
' हुस्न ' हँस के ताली बजा रहा था .......
मोहब्बत में निकले सारे उलटे .......
अंदाज़े ' वो ' जो लगा रहा था .......
तेरी शादी का कार्ड मुझको .....
सालगिराह पर रुला रहा था .....
तेरी झलक को तरस रहा हूँ .........
कौन कम्बख़त बता रहा था ?????
मीर -ग़ालिब कल पागल 'शाश्वत'.....
चाहत की गजलें गुनगुना रहा था ....
########### 'शाश्वत '
दोस्तों के आदेश पर कुछ नयी पंक्तियाँ आप सब FB FRNDZ की मोहब्बतों के नाम ...............
मातम चाहत का मना रहा था .......
वो ख़त के पुर्ज़े __उड़ा रहा था ........
अपनी मोहब्बत के मर्सिये को .......
मैं सुन रहा था , वो गा रहा था .........
' इश्क ' को बनाकर _फिर तमाशा ......
' हुस्न ' हँस के ताली बजा रहा था .......
मोहब्बत में निकले सारे उलटे .......
अंदाज़े ' वो ' जो लगा रहा था .......
तेरी शादी का कार्ड मुझको .....
सालगिराह पर रुला रहा था .....
तेरी झलक को तरस रहा हूँ .........
कौन कम्बख़त बता रहा था ?????
मीर -ग़ालिब कल पागल 'शाश्वत'.....
चाहत की गजलें गुनगुना रहा था ....
########### 'शाश्वत '
मातम चाहत का मना रहा था .......
वो ख़त के पुर्ज़े __उड़ा रहा था ........
अपनी मोहब्बत के मर्सिये को .......
मैं सुन रहा था , वो गा रहा था .........
' इश्क ' को बनाकर _फिर तमाशा ......
' हुस्न ' हँस के ताली बजा रहा था .......
मोहब्बत में निकले सारे उलटे .......
अंदाज़े ' वो ' जो लगा रहा था .......
तेरी शादी का कार्ड मुझको .....
सालगिराह पर रुला रहा था .....
तेरी झलक को तरस रहा हूँ .........
कौन कम्बख़त बता रहा था ?????
मीर -ग़ालिब कल पागल 'शाश्वत'.....
चाहत की गजलें गुनगुना रहा था ....
########### 'शाश्वत '
पुरुषों की दुनिया में स्त्री
पुरुषों की दुनिया में स्त्री
.....
पुरुषों के षड़यंत्र से बेख़बर औरतें
रसोई के काम में जुटी रहती हैं
कपड़े धोती हैं झाड़ू-पोंचा लगाती हैं
बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं
आए-गए की आवभगत
बख़ूबी करती हैं स्त्रियां
ये स्त्रियां इतना काम क्यों करती हैं
क्यों नहीं सुबह उठकर आराम से पुरुषों की तरह
चाय की चुस्कियां लेते हुए अख़बार पढ़तीं
दूर तक मॉर्निंग वाक पर क्यों नहीं निकल जातीं
सहेलियों के आने पर
घर से बेपरवाह क्यों नहीं हो जाती हैं स्त्रियां
जैसे हो जाते हैं पुरुष
जब होते हैं अपने मित्रों के संग
ये स्त्रियां क्यों करती हैं घर से इतना प्यार
क्या स्त्रियों ने वह समाचार नहीं पढ़ा
मुम्बई के एक अस्पताल में हुए
आठ हज़ार भ्रूणों के गर्भपात में शामिल थीं
सात हज़ार नौ सौ निन्यानवे लड़कियां
दुनिया के एक करोड़ पिचासी लाख शरणार्थियों
और दो हज़ार विस्थापितों में से
पिचहत्तर फ़ीसदी हैं महिलाएं
हत्या की शिकार महिलाओं में
कितनी ही मारी जाती हैं
अपने ही लोगों के हाथों
ये स्त्रियां क्यों हैं जान कर अनजान
क्यों देती हैं जन्म पुरुषों को
क्यों नहीं लगा देती विराम
इन अनवरत चलने वाले षड़यंत्रों को
क्यों नहीं करतीं वे ऐसा
क्योंकि वे स्त्रियां हैं...
:: वीना करमचन्दानी की कविता... आज वीना जी का जन्मदिन है, इसलिए उन्हें इस कविता के माध्यम से अशेष शुभकामनाएं :
पुरुषों की दुनिया में स्त्री
.....
पुरुषों के षड़यंत्र से बेख़बर औरतें
रसोई के काम में जुटी रहती हैं
कपड़े धोती हैं झाड़ू-पोंचा लगाती हैं
बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं
आए-गए की आवभगत
बख़ूबी करती हैं स्त्रियां
ये स्त्रियां इतना काम क्यों करती हैं
क्यों नहीं सुबह उठकर आराम से पुरुषों की तरह
चाय की चुस्कियां लेते हुए अख़बार पढ़तीं
दूर तक मॉर्निंग वाक पर क्यों नहीं निकल जातीं
सहेलियों के आने पर
घर से बेपरवाह क्यों नहीं हो जाती हैं स्त्रियां
जैसे हो जाते हैं पुरुष
जब होते हैं अपने मित्रों के संग
ये स्त्रियां क्यों करती हैं घर से इतना प्यार
क्या स्त्रियों ने वह समाचार नहीं पढ़ा
मुम्बई के एक अस्पताल में हुए
आठ हज़ार भ्रूणों के गर्भपात में शामिल थीं
सात हज़ार नौ सौ निन्यानवे लड़कियां
दुनिया के एक करोड़ पिचासी लाख शरणार्थियों
और दो हज़ार विस्थापितों में से
पिचहत्तर फ़ीसदी हैं महिलाएं
हत्या की शिकार महिलाओं में
कितनी ही मारी जाती हैं
अपने ही लोगों के हाथों
ये स्त्रियां क्यों हैं जान कर अनजान
क्यों देती हैं जन्म पुरुषों को
क्यों नहीं लगा देती विराम
इन अनवरत चलने वाले षड़यंत्रों को
क्यों नहीं करतीं वे ऐसा
क्योंकि वे स्त्रियां हैं...
:: वीना करमचन्दानी की कविता... आज वीना जी का जन्मदिन है, इसलिए उन्हें इस कविता के माध्यम से अशेष शुभकामनाएं :
.....
पुरुषों के षड़यंत्र से बेख़बर औरतें
रसोई के काम में जुटी रहती हैं
कपड़े धोती हैं झाड़ू-पोंचा लगाती हैं
बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं
आए-गए की आवभगत
बख़ूबी करती हैं स्त्रियां
ये स्त्रियां इतना काम क्यों करती हैं
क्यों नहीं सुबह उठकर आराम से पुरुषों की तरह
चाय की चुस्कियां लेते हुए अख़बार पढ़तीं
दूर तक मॉर्निंग वाक पर क्यों नहीं निकल जातीं
सहेलियों के आने पर
घर से बेपरवाह क्यों नहीं हो जाती हैं स्त्रियां
जैसे हो जाते हैं पुरुष
जब होते हैं अपने मित्रों के संग
ये स्त्रियां क्यों करती हैं घर से इतना प्यार
क्या स्त्रियों ने वह समाचार नहीं पढ़ा
मुम्बई के एक अस्पताल में हुए
आठ हज़ार भ्रूणों के गर्भपात में शामिल थीं
सात हज़ार नौ सौ निन्यानवे लड़कियां
दुनिया के एक करोड़ पिचासी लाख शरणार्थियों
और दो हज़ार विस्थापितों में से
पिचहत्तर फ़ीसदी हैं महिलाएं
हत्या की शिकार महिलाओं में
कितनी ही मारी जाती हैं
अपने ही लोगों के हाथों
ये स्त्रियां क्यों हैं जान कर अनजान
क्यों देती हैं जन्म पुरुषों को
क्यों नहीं लगा देती विराम
इन अनवरत चलने वाले षड़यंत्रों को
क्यों नहीं करतीं वे ऐसा
क्योंकि वे स्त्रियां हैं...
:: वीना करमचन्दानी की कविता... आज वीना जी का जन्मदिन है, इसलिए उन्हें इस कविता के माध्यम से अशेष शुभकामनाएं :
कहानी में ट्विस्ट होना जरुरी है ..... :)
कहानी में ट्विस्ट होना जरुरी है ..... :)
------------------------------ ------------------------------
जिस्म बिकता है
बाजारों में भी .......
उसकी चुकानी
पड़ती है कीमत .......
एक 'इमोशन लेस' 'यूज'
और फिर 'थ्रो'
उसमें वो
बात कहाँ .......
बुझाने गए थे आग
खुद झुलस कर चले आये .....
अब क्या -
अन्दर की सुलगती
आग को
शांत कैसे किया जाये ?
नया दांव -
'इमोशनल' प्रपंच का ,
जिस्म तो जिस्म है ,
आंगन का हो तो
सबसे बेहतर -
कमसिन कौमार्य
समर्पित मन
दों रातें बिस्तर पर
'आत्मसंतुष्टि'
'इमोशन' के साथ 'यूज'
जैसे ईश्वर पा लिया .......
तन शांत
मन शांत
और
जेब भी शांत .......
क्योकि -
कीमत कुछ भी नहीं ,
बस -
मीठे शब्दों का भंडार
जो 'इक्वेलेंट' हैं
'फ्री ऑफ़ कास्ट' के .....
इसलिए -
जिस्म बिकता है
बाजारों में भी
लेकिन -
आँगन के जिस्म की
बात अलग है ......
'इमोशनल ट्रेपिंग' से
'इजली ऐव्लेविल' जो है .......!!!!!!!!!
बहुत डायरेक्ट और बोल्ड लहजा है ना .... लाईक करने में ही लोगों के हाथ
कांप जायेंगे .... इस स्टेटस को डालने का कारन है ... आज जब लोगों को
बलात्कार के खिलाफ जन आन्दोलन में झंडा उठाये देख रही हूँ .... तो कुछ ऐसे
चेहरे भी नजर आ रहे हैं जो कितनी लड़कियों को घूप्प अँधेरे कमरे में
सिसकियाँ लेने के लिए छोड़ चुके हैं ... ये महज सोच नहीं वास्तविकता है ....
बीते कुछ समय में कई बरबादियाँ तो मेरे आँखों के सामने से ही होकर गुजरी
हैं ....हाँ --- मेरी बात से कोई यह मतलब ना निकाले की मैं भी उन्ही
भुक्तभोगियों में से हूँ .... ना .... मैं नहीं हो सकती .... क्योकि मेरे
पास मर्यादा ... संस्कारों .... समझदारी का इतना मजबूत कवच है .... जिसे
तोड़ पाना ... किसी के लिए आसान नहीं ... कम से कम तब तक जब तक मैं उसे खुद
ना उतारू .... और वह होना नहीं |
मैं किसी को नीचा दिखाने के लिए
ये सब नहीं लिख रही .... बल्कि मेरा मकसद बस इतना है ... की ये ‘इमोशनल
ट्रैपीगं’ के पहलु को भी सबके सामने ला सकूँ ....इक नजरिया दे सकूँ
...क्योकि ये भी बलात्कार जैसा ही घिनौना है .... जिसमे मन की आबरू को तार
तार किया जाता है .... जिससे ऐसा दर्द छुट जाता है ... जो ना दिखाया जा
सकता है और ना झेला जा सकता है |
मेरी सभी लोगों से गुजारिश है
.... कम से कम उन प्रतिष्ठित लोगों से भी ....जिनकी वाल से मेरी वाल की
दुरी बहुत ज्यादा है ....जो गलत के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं ....
ये भी एक मुद्दा है .... एक बुराई है ....समाज की ....हो सके तो इसके खिलाफ
भी आवाज बुलंद कीजिये ... क्योकि इस तरह के हादसे ... हर दिन हर पल हमारे
सामने समाज में घट रहे हैं और हम महसूस नहीं कर पा रहे .... |
और
सभी इमोशनल फूल लड़कियों से यही कहना चाहती हूँ ..... समझो ..... बात को !
....रिश्तों में शर्तें नहीं होतीं .... जहाँ सहजता नहीं ....वहां रिश्ता
कैसा .... दिल की सुनो जरूर .... लेकिन दिमाग भी खोल कर रखो .... युहीं
किसी की भी लच्छेदार बातों में बहने की जरूरत नहीं .... बस ! सुधर जाओ
....!
प्रियंका राठौर
कहानी में ट्विस्ट होना जरुरी है ..... :)
------------------------------ ------------------------------
जिस्म बिकता है
बाजारों में भी .......
उसकी चुकानी
पड़ती है कीमत .......
एक 'इमोशन लेस' 'यूज'
और फिर 'थ्रो'
उसमें वो
बात कहाँ .......
बुझाने गए थे आग
खुद झुलस कर चले आये .....
अब क्या -
अन्दर की सुलगती
आग को
शांत कैसे किया जाये ?
नया दांव -
'इमोशनल' प्रपंच का ,
जिस्म तो जिस्म है ,
आंगन का हो तो
सबसे बेहतर -
कमसिन कौमार्य
समर्पित मन
दों रातें बिस्तर पर
'आत्मसंतुष्टि'
'इमोशन' के साथ 'यूज'
जैसे ईश्वर पा लिया .......
तन शांत
मन शांत
और
जेब भी शांत .......
क्योकि -
कीमत कुछ भी नहीं ,
बस -
मीठे शब्दों का भंडार
जो 'इक्वेलेंट' हैं
'फ्री ऑफ़ कास्ट' के .....
इसलिए -
जिस्म बिकता है
बाजारों में भी
लेकिन -
आँगन के जिस्म की
बात अलग है ......
'इमोशनल ट्रेपिंग' से
'इजली ऐव्लेविल' जो है .......!!!!!!!!!
बहुत डायरेक्ट और बोल्ड लहजा है ना .... लाईक करने में ही लोगों के हाथ कांप जायेंगे .... इस स्टेटस को डालने का कारन है ... आज जब लोगों को बलात्कार के खिलाफ जन आन्दोलन में झंडा उठाये देख रही हूँ .... तो कुछ ऐसे चेहरे भी नजर आ रहे हैं जो कितनी लड़कियों को घूप्प अँधेरे कमरे में सिसकियाँ लेने के लिए छोड़ चुके हैं ... ये महज सोच नहीं वास्तविकता है .... बीते कुछ समय में कई बरबादियाँ तो मेरे आँखों के सामने से ही होकर गुजरी हैं ....हाँ --- मेरी बात से कोई यह मतलब ना निकाले की मैं भी उन्ही भुक्तभोगियों में से हूँ .... ना .... मैं नहीं हो सकती .... क्योकि मेरे पास मर्यादा ... संस्कारों .... समझदारी का इतना मजबूत कवच है .... जिसे तोड़ पाना ... किसी के लिए आसान नहीं ... कम से कम तब तक जब तक मैं उसे खुद ना उतारू .... और वह होना नहीं |
मैं किसी को नीचा दिखाने के लिए ये सब नहीं लिख रही .... बल्कि मेरा मकसद बस इतना है ... की ये ‘इमोशनल ट्रैपीगं’ के पहलु को भी सबके सामने ला सकूँ ....इक नजरिया दे सकूँ ...क्योकि ये भी बलात्कार जैसा ही घिनौना है .... जिसमे मन की आबरू को तार तार किया जाता है .... जिससे ऐसा दर्द छुट जाता है ... जो ना दिखाया जा सकता है और ना झेला जा सकता है |
मेरी सभी लोगों से गुजारिश है .... कम से कम उन प्रतिष्ठित लोगों से भी ....जिनकी वाल से मेरी वाल की दुरी बहुत ज्यादा है ....जो गलत के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं ....
ये भी एक मुद्दा है .... एक बुराई है ....समाज की ....हो सके तो इसके खिलाफ भी आवाज बुलंद कीजिये ... क्योकि इस तरह के हादसे ... हर दिन हर पल हमारे सामने समाज में घट रहे हैं और हम महसूस नहीं कर पा रहे .... |
और सभी इमोशनल फूल लड़कियों से यही कहना चाहती हूँ ..... समझो ..... बात को ! ....रिश्तों में शर्तें नहीं होतीं .... जहाँ सहजता नहीं ....वहां रिश्ता कैसा .... दिल की सुनो जरूर .... लेकिन दिमाग भी खोल कर रखो .... युहीं किसी की भी लच्छेदार बातों में बहने की जरूरत नहीं .... बस ! सुधर जाओ ....!
प्रियंका राठौर
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जिस्म बिकता है
बाजारों में भी .......
उसकी चुकानी
पड़ती है कीमत .......
एक 'इमोशन लेस' 'यूज'
और फिर 'थ्रो'
उसमें वो
बात कहाँ .......
बुझाने गए थे आग
खुद झुलस कर चले आये .....
अब क्या -
अन्दर की सुलगती
आग को
शांत कैसे किया जाये ?
नया दांव -
'इमोशनल' प्रपंच का ,
जिस्म तो जिस्म है ,
आंगन का हो तो
सबसे बेहतर -
कमसिन कौमार्य
समर्पित मन
दों रातें बिस्तर पर
'आत्मसंतुष्टि'
'इमोशन' के साथ 'यूज'
जैसे ईश्वर पा लिया .......
तन शांत
मन शांत
और
जेब भी शांत .......
क्योकि -
कीमत कुछ भी नहीं ,
बस -
मीठे शब्दों का भंडार
जो 'इक्वेलेंट' हैं
'फ्री ऑफ़ कास्ट' के .....
इसलिए -
जिस्म बिकता है
बाजारों में भी
लेकिन -
आँगन के जिस्म की
बात अलग है ......
'इमोशनल ट्रेपिंग' से
'इजली ऐव्लेविल' जो है .......!!!!!!!!!
बहुत डायरेक्ट और बोल्ड लहजा है ना .... लाईक करने में ही लोगों के हाथ कांप जायेंगे .... इस स्टेटस को डालने का कारन है ... आज जब लोगों को बलात्कार के खिलाफ जन आन्दोलन में झंडा उठाये देख रही हूँ .... तो कुछ ऐसे चेहरे भी नजर आ रहे हैं जो कितनी लड़कियों को घूप्प अँधेरे कमरे में सिसकियाँ लेने के लिए छोड़ चुके हैं ... ये महज सोच नहीं वास्तविकता है .... बीते कुछ समय में कई बरबादियाँ तो मेरे आँखों के सामने से ही होकर गुजरी हैं ....हाँ --- मेरी बात से कोई यह मतलब ना निकाले की मैं भी उन्ही भुक्तभोगियों में से हूँ .... ना .... मैं नहीं हो सकती .... क्योकि मेरे पास मर्यादा ... संस्कारों .... समझदारी का इतना मजबूत कवच है .... जिसे तोड़ पाना ... किसी के लिए आसान नहीं ... कम से कम तब तक जब तक मैं उसे खुद ना उतारू .... और वह होना नहीं |
मैं किसी को नीचा दिखाने के लिए ये सब नहीं लिख रही .... बल्कि मेरा मकसद बस इतना है ... की ये ‘इमोशनल ट्रैपीगं’ के पहलु को भी सबके सामने ला सकूँ ....इक नजरिया दे सकूँ ...क्योकि ये भी बलात्कार जैसा ही घिनौना है .... जिसमे मन की आबरू को तार तार किया जाता है .... जिससे ऐसा दर्द छुट जाता है ... जो ना दिखाया जा सकता है और ना झेला जा सकता है |
मेरी सभी लोगों से गुजारिश है .... कम से कम उन प्रतिष्ठित लोगों से भी ....जिनकी वाल से मेरी वाल की दुरी बहुत ज्यादा है ....जो गलत के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं ....
ये भी एक मुद्दा है .... एक बुराई है ....समाज की ....हो सके तो इसके खिलाफ भी आवाज बुलंद कीजिये ... क्योकि इस तरह के हादसे ... हर दिन हर पल हमारे सामने समाज में घट रहे हैं और हम महसूस नहीं कर पा रहे .... |
और सभी इमोशनल फूल लड़कियों से यही कहना चाहती हूँ ..... समझो ..... बात को ! ....रिश्तों में शर्तें नहीं होतीं .... जहाँ सहजता नहीं ....वहां रिश्ता कैसा .... दिल की सुनो जरूर .... लेकिन दिमाग भी खोल कर रखो .... युहीं किसी की भी लच्छेदार बातों में बहने की जरूरत नहीं .... बस ! सुधर जाओ ....!
प्रियंका राठौर
• 21 अप्रैल 2003 को बना था हिंदी का प्रथम ब्लॉग ‘नौ दो ग्यारह ‘
ब्लॉगिंग का जुनून लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। कोई यहाँ विकल्प ढूँढ रहा है तो कोई हरदम कुछ नया, आकर्षक और उपयोगी करने को तत्पर है। ऐसे में ब्लागिंग का नाम अब लोगों के लिए अनजाना नहीं रहा। ब्लागिंग का आरंभ तो 1999 से माना जाता है पर हिंदी में ब्लागिंग का आरम्भ वर्ष 2003 में हुआ। वर्ष 2003 में यूनीकोड हिंदी में आया और तद्नुसार हिन्दी ब्लॉग का भी आरम्भ हुआ। देश के राजनेताओं ने भी अपनी बात आम लोगों तक पहुचाने के लिए ब्लॉगिंग का सहारा ले रहे हैं। भारत के राजनेताओं में लालू प्रसाद यादव, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, नरेन्द्र मोदी, नीतीश कुमार, शिवराज चौहान, फारूक अब्दुल्ला, अमर सिंह, उमर अब्दुल्ला तो फिल्म इण्डस्ट्री में अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान, मनोज वाजपेयी, प्रकाश झा, शिल्पा शेट्टी, सेलिना जेटली, विक्रम भट्ट, शेखर कपूर, अक्षय कुमार, अरबाज खान, नंदिता दास इत्यादि के ब्लॉग मशहूर हैं। चर्चित सोशलाइट लेखिका शोभा डे से लेकर प्रथम आई0पी0एस0 अधिकारी किरण बेदी तक ब्लॉगिंग से जुड़ी हैं।
सेलिब्रेटी
के लिए ब्लॉग तो बड़ी काम की चीज है। फिल्मी हस्तियाँ अपनी फिल्मों के
प्रचार और फैन क्लब में इजाफा हेतु ब्लॉगिंग का बखूबी इस्तेमाल कर रही हैं।
फिल्में रिलीज बाद में होती हैं, उन पर प्रतिक्रियाएं पहले आने लगती हैं।
पर अधिकतर फिल्मी हस्तियों के ब्लॉग अंग्रेजी में ही लिखे जा रहे हैं।
अभिनेता मनोज वाजपेयी बकायदा हिन्दी में ही ब्लॉगिंग करते हैं और गंभीर
लेखन करते हैं। अमिताभ बच्चन ने भी हिन्दी में ब्लॉगिंग की इच्छा जाहिर की
है। एक तरफ ये हस्तियाँ अपनी जीवन की छोटी-मोटी बातें लोगों से शेयर कर रही
हैं, वहीं अपने ब्लॉग के जरिए तमाम गंभीर व सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय
व्यक्त कर रही हैं।
इलाहाबाद
परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं एवं युवा साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव
हिन्दी-ब्लॉगिंग में एक सुपरिचित नाम हैं। वे बताते हैं कि पूर्णतया हिन्दी
में ब्लॉगिंग आरंभ करने का श्रेय आलोक को जाता है, जिन्होंने 21 अप्रैल
2003 को हिंदी के प्रथम ब्लॉग ’नौ दो ग्यारह’ से इसका आगाज किया। यहाँ तक
कि ‘ब्लॉग’ के लिए ‘चिट्ठा’ शब्द भी आलोक का दिया हुआ है। आज ब्लॉग सिर्फ
जानकारी देने का माध्यम नहीं बल्कि संवाद, प्रतिसंवाद, सूचना विचार और
अभिव्यक्ति का भी सशक्त ग्लोबल मंच है।
इलाहाबाद
में जहाँ साहित्य, शिक्षा, संस्कृति, कला का गढ़ माना जाता है, वही
इलाहाबाद के ब्लागर्स के नाम भी तमाम उपलब्धियां दर्ज हैं। उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा नवम्बर, 2012 में ”न्यू मीडिया एवं
ब्लॉगिंग”में उत्कृष्टता के लिए ”अवध सम्मान”से सम्मानित कृष्ण कुमार यादव
के ‘शब्द सृजन की ओर’ तथा ‘डाकिया डाक लाया’ दो व्यक्तिगत ब्लॉग हैं। 13
जून, 2008 को आरंभ “शब्द सृजन की ओर’’ ¼http://kkyadav.blogspot.com/½
ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों
से परिपूर्ण है; वहीं 1 नवम्बर 2008 को आरंभ उनके दूसरे ब्लॉग “डाकिया डाक
लाया’’ ¼http://dakbabu.blogspot.com/) में डाक सेवाओं का इतिहास है, डाक
सेवाओं से जुड़ी महान विभूतियों के बारे में जानकारी है, खतों की खुशबू है,
डाक टिकटों की रोचक दुनिया सहित तमाम आयामों को यह ब्लॉग सहेजता है। कृष्ण
कुमार ही क्यों उनकी पत्नी आकांक्षा यादव भी उनकी ब्लाग्धार्मिता में
सहयोगी हैं। शब्द-शिखर’ (http://shabdshikhar.blogspot.com/) के माध्यम से
नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष
रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं और इनकी रचनाओं में
नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है। इस दंपती ने वर्ष 2008 में ब्लॉग जगत में
कदम रखा और 5 साल के भीतर ही विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लॉग का
संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लॉगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी
साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लॉगिंग को भी नये आयाम दिये। साहित्य
के साथ-साथ ब्लॉगिंग में भी हमजोली यादव दम्पत्ति को 27 अगस्त, 2012 को
लखनऊ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन में ’’दशक के
श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पत्ति’’ का अवार्ड दिया गया। इन दम्पत्ति के ब्लॉगों को
सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भरपूर सराहना मिली। कृष्ण कुमार
यादव के ब्लॉग ’डाकिया डाक लाया’ को 104 देशों, ’शब्द सृजन की ओर’ को 78
देशों, आकांक्षा यादव के ब्लॉग ’शब्द शिखर’ को 81 देशों में देखा-पढ़ा जा
चुका है।
हिंदी
ब्लागिंग में महिलाओं की स्थिति पर अग्रणी महिला ब्लागर आकांक्षा यादव का
मानना है कि न्यू मीडिया के रूप में उभरी ब्लॉगिंग ने नारी-मन की
आकांक्षाओं को मुक्ताकाश दे दिया है। वर्तमान साहित्य में नारी पर पर्याप्त
मात्रा में लेखन कार्य हो रहा है, पर कई बार यह लेखन एकांगी होता है। आज
की महिला यदि संस्कारों और परिवार की बात करती है तो अपने हक के लिए लड़ना
भी जानती है। आकांक्षा यादव आंकड़ों के माध्यम से बताती हैं कि आज 50,000
से भी ज्यादा हिंदी ब्लॉग हैं और इनमें लगभग एक चौथाई ब्लॉग महिलाओं द्वारा
संचालित हैं। ये महिलाएं अपने अंदाज में न सिर्फ ब्लॉगों पर सहित्य-सृजन
कर रही हैं बल्कि तमाम राजनैतिक-सामाजिक-आर्थिक मुददों से लेकर घरेलू
समस्याओं, नारियों की प्रताड़ना से लेकर अपनी अलग पहचान बनाती नारियों को
समेटते विमर्श, पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण से लेकर पुरूष समाज की नारी के
प्रति दृष्टि, जैसे तमाम विषय ब्लॉगों पर चर्चा का विषय बनते हैं।
हिंदी की
सबसे नन्ही ब्लागर अक्षिता भी इलाहाबाद की ही हैं। ब्लागिंग में प्रथम
राजकीय सम्मान पाने का गौरव इलाहाबाद में गर्ल्स हाई स्कूल की कक्षा एक की
छात्रा अक्षिता के नाम दर्ज है, जिसे ब्लागिंग के लिए वर्ष 2011 में
सर्वप्रथम भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिया गया। अक्षिता का
‘पाखी की दुनिया’ (http://pakhi-akshita.blogspot.com/) नाम से एक खूबसूरत
ब्लॉग है। वाकई कहें तो, अक्षिता एक ऐसी नन्हीं ब्लॉगर है, जिसके तेवर किसी
परिपक्व ब्लॉगर से कम नहीं। उसकी मासूमियत में छिपा है एक समृद्ध रचना
संसार, जो अपने मस्तिष्क की आग को बड़ी होकर पूरी दुनिया के हृदय तक
पहुँचाना चाहती है। इस नन्हीं ब्लॉगर की लोकप्रियता को दर्शाता है। लगभग
105 देशों में देखे-पढ़े जाने वाले ‘पाखी की दुनिया’ में 320 से भी ज्यादा
पोस्ट प्रकाशित हैं और 250 से ज्यादा लोग इसका अनुसरण करते हैं।
आज हिन्दी
ब्लॉगिंग में हर कुछ उपलब्ध है, जो आप देखना चाहते हैं। हर ब्लॉग का अपना
अलग जायका है। राजनीति, धर्म, अर्थ, मीडिया, स्वास्थ्य, खान-पान, साहित्य,
कला, शिक्षा, संस्कार, पर्यावरण, संस्कृति, विज्ञान-तकनीक, सेक्स,
खेती-बाड़ी, ज्योतिषी, समाज सेवा, पर्यटन, वन्य जीवन, नियम-कानूनों की
जानकारी सब कुछ अपने पन्नों पर समेटे हुए है। यहाँ खबरें हैं, सूचनाएं हैं,
विमर्श हैं, आरोप-प्रत्यारोप हैं और हर किसी का अपना सोचने का नजरिया है।
दस सालों के सफर में हिंदी ब्लागिंग ने एक लम्बा मुकाम तय किया है. आज हर
आयु-वर्ग के लोग इसमें सक्रिय हैं, शर्त सिर्फ इतनी है कि की-बोर्ड पर
अंगुलियाँ चलाने का हुनर हो और इलाहबादी इसमें भी देश-दुनिया में खूब नाम
कमा रहे हैं
युवती को नहीं था मालूम, सात जन्मों की कसमें खाने वाला ही उतार देगा मौत के घाट
चार माह पहले ही शादी के बंधन में बंधने वाली सोनम को शायद यह मालूम नहीं था जो इंसान उसके साथ सात जन्मों तक चलने की कसमें खा रहा है वहीं उसे मौत के घाट उतार देगा। 23 अप्रैल को सोची-समझी साजिश के तहत सोनम के पति ने उसे पीहर से मिलने के लिए बुलाया। वह मिलने के लिए तो आई लेकिन फिर वापस अपने घर नहीं जा सकी।
श्मसान बना पागलखाना, नींद में ही जिंदा जल गए 36 मरीज
मास्को. रूस की राजधानी मास्को के उत्तर में एक गांव के
पागलखाने में शुक्रवार को आग लगने से 38 लोगों की मौत हो गई। रामेन्सकी
गांव में बने इस पागलखाने में लगी आग से मरने वाले ज्यादातर मरीज हैं। रूस
के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ओलेग सलागे के मुताबिक आग भारतीय समयानुसार
तड़के चार बजे लगी थी। घटना की सूचना मिलते ही अग्निशमन विभाग के कर्मचारी
मौके पर पहुंचे और उन्होंने कुछ घंटों की मेहनत के बाद आग पर काबू पा
लिया। रूस में चिकित्सा संस्थानों में आग लगने की घटनाएं आम है। पिछले सात
सालों में आग लगने के कम से कम 18 मामले दर्ज किए गए हैं। 2009 में रूस के
कोमी में वृद्ध आश्रम में लगी आग से 23 लोग मारे गए थे। (
एक था सुनील त्रिपाठी...शोर मचा कर घसीटा बोस्टन ब्लास्ट में नाम, मौत के बाद कोई नहीं कर रहा जिक्र
बोस्टन. अमेरिका के बोस्टन में हुए ब्लास्ट का संदिग्ध जिस सुनील त्रिपाठी को बताया गया था, उसकी डेड बॉडी मिलने के बाद अमेरिका
कह रहा है कि गलती से उसे धमाकों का संदिग्ध समझ लिया गया था। कुछ ही
दिनों पहले तक उसे हमलों का संदिग्ध मान कर सोशल नेटवर्किंग साइट पर बदनाम
किया जा रहा था लेकिन अब उसकी चर्चा ही नहीं हो रही है। यहां तक कि मीडिया
में उसकी मौत के कारण भी सामने नहीं आ सके हैं।
बोस्टन हमलों के दो संदिग्धों की तस्वीर जारी होने पर फेसबुक पर कुछ लोगों ने लापता सुनील को भी इस मामले में घसीट लिया था। सुनील के बारे में सबसे ज्यादा दुष्प्रचार
रेडिट और ट्विटर पर हुआ था। इसके बाद रिपोर्टरों की दिन-रात आने वाली फोन
कॉल से सुनील के परिजनों का जीना मुश्किल हो गया था। उसके परिजन कह रहे थे
कि शांत सुनील किसी मक्खी को भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता लेकिन उनकी बातें
नहीं सुनी गई। सुनील की मां का कहना है कि वह समय काफी डरावना था। हमारी
बात कोई नहीं समझ रहा था।
पिछले शुक्रवार को धमाकों के दोनों टमेरलान सारनेव और उसे भाई का नाम
सामने आने पर पुलिस ने सुनील को दोषमुक्त करार दिया था। इसके बाद कुछ लोगों
ने त्रिपाठी परिवार से माफी भी मांगी। रेडिट के जनरल मैनेजर एरिक मार्टिन
ने भी अपने स्टाफ और अपनी ओर से त्रिपाठी परिवार से माफी मांगी।
अधिकारियों को अभी सुनील की मौत के कारण का पता नहीं चल सका है लेकिन
उनका कहना है कि लाश कुछ समय से पानी में पड़ी हुई थी। पुलिस का कहना है कि
सुनील की मौत की वजह जानने में कई महीने का समय लग सकता है। वहीं सुनील के
परिवार ने सुनील की खोज के लिए बनाए फेसबुक पेज पर इस मुश्किल समय में
अपना साथ देने वालों और सुनील को ढूंढने में मदद करने वाले लोगों का
शुक्रिया अदा किया है। इसी पेज पर सनील की डेड बॉडी मिलने की भी जानकारी दी
गई थी।
सुनील की लाश अमेरिका में एक नदी से बरामद हुई थी। सुनील त्रिपाठी 16
मार्च से लापता था। 22 वर्षीय सुनील त्रिपाठी के पिता अमेरिका में
जाने-माने सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उसके गायब होने के बाद से उसके
परिजनों और पड़ोसियों ने उसके बारे में काफी पूछताछ की, पर उसका कुछ पता
नहीं चल पाया। लापता होने से पहले सुनील ने अपना मोबाइल फोन और पर्स घर पर
ही छोड़ दिया था।
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