ब्लॉगिंग का जुनून लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। कोई यहाँ विकल्प ढूँढ रहा है तो कोई हरदम कुछ नया, आकर्षक और उपयोगी करने को तत्पर है। ऐसे में ब्लागिंग का नाम अब लोगों के लिए अनजाना नहीं रहा। ब्लागिंग का आरंभ तो 1999 से माना जाता है पर हिंदी में ब्लागिंग का आरम्भ वर्ष 2003 में हुआ। वर्ष 2003 में यूनीकोड हिंदी में आया और तद्नुसार हिन्दी ब्लॉग का भी आरम्भ हुआ। देश के राजनेताओं ने भी अपनी बात आम लोगों तक पहुचाने के लिए ब्लॉगिंग का सहारा ले रहे हैं। भारत के राजनेताओं में लालू प्रसाद यादव, लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, नरेन्द्र मोदी, नीतीश कुमार, शिवराज चौहान, फारूक अब्दुल्ला, अमर सिंह, उमर अब्दुल्ला तो फिल्म इण्डस्ट्री में अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान, मनोज वाजपेयी, प्रकाश झा, शिल्पा शेट्टी, सेलिना जेटली, विक्रम भट्ट, शेखर कपूर, अक्षय कुमार, अरबाज खान, नंदिता दास इत्यादि के ब्लॉग मशहूर हैं। चर्चित सोशलाइट लेखिका शोभा डे से लेकर प्रथम आई0पी0एस0 अधिकारी किरण बेदी तक ब्लॉगिंग से जुड़ी हैं।
सेलिब्रेटी
के लिए ब्लॉग तो बड़ी काम की चीज है। फिल्मी हस्तियाँ अपनी फिल्मों के
प्रचार और फैन क्लब में इजाफा हेतु ब्लॉगिंग का बखूबी इस्तेमाल कर रही हैं।
फिल्में रिलीज बाद में होती हैं, उन पर प्रतिक्रियाएं पहले आने लगती हैं।
पर अधिकतर फिल्मी हस्तियों के ब्लॉग अंग्रेजी में ही लिखे जा रहे हैं।
अभिनेता मनोज वाजपेयी बकायदा हिन्दी में ही ब्लॉगिंग करते हैं और गंभीर
लेखन करते हैं। अमिताभ बच्चन ने भी हिन्दी में ब्लॉगिंग की इच्छा जाहिर की
है। एक तरफ ये हस्तियाँ अपनी जीवन की छोटी-मोटी बातें लोगों से शेयर कर रही
हैं, वहीं अपने ब्लॉग के जरिए तमाम गंभीर व सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय
व्यक्त कर रही हैं।
इलाहाबाद
परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं एवं युवा साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव
हिन्दी-ब्लॉगिंग में एक सुपरिचित नाम हैं। वे बताते हैं कि पूर्णतया हिन्दी
में ब्लॉगिंग आरंभ करने का श्रेय आलोक को जाता है, जिन्होंने 21 अप्रैल
2003 को हिंदी के प्रथम ब्लॉग ’नौ दो ग्यारह’ से इसका आगाज किया। यहाँ तक
कि ‘ब्लॉग’ के लिए ‘चिट्ठा’ शब्द भी आलोक का दिया हुआ है। आज ब्लॉग सिर्फ
जानकारी देने का माध्यम नहीं बल्कि संवाद, प्रतिसंवाद, सूचना विचार और
अभिव्यक्ति का भी सशक्त ग्लोबल मंच है।
इलाहाबाद
में जहाँ साहित्य, शिक्षा, संस्कृति, कला का गढ़ माना जाता है, वही
इलाहाबाद के ब्लागर्स के नाम भी तमाम उपलब्धियां दर्ज हैं। उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा नवम्बर, 2012 में ”न्यू मीडिया एवं
ब्लॉगिंग”में उत्कृष्टता के लिए ”अवध सम्मान”से सम्मानित कृष्ण कुमार यादव
के ‘शब्द सृजन की ओर’ तथा ‘डाकिया डाक लाया’ दो व्यक्तिगत ब्लॉग हैं। 13
जून, 2008 को आरंभ “शब्द सृजन की ओर’’ ¼http://kkyadav.blogspot.com/½
ब्लॉग सामयिक विषयों, मर्मस्पर्शी कविताओं व जानकारीपरक, शोधपूर्ण आलेखों
से परिपूर्ण है; वहीं 1 नवम्बर 2008 को आरंभ उनके दूसरे ब्लॉग “डाकिया डाक
लाया’’ ¼http://dakbabu.blogspot.com/) में डाक सेवाओं का इतिहास है, डाक
सेवाओं से जुड़ी महान विभूतियों के बारे में जानकारी है, खतों की खुशबू है,
डाक टिकटों की रोचक दुनिया सहित तमाम आयामों को यह ब्लॉग सहेजता है। कृष्ण
कुमार ही क्यों उनकी पत्नी आकांक्षा यादव भी उनकी ब्लाग्धार्मिता में
सहयोगी हैं। शब्द-शिखर’ (http://shabdshikhar.blogspot.com/) के माध्यम से
नारी विमर्श, बाल विमर्श एवं सामाजिक सरोकारों सम्बन्धी विमर्श में विशेष
रुचि रखने वाली आकांक्षा यादव अग्रणी महिला ब्लॉगर हैं और इनकी रचनाओं में
नारी-सशक्तीकरण बखूबी झलकता है। इस दंपती ने वर्ष 2008 में ब्लॉग जगत में
कदम रखा और 5 साल के भीतर ही विभिन्न विषयों पर आधारित दसियों ब्लॉग का
संचालन-सम्पादन करके कई लोगों को ब्लॉगिंग की तरफ प्रवृत्त किया और अपनी
साहित्यिक रचनाधर्मिता के साथ-साथ ब्लॉगिंग को भी नये आयाम दिये। साहित्य
के साथ-साथ ब्लॉगिंग में भी हमजोली यादव दम्पत्ति को 27 अगस्त, 2012 को
लखनऊ में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन में ’’दशक के
श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पत्ति’’ का अवार्ड दिया गया। इन दम्पत्ति के ब्लॉगों को
सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भरपूर सराहना मिली। कृष्ण कुमार
यादव के ब्लॉग ’डाकिया डाक लाया’ को 104 देशों, ’शब्द सृजन की ओर’ को 78
देशों, आकांक्षा यादव के ब्लॉग ’शब्द शिखर’ को 81 देशों में देखा-पढ़ा जा
चुका है।
हिंदी
ब्लागिंग में महिलाओं की स्थिति पर अग्रणी महिला ब्लागर आकांक्षा यादव का
मानना है कि न्यू मीडिया के रूप में उभरी ब्लॉगिंग ने नारी-मन की
आकांक्षाओं को मुक्ताकाश दे दिया है। वर्तमान साहित्य में नारी पर पर्याप्त
मात्रा में लेखन कार्य हो रहा है, पर कई बार यह लेखन एकांगी होता है। आज
की महिला यदि संस्कारों और परिवार की बात करती है तो अपने हक के लिए लड़ना
भी जानती है। आकांक्षा यादव आंकड़ों के माध्यम से बताती हैं कि आज 50,000
से भी ज्यादा हिंदी ब्लॉग हैं और इनमें लगभग एक चौथाई ब्लॉग महिलाओं द्वारा
संचालित हैं। ये महिलाएं अपने अंदाज में न सिर्फ ब्लॉगों पर सहित्य-सृजन
कर रही हैं बल्कि तमाम राजनैतिक-सामाजिक-आर्थिक मुददों से लेकर घरेलू
समस्याओं, नारियों की प्रताड़ना से लेकर अपनी अलग पहचान बनाती नारियों को
समेटते विमर्श, पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण से लेकर पुरूष समाज की नारी के
प्रति दृष्टि, जैसे तमाम विषय ब्लॉगों पर चर्चा का विषय बनते हैं।
हिंदी की
सबसे नन्ही ब्लागर अक्षिता भी इलाहाबाद की ही हैं। ब्लागिंग में प्रथम
राजकीय सम्मान पाने का गौरव इलाहाबाद में गर्ल्स हाई स्कूल की कक्षा एक की
छात्रा अक्षिता के नाम दर्ज है, जिसे ब्लागिंग के लिए वर्ष 2011 में
सर्वप्रथम भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिया गया। अक्षिता का
‘पाखी की दुनिया’ (http://pakhi-akshita.blogspot.com/) नाम से एक खूबसूरत
ब्लॉग है। वाकई कहें तो, अक्षिता एक ऐसी नन्हीं ब्लॉगर है, जिसके तेवर किसी
परिपक्व ब्लॉगर से कम नहीं। उसकी मासूमियत में छिपा है एक समृद्ध रचना
संसार, जो अपने मस्तिष्क की आग को बड़ी होकर पूरी दुनिया के हृदय तक
पहुँचाना चाहती है। इस नन्हीं ब्लॉगर की लोकप्रियता को दर्शाता है। लगभग
105 देशों में देखे-पढ़े जाने वाले ‘पाखी की दुनिया’ में 320 से भी ज्यादा
पोस्ट प्रकाशित हैं और 250 से ज्यादा लोग इसका अनुसरण करते हैं।
आज हिन्दी
ब्लॉगिंग में हर कुछ उपलब्ध है, जो आप देखना चाहते हैं। हर ब्लॉग का अपना
अलग जायका है। राजनीति, धर्म, अर्थ, मीडिया, स्वास्थ्य, खान-पान, साहित्य,
कला, शिक्षा, संस्कार, पर्यावरण, संस्कृति, विज्ञान-तकनीक, सेक्स,
खेती-बाड़ी, ज्योतिषी, समाज सेवा, पर्यटन, वन्य जीवन, नियम-कानूनों की
जानकारी सब कुछ अपने पन्नों पर समेटे हुए है। यहाँ खबरें हैं, सूचनाएं हैं,
विमर्श हैं, आरोप-प्रत्यारोप हैं और हर किसी का अपना सोचने का नजरिया है।
दस सालों के सफर में हिंदी ब्लागिंग ने एक लम्बा मुकाम तय किया है. आज हर
आयु-वर्ग के लोग इसमें सक्रिय हैं, शर्त सिर्फ इतनी है कि की-बोर्ड पर
अंगुलियाँ चलाने का हुनर हो और इलाहबादी इसमें भी देश-दुनिया में खूब नाम
कमा रहे हैं
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