आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

26 अप्रैल 2013

रात ढलने को है ,अब चलना चाहिए

Maya Shankar Jha रात ढलने को है ,अब चलना चाहिए .....
ख़्वाबों में आकर वो बड़ा सताते
भोले दिल को कभी हसाते कभी रुलाते
उनकी भी हदें है हमारी भी हदें है
हदों ही हदों में कदम लडखडाते ......

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...