आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

18 मार्च 2024

और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक़्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन लोगो को उसकी ख़बर भी न हुयी

 और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक़्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन लोगो को उसकी ख़बर भी न हुयी (11)
और हमने मूसा पर पहले ही से और दाईयों (के दूध) को हराम कर दिया था (कि किसी की छाती से मुँह न लगाया) तब मूसा की बहन बोली भला मै तुम्हें एक घराने का पता बताऊ कि वह तुम्हारी ख़ातिर इस बच्चे की परवरिश कर देंगे और वह यक़ीनन इसके खैरख़्वाह होगे (12)
ग़रज़ (इस तरकीब से) हमने मूसा को उसकी माँ तक फिर पहुँचा दिया ताकि उसकी आँख ठन्डी हो जाए और रंज न करे और ताकि समझ ले ख़ुदा का वायदा बिल्कुल ठीक है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं (13)
और जब मूसा अपनी जवानी को पहुँचे और (हाथ पाँव निकाल के) दुरुस्त हो गए तो हमने उनको हिकमत और इल्म अता किया और नेकी करने वालों को हम यूँ जज़ाए खै़र देते हैं (14)
और एक दिन इत्तिफाक़न मूसा शहर में ऐसे वक़्त आए कि वहाँ के लोग (नींद की) ग़फलत में पडे़ हुए थे तो देखा कि वहाँ दो आदमी आपस में लड़े मरते हैं ये (एक) तो उनकी क़ौम (बनी इसराइल) में का है और वह (दूसरा) उनके दुशमन की क़ौम (कि़ब्ती) का है तो जो शख़्स उनकी क़ौम का था उसने उस शख़्स से जो उनके दुशमनों में था (ग़लबा हासिल करने के लिए) मूसा से मदद माँगी ये सुनते ही मूसा ने उसे एक घूसा मारा था कि उसका काम तमाम हो गया फिर (ख़्याल करके) कहने लगे ये शैतान का काम था इसमें शक नहीं कि वह दुशमन और खुल्लम खुल्ला गुमराह करने वाला है (15)
(फिर बारगाहे ख़ुदा में) अर्ज़ की परवरदिगार बेशक मैने अपने ऊपर आप ज़़ुल्म किया (कि इस शहर में आया) तो तू मुझे (दुशमनो से) पोशीदा रख-ग़रज़ ख़ुदा ने उन्हें पोशीदा रखा (इसमें तो शक नहीं कि वह बड़ा पोशीदा रखने वाला मेहरबान है) (16)
मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार चूँकि तूने मुझ पर एहसान किया है मै भी आइन्दा गुनाहगारों का हरगिज़ मदद गार न बनूगाँ (17)
ग़रज़ (रात तो जो त्यों गुज़री) सुबह को उम्मीदो बीम की हालत में मूसा शहर में गए तो क्या देखते हैं कि वही शख़्स जिसने कल उनसे मदद माँगी थी उनसे (फिर) फरियाद कर रहा है-मूसा ने उससे कहा बेशक तू यक़ीनी खुल्लम खुल्ला गुमराह है (18)
ग़रज़ जब मूसा ने चाहा कि उस शख़्स पर जो दोनों का दुश्मन था (छुड़ाने के लिए) हाथ बढ़ाएँ तो कि़ब्ती कहने लगा कि ऐ मूसा जिस तरह तुमने कल एक आदमी को मार डाला (उसी तरह) मुझे भी मार डालना चाहते हो तो तुम बस ये चाहते हो कि रुए ज़मीन में सरकश बन कर रहो और मसलह (क़ौम) बनकर रहना नहीं चाहते (19)
और एक शख़्स शहर के उस किनारे से डराता हुआ आया और (मूसा से) कहने लगा मूसा (तुम ये यक़ीन जानो कि शहर के) बड़े बड़े आदमी तुम्हारे आदमी तुम्हारे बारे में मशवरा कर रहे हैं कि तुमको कत्ल कर डालें तो तुम (शहर से) निकल भागो (20)

16 मार्च 2024

मरणोपरांत हुआ नेत्रदान परिवार में शोक को कम करता है

 मरणोपरांत हुआ नेत्रदान परिवार में शोक को कम करता है

2. संभाग में दो दिनों में तीन नेत्रदान संपन्न

3. संभाग की तीन महिलाओं के नेत्रदान से 6 को मिलेगी रोशनी


शाइन इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान जागरुकता अभियान से बीते दो दिनों में हाडोती संभाग में तीन देवलोकगामियों के नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।


शुक्रवार को वसंत विहार निवासी मीरा देवी के आकस्मिक निधन के उपरांत उनके पति प्रताप राय छाबड़िया,बेटे कमल और हितेश की सहमति से निवास स्थान पर नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई ।


इसी क्रम में शनिवार सुबह 3:00 बजे तलवंडी निवासी जग जीवन मुणोत की धर्मपत्नी श्रीमती प्रेमदेवी का आकस्मिक निधन हुआ बेटे मनोज मुणोत काफी समय से संस्था के साथ जुड़कर नेत्रदान के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उनके माध्यम से शहर के कई नेत्रदान संपन्न हुए हैं । मनोज ने पिता जग जीवन और भाई राजकुमार,अरुण व बहन उषा से सहमति लेने के बाद माताजी के नेत्रदान का कार्य संपन्न करवाया ।


इसी नेत्रदान के ठीक उपरांत बाराँ निवासी एवं कपड़ा व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार जैन की माताजी राजकुमारी जैन का आकस्मिक निधन कोटा के निजी अस्पताल में हुआ भारत विकास परिषद के अध्यक्ष हितेश बत्रा, सदस्य रमाकांत गुप्ता एवं हितेश खंडेलवाल की समझाइश पर, डॉ कुलवंत गौड़ ने नेत्रदान की प्रक्रिया को संपन्न किया ।

(ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं

 सूरए अल क़सस मक्के में नाजि़ल हुआ और इसकी 88 आयतें हैं
ख़़ुदा के नाम से (शुरु करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान रहम वाला है
ता सीन मीम (1)
(ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं (2)
(जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फ़िरऔन का वाकि़या इमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं (3)
बेशक फ़िरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों (बेटियों) को जि़न्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था (4)
और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस (सरज़मीन) का मालिक बनाएँ (5)
और उन्हीं को रुए ज़मीन पर पूरी क़़ुदरत अता करे और फ़िरऔन और हामान और उन दोनों के लश्करों को उन्हीं कमज़ोरों के हाथ से वह चीज़ें दिखायें जिससे ये लोग डरते थे (6)
और हमने मूसा की माँ के पास ये वही भेजी कि तुम उसको दूध पिला लो फिर जब उसकी निस्बत तुमको कोई ख़ौफ हो तो इसको (एक सन्दूक़ में रखकर) दरिया में डाल दो और (उस पर) तुम कुछ न डरना और न कुढ़ना (तुम इतमेनान रखो) हम उसको फिर तुम्हारे पास पहुँचा देगें और उसको (अपना) रसूल बनाएँगें (7)
(ग़रज़ मूसा की माँ ने दरिया में डाल दिया) वह सन्दूक़ बहते बहते फ़िरऔन के महल के पास आ लगा तो फ़िरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया ताकि (एक दिन यही) उनका दुशमन और उनके राज़ का बायस बने इसमें शक नहीं कि फ़िरऔन और हामान उन दोनों के लशकर ग़लती पर थे (8)
और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फ़िरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) आँखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी (9)
इधर तो ये हो रहा था और (उधर) मूसा की माँ का दिल ऐसा बेचैन हो गया कि अगर हम उसके दिल को मज़बूत कर देते तो क़रीब था कि मूसा का हाल ज़ाहिर कर देती (और हमने इसीलिए ढारस दी) ताकि वह (हमारे वायदे का) यक़ीन रखे (10)

15 मार्च 2024

समाजसेवी,सेवाभावी रक्तदाता का देर रात सम्पन्न हुआ नैत्रदान

  समाजसेवी,सेवाभावी रक्तदाता का देर रात सम्पन्न हुआ नैत्रदान
2. बहनों से सहमति के बाद,कोटा से आई टीम ने देर रात वैभव का लिया नेत्रदान

कल देर रात नारायण टॉकीज के सामने,सीमेंट रोड रामगंजमंडी निवासी वैभव मिश्रा का हृदयघात से आकस्मिक निधन हो गया । वैभव काफी समय से रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे ,स्वयं एक कुशल लैब टेक्नीशियन थे,उन्होंने कोटा के कई ब्लड बैंक में अपनी सेवाएं दी थी । स्वयं भी अपने रक्तदान से कई लोगों का जीवन बचा चुके हैं ।

गुरुवार देर रात को उनके निधन की सूचना संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र अभिषेक बम को मिली तो उन्होंने परिवार के सदस्यों को नैत्रदान करवाने के लिये तैयार किया। वैभव की दोनों बहने वैशाली,वर्तिका और चाचा अनूप मिश्रा से सहमति मिलने के बाद,शाईन इंडिया के  संजय विजावत,मोनू माहेश्वरी की सूचना पर कोटा से डॉ कुलवंत गौड़ रात 12:00 बजे रामगंज मंडी स्थित निवास स्थान पर पहुंचे ।

परिवार के सभी सदस्यों के बीच में डॉ गौड़ ने नेत्रदान की प्रक्रिया को संपन्न किया । भारत विकास परिषद के दिनेश डपकरा, दीपक पाराशर ने बताया कि, रामगंज मंडी में लोगों में नेत्रदान के प्रति आस्था बढ़ती जा रही है,शोकाकुल परिवार के परिजन यह जानने लगे हैं कि, नेत्रदान ही एक ऐसा माध्यम है,जिससे मृत्यु के उपरांत भी हम देवलोकगामी को किन्हीं दो दृष्टिहीनों की आंखों में जीवित रख सकते हैं ।

नेत्रदान के समय वैभव की बहन वैशाली,वर्तिका,चाचा अनूप,रजनीश,चाची ज्योति, संगीता,दादी कमला और शहर के कई गणमान्य नागरिक मुरली मनोहर शर्मा,अशोक शर्मा रमेश शर्मा अनिल कुमार भील,व शाईन इंडिया के ज्योति मित्र संजय मेहता नाकोड़ा उपस्थित थे

संस्थापक डॉ गौड़ ने बताया कि,पूरे राजस्थान में नेत्रदान के लिए कार्य कर रही संस्थाएं (राजकीय व निजी),एकत्रित नेत्रों को राज्य सरकार द्वारा अधिकृत आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान,जयपुर में भेजते हैं । वहीं से एक नियमबद्ध प्रणाली के तहत कार्निया का नि:शुल्क प्रत्यारोपण किया जाता है ।

ज्ञात हो कि,शाइन इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से पूरे हाडोती में नेत्रदान जागरुकता अभियान कार्यक्रम पिछले 13 वर्षों से लगातार कार्यरत है । संस्था के माध्यम से अभी तक 2300 नेत्रों का संकलन किया जा चुका है, प्राप्त नेत्रों में से 1800 नेत्रों का नि:शुल्क प्रत्यारोपण कॉर्निया की अंधता का दुख भोग रहे लोगों में किया जा चुका है ।



और ये कि मै क़ुरआन पढ़ा करुँ फिर जो शख़्स राह पर आया तो अपनी ज़ात के नफे़ के वास्ते राह पर आया और जो गुमराह हुआ तो तुम कह दो कि मै भी एक एक डराने वाला हूँ

 (ऐ रसूल उनसे कह दो कि) मुझे तो बस यही हुक्म दिया गया है कि मै इस शहर (मक्का) के मालिक की इबादत करुँ जिसने उसे इज़्ज़त व हुरमत दी है और हर चीज़ उसकी है और मुझे ये हुक्म दिया गया कि मै (उसके) फरमाबरदार बन्दां में से हूँ (91)
और ये कि मै क़ुरआन पढ़ा करुँ फिर जो शख़्स राह पर आया तो अपनी ज़ात के नफे़ के वास्ते राह पर आया और जो गुमराह हुआ तो तुम कह दो कि मै भी एक एक डराने वाला हूँ (92)
और तुम कह दो कि अल्हमदोलिल्लाह वह अनक़रीब तुम्हें (अपनी क़ुदरत की) निशानियाँ दिखा देगा तो तुम उन्हें पहचान लोगे और जो कुछ तुम करते हो तुम्हारा परवरदिगार उससे ग़ाफिल नहीं है (93)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...