आपका-अख्तर खान

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26 अप्रैल 2013

जहान भर की बेचैनी,

जहान भर की बेचैनी,
कुछेक अधूरे सफे
कई अलसाई राते
और उनींदी सुबहें
शुभ संकेत हैं
मैंने नहीं लिखी है कई दिनों से
एक भी कविता..................

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