दोस्तों के आदेश पर कुछ नयी पंक्तियाँ आप सब FB FRNDZ की मोहब्बतों के नाम ...............
मातम चाहत का मना रहा था .......
वो ख़त के पुर्ज़े __उड़ा रहा था ........
अपनी मोहब्बत के मर्सिये को .......
मैं सुन रहा था , वो गा रहा था .........
' इश्क ' को बनाकर _फिर तमाशा ......
' हुस्न ' हँस के ताली बजा रहा था .......
मोहब्बत में निकले सारे उलटे .......
अंदाज़े ' वो ' जो लगा रहा था .......
तेरी शादी का कार्ड मुझको .....
सालगिराह पर रुला रहा था .....
तेरी झलक को तरस रहा हूँ .........
कौन कम्बख़त बता रहा था ?????
मीर -ग़ालिब कल पागल 'शाश्वत'.....
चाहत की गजलें गुनगुना रहा था ....
########### 'शाश्वत '
दोस्तों के आदेश पर कुछ नयी पंक्तियाँ आप सब FB FRNDZ की मोहब्बतों के नाम ...............
मातम चाहत का मना रहा था .......
वो ख़त के पुर्ज़े __उड़ा रहा था ........
अपनी मोहब्बत के मर्सिये को .......
मैं सुन रहा था , वो गा रहा था .........
' इश्क ' को बनाकर _फिर तमाशा ......
' हुस्न ' हँस के ताली बजा रहा था .......
मोहब्बत में निकले सारे उलटे .......
अंदाज़े ' वो ' जो लगा रहा था .......
तेरी शादी का कार्ड मुझको .....
सालगिराह पर रुला रहा था .....
तेरी झलक को तरस रहा हूँ .........
कौन कम्बख़त बता रहा था ?????
मीर -ग़ालिब कल पागल 'शाश्वत'.....
चाहत की गजलें गुनगुना रहा था ....
########### 'शाश्वत '
मातम चाहत का मना रहा था .......
वो ख़त के पुर्ज़े __उड़ा रहा था ........
अपनी मोहब्बत के मर्सिये को .......
मैं सुन रहा था , वो गा रहा था .........
' इश्क ' को बनाकर _फिर तमाशा ......
' हुस्न ' हँस के ताली बजा रहा था .......
मोहब्बत में निकले सारे उलटे .......
अंदाज़े ' वो ' जो लगा रहा था .......
तेरी शादी का कार्ड मुझको .....
सालगिराह पर रुला रहा था .....
तेरी झलक को तरस रहा हूँ .........
कौन कम्बख़त बता रहा था ?????
मीर -ग़ालिब कल पागल 'शाश्वत'.....
चाहत की गजलें गुनगुना रहा था ....
########### 'शाश्वत '
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