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25 अक्तूबर 2011

पति को मिली थी फांसी, बेटी की हुई हत्या, पर भुट्टो को मिला सम्मान

इस्लामाबाद. पाकिस्तान ने मरहूम नुसरत भुट्टो को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से नवाजा है। भुट्टो का रविवार को इंतकाल हो गया था। उनके पति जुल्फिकार अली भुट्टो को 1979 में फांसी पर लटका दिया गया था जबकि उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो की 2007 में हत्या हो गई थी।

भुट्टो का लम्बी बीमारी के बाद रविवार को दुबई में निधन हो गया। वह 82 साल की थीं।

एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के हवाले से कहा गया है कि भुट्टो को 'मदर ऑफ डेमोक्रेसी' के सम्मान से भी सम्मानित किया गया है।

उनको दिए गए सम्मान पत्र में उनकी प्रशंसा में लिखा गया है, "लोकतंत्र की मां बेगम नुसरत भुट्टो के साथ कोई भी सम्मान न्याय नहीं कर सकता। हम उनके साहस, उनकी अनगिनत कुर्बानियों और उनकी दृढ़ता को सलाम करते हैं। हमलोग स्वतंत्रता व सम्मान के साथ जीते हैं। यह कितना महान परिवार था, उनके जीवन जीने और मरने का तरीका भी कितना अलग था।"

पहली बार कोटा पहुंचे 'महाराजा', लोगों ने किया वेलकम


कोटा.हाड़ौती क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटक शाही गाड़ी महाराजा एक्सप्रेस मंगलवार सुबह साढ़े 8 बजे पहली बार कोटा पहुंची। इसमें लगभग 34 विदेशी यात्री सवार थे। ट्रेन बुधवार सुबह 11.45 बजे कोटा से सवाईमाधोपुर के लिए रवाना होगी। पैलेस ऑन व्हील, डेक्कन ओडिसी की तर्ज पर चलाई गई महाराजा एक्सप्रेस शाही गाड़ी में 24 डिब्बे हैं।

इसमें यात्री कोच, पावर कार, रसोई यान, बार, रेस्टोरेंट की सुविधा उपलब्ध हैं। ये सभी सुविधाएं अलग-अलग कोच में हैं। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सुधीर चन्द्र कुमार ने बताया कि गाड़ी 22 अक्टूबर को दिल्ली से चली थी। पहले ट्रेन जयपुर में दो दिन रुकी। जयपुर से ट्रेन मंगलवार सुबह कोटा पहुंची।

यह बुधवार सुबह 11.45 बजे सवाईमाधोपुर के लिए रवाना होगी। वहां उसका ठहराव होगा। इसके बाद यह बयाना, आगरा होते हुए दिल्ली पहुंचेगी। इसके भविष्य में 6 ट्रिप और होंगे।

अब इस वर्ष 2011 में 19 नवंबर 17 दिसंबर और अगले वर्ष 2012 में 14 जनवरी, 11 फरवरी, 10 मार्च व 7 अप्रैल को चलेगी। इसका निरीक्षण करने सांसद इज्येराज सिंह, डीआरएम एन.मधुसूदन राव, सीनियर डीसीएम सुधीर चन्द्र कुमार भी पहुंचे। प्लेटफार्म नंबर चार पर खड़ी की गई इस ट्रेन की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

कोलकाता में 'दादा' का अपमानः गेट पर रोककर सौरव गांगुली से पूछा आप कौन है?


कोलकाताःजहां सब आपको दादा कहकर बुलाते हो वहीं कोई रोककर पूछ ले कि आप कौन है तो कैसा लगेगा, ये सौरव गांगुली ही बेहतर बता सकते हैं। भारतीय टीम की लंबे वक्त तक कप्तानी करने वाले सौरव गांगुली को यूं तो कोलकाता में सब जानते हैं और वो ईडन गार्डेन में बिना रोक टोक आते जाते रहे हैं लेकिन भारत और इंग्लैड के बीच खेले गए मैच से पहले सौरव ने कोलकाता में वो अनुभव किया जो उन्होंने अपने पूरे करियर में कभी नहीं किया था।

दरअसल सौरव गांगुली को मैच का प्रसारण कर रहे टीवी चैनल के लिए पिच रिपोर्ट करनी थी। वो ग्राउंड में प्रवेश कर ही रहे थे कि आईसीसी की एंटी करप्शन यूनिट के एक अधिकारी ने उन्हें गेट पर रोक लिया। सौरव ने जब अपना परिचय दिया तब भी आईसीसी अधिकारी ने उन्हें पहचानने से मना कर दिया। बात बनती न देख गांगुली कमेंट्री बॉक्स में वापस गए और अपना आई कार्ड लेकर आए। तब ही उन्हें मैदान पर जाने दिया गया।

एसीयू अधिकारी धर्मेंद्र सिंह यादव ने गांगुली को रोककर पूछा कि आप कौन है, इस सवाल से चौंके गांगुली ने जवाब दिया मैं सौरव गांगुली हूं इस पर भी धर्मेंद्र नहीं माने और गांगुली से आई कार्ड पेश करने को कहा। इस पर गांगुली बापस कमेंट्री बॉक्स गए और आई कार्ड दिखाने पर ही उन्हें मैदान में जाने दिया गया।

कोलकाता के ईडेन गार्डेंस जहां गांगुली कई सालों से बिना रोक टोक आते जाते रहे हैं वहां उनसे इस तरह का व्यवहार गांगुली के प्रशंसकों को उनका अपमान लग सकता है लेकिन गांगुली ने इस पूरी घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

मौत भी नहीं कर पाई जुदा...पढ़िए हैरतअंगेज लव स्टोरी

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ब्रिटेन के 94 वर्षीय गॉर्डन यीगर और 90 वर्षीय नॉर्मा की शादी 72 साल पहले हुई थी। इस लव स्टोरी में दोनों कभी एक-दूसरे से अलग नहीं हुए थे। पिछले बुधवार एक रोड एक्सीडेंट में दोनों बुरी तरह घायल हुए और मौत भी उन्हें जुदा नहीं कर सकी। पहले गॉर्डन की जान गई और उसके एक घंटे बाद उनका हाथ थामे हुए नॉर्मा भी चल बसीं।

दोनों का जन्म लोवा में हुआ था। 26 मई 1939 में उन्होंने शादी की थी। शादी के बाद पहले कुछ साल उन्होंने कैलिफोर्निया में गुजारे बाद में वे ब्रिटेन आ गए थे। उनके चार बच्चे हुए, जिनमें से दो की एक्सीडेंट में मौत हुई थी। उनके बच्चे दोनों के प्यार के किस्से सुनाया करते हैं।

एक्सीडेंट के बाद दोनों को हॉस्पिटल के आईसीयू की एक ही यूनिट में भर्ती किया गया। उनके बेटे डेनिस जब हॉस्पिटल पहुंचे तो देखा वहां भी उनके माता-पिता एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे। दोपहर 3.38 बजे गॉर्डन की मौत हो गई, लेकिन उनका हार्ट मॉनिटर बीप कर रहा था। वे समझ नहीं पाए कि ये कैसे हो रहा है। नर्स ने उन्हें बताया कि उनकी मां की सांस चल रही है, इसलिए ऐसा हो रहा है। ठीक 1 घंटे बाद 4.48 पर नॉर्मा की जान भी चली गई और मॉनिटर बंद हो गया।

धन्य हैं आप!!! दिवाली पर इससे बेहतर गिफ्ट कोई किसी को नहीं दे सकता

मेरठ। कहते हैं कि दुनिया बहुत खूबसूरत है और जो इसे अपनी आंखो से न देख सके उसकी जिंदगी अंधकारमय है, लेकिन उत्तर प्रदेश का एक शख्स नेत्रहीनों की अंधेरी दुनिया में रोशनी बिखेर रहा है। मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके के रहने वाले 56 वर्षीय राजेंद्र गुप्ता नेत्रदान की मुहिम चलाकर दुनिया को न देख पाने वाले लोगों के जीवन में उजाला भरने का जरिया बन रहे हैं। वह पिछले पांच सालों से लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक कर रहे हैं और अभी तक करीब 50 मृतकों की आंखें दान करा चुके हैं।

गुप्ता ने बताया, "नेत्रहीन होना एक बहुत बड़ा अभिशाप है। दुर्भाग्यवश जो लोग इस अभिशाप से ग्रसित होकर अंधकार में जिंदगी जीने को मजबूर होते हैं, मैंने उनकी जिंदगी को रोशन करना ही अपना लक्ष्य बना लिया है।"

जिला अदालत में वकालत करने वाले गुप्ता ने कहा, "जब मुझे अपने शहर या आस-पास किसी शहर में किसी की मृत्यु होने का समाचार मिलता है तो मैं उसके घर जाता हूं और परिजनों से मृतक की आंखें दान करने की अपील करता हूं। उनके तैयार हो जाने पर मेरठ मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग के चिकित्सकों को बुलाकर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की जाती है।"

गुप्ता बताते हैं कि कई बार मृतक के घर जाकर उसके परिजनों को उसकी आंखें दान करने के लिए मनाना काफी मुश्किल भरा काम होता है। कभी-कभी तो लोग नाराजगी प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि मृतक से जुड़ी भावनाओं की वजह से वे ऐसा बर्ताव करते हैं।

गुप्ता सुबह और शाम को हर रोज शहर के अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों को नेत्रदान के लिए जागरूक करते हैं। वह कहते हैं कि सुबह की सैर के समय और शाम को दफ्तर से लौटने के बाद वह हर रोज शहर के अलग-अलग पार्को और चौराहों पर लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करते हैं।

गुप्ता अपने साथ बकायदा फॉर्म लेकर चलते हैं। लोगों को समझ्झाते हैं कि मरने के बाद अगर हमारी आंखें किसी नेत्रहीन को मिल जाएंगी तो उसकी जिंदगी रोशन हो जाएगी। जो शख्स मरणोपरांत अपनी आंखे दान करने के लिए तैयार हो जाता है गुप्ता उससे नेत्रदान के लिए फॉर्म भरने की औपचारिकता पूरी करा लेते हैं ताकि जब कभी उस शख्स की मौत हो तो उसका नेत्रदान हो सके।

खुद नेत्रदान के लिए फॉर्म भर चुके गुप्ता ने इसके लिए लोगों को तैयार करने की अपनी मुहीम की शुरुआत अपने घर से की। अब तक वह करीब 100 लोगों से मरणोपरांत नेत्रदान के लिए फॉर्म भरवा चुके हैं।

गुप्ता कहते हैं कि सबसे पहले उन्होंने खुद का और फिर अपनी पत्नी व दो बेटों का नेत्रदान के लिए फॉर्म भरवाया ताकी जब वह अन्य लोगों से इस सम्बंध में बात करें तो वे भी नेत्रदान के विषय में गम्भीरता से सोचें। यह देखकर खुशी होती है कि नेत्रदान के लिए तैयार होने वालों में युवाओं की तादाद ज्यादा रहती है। उनमें नेत्रदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

गुप्ता के मुताबिक 2006 में शहर में एक नेत्रहीन व्यक्ति की सड़क पार करते समय ट्रक से कुचलकर हुई मौत को अपनी आंखो से देखने के बाद उन्होंने नेत्रदान की मुहीम को शुरू कर ऐसे लोगों की जिंदगी में उजाला भरने का निर्णय लिया।

शादी में नहीं नाची 'बसंती', तो 'वीरू' ने ही काट दी नाक!

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक आदमी ने अपनी पत्नी की नाक और होठ सिर्फ इसलिए काट दिए क्योंकि उसने एक शादी समारोह में नृत्य करने से मना कर दिया। पुलिस ने उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है।

समाचार चैनल जियो न्यूज के मुताबिक पीड़िता ने नृत्य करने से मना कर दिया था। वेहरी कस्बे के निवासी मोहम्मद अब्बास ने पत्नी गुलशन बीबी से एक शादी समारोह में नृत्य करने के लिए कह रहा था।

पीड़िता के मना करने पर अब्बास गुस्से में आ गया और उसने गुलशन की नाक और होठ काट दिए। गुलशन को गम्भीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

सनसनी: आधी रात को सुनाई देती है दर्दभरी कराह के साथ पायल की झंकार!

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गोरखपुर। गोरखपुर पुलिस लाइन में इनदिनों अजीब सी दहशत कायम है। यहां के एन. ब्लाक में करवाचौथ के दिन ‘प्रेतात्मा’ दिखी ! यहां खिंची गई फोटो में दिखने वाली रहस्‍यमय आकृति अभी भी पहेली बनी हुई है। कथित प्रेतात्मा की फोटो कई ने अपने मोबाइलों में सेव कर रखा है।

पिछले कई वर्षो से रात 12 बजे के बाद होने वाली पायल की झंकार व किसी महिला के रोने की आवाज से लोग सशंकित रहते हैं। रात के आठ बजते ही इस ब्लाक में रहने वाले वर्दीधारी व उनके परिजन खौफ के कारण अपना दरवाजा बंद कर लेते हैं। उधर नेट के जानकारों का कहना है कि तमाम वेबसाइटों पर इस तरह के चित्र उपलब्ध हैं जिसमें छेड़छाड़ कर ऐसी इमेज बनाई जा सकती है। कुछ दिमागी फितूर वाले लोग सनसनी फैलाने के लिए ऐसा कर सकते हैं।

करवा चौथ के दिन इस ब्लाक में ऐसी घटना घटी जिसके बाद पुलिसकर्मी व उनके परिजन काफी भयभीत हैं। उस दिन दोपहर का वक्त था। समय यही कोई 2 बजकर 30 मिनट हो रहा था। इस ब्लाक में रहने वाले वर्दीधारी रिजवान का बेटा आमिर अपनी नई मोबाइल से ब्लाक के क्वार्टर संख्या चार व पांच के बीच बनी सीढ़ी के फर्स्‍ट फ्लोर पर जंगले के पास रखी साइकिल की फोटो खींच रहा था। फोटो का व्यू उसने मोबाइल में देखा तो उसके होश उड़ गये। साइकिल की फोटो के साथ ही हवा में खड़ी एक महिला की फोटो भी थी। महिला का साया सफेद वस्त्र में लिपटा था।

मोबाइल में कैद तस्वीर में उभरी साफ साया उसने मौके पर मौजूद अपने अन्य मित्रों को दिखाया। सभी के अंदर डर समा गया। इस घटना के बाद से देर रात तक बाहर घूमने, टहलने व कालोनी में अपने दोस्तों के साथ खेलने वाले बच्चे, किशोर व युवा, महिलाएं अब रात के 8 बजते ही अपने को घरों में कैद कर ले रही हैं। जब तक विशेष आवश्यकता न हो लोग रात में दरवाजा खोलने से भी कतरा रहे हैं। एक पुलिसकर्मी ने कहा कि फोटो देखकर अब उसे भी रात में बाहर से आने पर भय लगता है।

हत्या के बाद गुस्सा, लोगों ने देखिए किस तरह पुलिस को दौड़ाकर पीटा


आबूरोड.गिरवर गांव में जमीन विवाद में ससुर व पुत्रवधू की हत्या के मामले ने मंगलवार को उग्र रूप ले लिया। मृतकों के परिजनों ने दोपहर को हथियारों से लैस होकर पुलिस पर हमला कर दिया। हमले में डीएसपी व तीन थाना प्रभारी घायल हो गए। वहीं पुलिस की दो गाड़ियों व एक एंबुलेंस को भी क्षतिग्रस्त कर दिया। घटना के बाद गांव में पुलिस बल तैनात है।

गत रविवार को जमीन विवाद को लेकर हुए हमले में गिरवर के ढूंढई फली निवासी भैरा (50) और उसकी पुत्रवधू मणि की मौत हो गई थी। भैरा के शव का सोमवार को दाह संस्कार कर दिया गया था। वहीं मणि की सोमवार शाम को अहमदाबाद के अस्पताल में मौत हुई थी। सूचना मिलने पर मृतका के पीहर सकोड़ा से भी बड़ी संख्या में लोग गिरवर पहुंच गए थे।

वे गिरवर बस स्टैंड के पास बैठकर ससुराल पक्ष के साथ पंचायत कर रहे थे। दोपहर 2 बजे जैसे ही एंबुलेंस मणि का शव लेकर गिरवर पहुंची, लोग उग्र हो गए। लाठियों, कुल्हाड़ियों से लैस 250-300 आदिवासियों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। आदिवासियों ने डिप्टी पन्नालाल मीणा को टारगेट बनाकर हमला किया।

इस पर आबूरोड शहर थानाधिकारी हरिकिशन गौड़ व रोहिड़ा थाना प्रभारी नरपाल सिंह, सरूपगंज थाना प्रभारी देवीदान चारण बीच-बचाव करने आए। हमले में चारों अधिकारी घायल हुए। डिप्टी के हाथ में तथा नरपाल सिंह की पीठ में चोटें आईं। आदिवासियों ने डिप्टी की जीप, थाने की जीप और एक एंबुलेंस में तोड़-फोड़ की। इसकी सूचना तुरंत कंट्रोल रूम पर दी। इस पर आस-पास के थानों से अतिरिक्त पुलिस जाब्ता मौके पर भेजा गया।

सूचना मिलने पर एसडीएम कुमार पाल गौतम भी मौके पर पहुंचे। मृतका मणि की लाश गिरवर में ही पड़ी हुई है। गांव में तनाव के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात है।

अब तो हद हो गई, हमारा तिरंगा ‘मेड इन चाइना’

शिमला.मंडी .पड़ोसी देश चीन ने अब हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का कारोबार भी शुरू कर दिया है। दिवाली पर इस बार बाजार में ‘मेड इन चाइना’ ठप्पे वाले तिरंगे बिक रहे हैं। 220 वोल्ट और 240 रोशनियों वाले तिरंगों के कारोबार पर पूर्व सैनिकों ने गहरा रोष प्रकट किया है। हालांकि हमारे त्योहारों पर चीन में बनी वस्तुओं का बिकना नई बात नहीं है

इससे पहले भी चीन में बनी होली की पिचकारियां, गणपति और दुर्गा की मूर्तियां और पतंगों समेत कई प्रकार का सामान भारत के बाजार में बिकता रहा है, लेकिन तिरंगे के कारोबार को पूर्व सैनिकों ने देश का अपमान बताया है। उनका कहना है तिरंगा देश का सम्मान है और विदेशियों के हाथों इसका व्यापार किया जाना अपमानजनक है।

भारत-पाक युद्ध में महावीर चक्र विजेता सूबेदार कांशी राम, 1965 के भारत पाक युद्ध में भाग ले चुके पूर्व सैनिक पूर्ण चंद और वीरचक्र विजेता सैनिक प्रेम सिंह के बेटे लक्ष्मेंद्र गुलेरिया ने इस मामले को अति संवेदनशील बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई है।

वो भी एक दिवाली थी जब लाल छतरी में विराजते थे ठाकुरजी और...!

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कोटा.रियासतकाल में दीपावली के दिन शाम 6 बजे टिपटा गढ़ महल स्थित भगवान बृजनाथ जी मंदिर से ठाकुर जी की मूर्ति को बाहर निकाल कर महल में हथिया पोल के ऊपर लाल छतरी में लाया जाता था।

वहां सिंहासन पर ठाकुरजी विराजते थे और कोटा के तत्कालीन शासक महाराव (दरबार) नीचे बिछात पर खड़े होकर उनके दर्शन करते थे।

रियासतकाल में शहरवासियों के बीच लक्ष्मी पूजन का पैटर्न वही था जो आज है। फर्क इतना है कि लक्ष्मी पूजन के बाद मेलमिलाप का व्यापक सिलसिला चलता था। लोग एक दूसरे के घरों-दुकानों पर जाकर दीवाली की राम-राम करते थे। अब लोगों के परिचितों का दायरा बढ़ गया है तो मोबाइल और एसएमएस कल्चर ने घर से बाहर निकलने की परंपरा को संक्षिप्त कर दिया है।

तब सेठ-साहूकार तथा आम दुकानदार अपनी दुकानों, गद्दियों पर सफेद झक्क नई चादर बिछाकर मशंद तकिए लगाकर बैठते थे। लक्ष्मी पूजन के बाद जो भी रास्ते से गुजरता था, उससे ‘दिवाली को राम-राम’ के संवाद के साथ एक-दूसरे की संपन्नता की कामना की जाती थी। अब ज्यादातर लोग अपने घरों में लक्ष्मी पूजन और आतिशबाजी के दायरे तक ही सिमट कर रह जाते हैं।

फौज की पलटन देती थी सलामी

इतिहासकार डॉ. जगत नारायण के मुताबिक रियासतकाल में लक्ष्मी पूजन वाले दिन महल की लाल छतरी में जब ठाकुर जी (भगवान बृजनाथ जी) सिंहासन पर विराजते थे तो नीचे चबूतरे पर दरीखाना भरता था।

दरबार ठाकुरजी के दर्शन करने के बाद दरीखाने में रूबरू होते थे। फौज की पलटन ठाकुर जी को सलामी देती थी। दरीखाने में रियासत के राजपूत सरदार और गणमान्य लोग मौजूद रहते थे। पास ही अखाड़े में जेठी (पहलवानों) की कुश्ती का आयोजन होता था। चौक में खासा घोड़े-हाथी खड़े रहते थे और नक्कारखाने में बैंड बाजा बजता रहता था।

जब सड़क पर अचानक बहने लगी दूध की नदी!

जोधपुर.शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत मंगलवार को शहर में बिकने आ रहे दूध की बनाड़ रोड पर जांच की गई। इस दौरान पानी मिला व अमानक श्रेणी का पाए जाने पर दूध को सड़क पर उड़ेल कर नष्ट किया गया। विभिन्न स्थानों से खाद्य पदार्थो के सैंपल भी लिए गए। अभियान में रसद,चिकित्सा,डेयरी व बाट-माप विभाग के कर्मचारी शामिल थे।

जिला रसद विभाग के प्रवर्तन अधिकारी सुरेश दत्त पुरोहित ने बताया कि अभियान के तहत गांवों से लाकर शहर में दूध बेचने वालों की गाड़ियां बनाड़ के निकट सारणनगर के पास रुकवा कर जांच की गई। दूध में पानी की मात्रा ज्यादा मिलने से इसे अमानक घोषित करते हुए सड़क पर उड़ेल दिया गया।

इसी तरह ओलंपिक रोड स्थित रामजीवन मूथा एंड सन्स से सरसों के तेल का सैंपल लिया गया। मंडोर सेटेलाइट अस्पताल के सामने श्री मारवाड़ स्वीट्स से चमचम, कृषि मंडी चौराहे पर जगदीश डिपार्टमेंट स्टोर से मिक्स ब्रांड के बेसन का सैंपल चिकित्सा विभाग के निरीक्षक ने लिया। अभियान के दौरान एयरफोर्स रोड पर अशोक वाटिका से एक व अमृतपान रेस्टारेंट से घरेलू गैस के दो सिलेंडर जब्त किए गए।

घी के दीयों से जगमग पांच हजार मंदिर...गजब का है अंदाज


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..यह अयोध्या है। दीपावली की जन्म स्थली। यहीं से प्रस्फुटित हुई थी रोशनी। यहीं से गई थी प्रकाश की राशि, ज्ञान की राशि। हजारों-लाखों सालों से हमारी सुख, समृद्धि, खुशी और ऊर्जा का प्रतीक। मैं महसूस कर रहा हूं जलते हुए दीयों से देशी घी की महक। अयोध्या नगरी के 5 हजार से ज्यादा मंदिरों में आज देशी घी के दीये जलते हैं। इतने बड़े स्तर पर देशी घी के दीये सिर्फ अयोध्या में ही जलते हैं।

मंदिरों के बाहर तेल के। मंदिरों की साज सज्जा देखते ही बन रही है। घर-घर में मंदिर हैं। कई जगह राम नाम का जयघोष सुनाई पड़ जाता है। आज लौटे थे श्रीराम। लक्ष्मी जी की पूजा तो देश भर में होती हैं। लेकिन यहां हो रही है श्रीराम जी की पूजा, गौशाला की पूजा और सरयू जी की भी। ये सब देखना आंखों को बेहद न्यारा लग रहा है।

तीन दिन से मैं अयोध्या नगरी में घूम रहा हूं। लोगों से मिल रहा हूं। इस धर्मनगरी की दिवाली देश के अन्य हिस्सों की दिवाली से कुछ अलग है।अत्यंत सादगी लिए हुए हैं। आधुनिक चकाचौंध से दूर। कोई तड़क भड़क नहीं। एकदम शांत। बिल्कुल सरयू नदी की तरह जो आपको ठहरी हुई सी लगती हैं लेकिन ध्यान केंद्रित करने पर पता चल जाता है कि चलायमान हैं। हालांकि बीच-बीच में चायनीज लड़ियां भी जगमगा रही हैं लेकिन ज्यादातर जगहों पर दीये ही नजर आते हैं। वैसे इस सादेपन के कारण कुछ और भी हैं। असंख्य कारण। मैं खुद को जोड़ने की कोशिश कर रहा हूं इस नगरी की उस दीपावली से जब श्रीराम वापस लौटे थे।

कनक भवन में भगवान राम का भव्य मंदिर हैं। यही मूर्तियां हैं जो आपको देश के विभिन्न कैलेंडरों व पोस्टरों में दिखाई देती हैं। राम दरबार सजाया गया है लेकिन बिल्कुल सादा। ये वो भवन है जिसे कैकेयी ने जानकी जी को मुंह दिखाई में दिया था। यही यहां का सबसे भव्य मंदिर भी हैं। शाम का अंधियारा गहराने लगा है।

हम सरयू के तट पर आ गए हैं। अयोध्या नगरी के लोग धीरे धीरे जमा हो रहे हैं सरयू जी के घाटों पर। सरयू जी की पूजा के बिना दीपावली की रस्म पूरी नहीं होती। हाथों में थालियां और उसमें पूजा सामग्री लिए हुए लोग अपने अपने हिसाब से रस्मों को पूरा कर रहे हैं। श्रीराम का जयघोष बराबर जारी है। सरयू की आरती उतारी जा रही है। ताशे और घंटों की आवाज अजीब सा माहौल पैदा कर रही हैं।

इसी बीच दीप प्रज्जवलित करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। अंधेरे में उजाले का उत्सव। और अगले ही पल निशब्द बह रही सरयू असंख्य दीयों से जगमगा उठती हैं। आतिशबाजी भी शुरू हो जाती है। सरयू के तट का ऐसा नजारा विरल ही देखने को मिलता है। पूजा में शामिल नगरपालिका के सभासद संजय शुक्ला का कहना था कि भगवान राम अयोध्यावासियों के जेहन में सदैव रहते हैं। कोशिश करते हैं कि हमारे व्यवहार में भी वैसा आचरण झलके।

लोग वापस लौटना शुरू होते हैं। घरों में कई तरह की रस्में बाकी हैं। मिठाइयों का आदान प्रदान तो दिन से ही शुरू हो गया था। फिर देर शाम तक भजनों व आतिशबाजियों का सिलसिला चलता रहता है। वरिष्ठ पत्रकार वीएन दास से मुलाकात होती है। दास का कहना था कि अयोध्या अनेक समस्याओं से घिरी हुई हैं।

पिछले 10-12 सालों से तो अयोध्यावासी और भी ज्यादा परेशानी में हैं सो दीपावली की वो रंगत भी इस परेशानी में कम पड़ जाती है। सियातदानों ने बहुत पीछे धकेल दिया अयोध्या को। कुछ ऐसा ही पत्रकार त्रियुग नारायण तिवारी भी कहते हैं।

कितने बरस की हो गई होगी दीपावली? निश्चित तौर पर कोई नहीं जानता। युगों पुरानी। लेकिन वक्त के साथ बहुत आधुनिक और मायने बदलती दीपावली। हां, मैं देख रहा हूं अयोध्या नगरी को। राम की ये नगरी वक्त के साथ कदमताल नहीं कर पा रही है। रूखी सी, पुरानी सी। मानों तेजी से बुढ़ा रही हो।

नित नए रूप ले रही दिवाली और बूढ़ी हो रही अयोध्या। त्रेता युग में अयोध्या से ही प्रकाश की लौ समस्त मानवता तक फैली थी लेकिन कलियुग तक पहुंचते पहुंचते अयोध्या के पास वो प्रकाश, वो विकास रह ही नहीं पाया। कहते हैं कि वैभव और धर्म एक जगह नहीं रहता। लेकिन देश की अन्य धर्मनगरियों को देखंे तो उपरोक्त बात अयोध्या पर ही लागू होती है। इस संदर्भ में भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार का तर्क कुछ अलग है। कटियार के मुताबिक दीपावली पर हम अयोध्यावासी बहुत तामझाम नहीं करते। अयोध्या कंक्रीट का जंगल बनने से बची हुई है। हम चाहते भी नहीं कि ऐसा हो। राम जी को लेकर कई आयोजन शुरू किए हैं

राम लल्ला की अजब स्थिति

तमाम तरह के विवादों की बात न करते हुए बात दीपावली के ही आसपास रखें तो इस रोज राम जी की स्थिति बड़ी विकट लगती है। जो जगह राम जन्मभूमि थी, वहां राम लल्ला एक टैंट में विराजमान हैं। जिस राम की वापसी के लिए घी के दीये जलाए गए थे आज उसी राम की हिफाजत के लिए सैंकड़ों वर्दीधारी चौबीसों घंटा तैनात रहते हैं। विडंबना देखिये कि बाहर बाजार सजे हैं, घर बुहारे गए हैं, मंदिरों में शंखनाद हो रहा है लेकिन कहीं राम एक टैंट में रखे गए हैं।

किसी तिलिस्मी चीज को पाने के लिए एक से एक संकरे और डरावने रास्तों का जिक्र कथा कहानियों में होता है, ठीक वैसा ही सब कुछ है रामलल्ला तक पहुंचने के लिए। कम से कम पांच बार आपको मुकाबिल होना पड़ता है भांति-भांति के पहरेदारों से। एक बार आप राम लल्ला के दर्शनों के लिए निकलो तो चारों तरफ से बंद संकरे मार्ग पर डाल दिए जाते हैं।

कुछ ऐसे बंद कि इन कांटेदार तारों, सलाखों और जालियों के बीच कथित जिन्न तो बाहर निकल सकता है आम मनुष्य नहीं। बावजूद इसके पांच बार अलग अलग स्थानों पर आपको सिर से पांव तक टटोला जाता है। इन समस्त बाधाओं को पार करते हुए आप के तिरपाल के तंबू के सामने पहुंचते हैं। यहीं है रामलल्ला की मूर्ति। अजब बात है। आसपास बीसियों बंदूकधारी जवान खड़े हैं। उनके लिए नजदीक ही पक्के क्वार्टर भी बने हुए हैं लेकिन सालों से वे जिनकी सुरक्षा कर रहे हैं वे एक टैंट के नीचे हैं।

अयोध्या के राजा हनुमान

सभी ने सुना है कि जब भगवान राम बैकुंठ के लिए रवाना हुए तो अयोध्या का राजपाठ हनुमान जी के हवाले कर गए। अयोध्या में ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जो राज जी से ज्यादा हनुमान के भक्त हैं। यहां का सबसे भीड़ भाड़ वाला मंदिर भी हनुमान गढ़ी ही है। सबसे समृद्व भी। मान्यता इतनी है कि दिल्ली में रह रहे यहां के लोग भी आपसे हनुमानगढ़ी का प्रसाद लाने के लिए आग्रह करेंगे।

संभवतया यही कारण है कि छोटी दीवाली के रोज हनुमान जी का जन्म दिन इतने भव्य तरीके से मनाया जाता है कि शहर के सारे आयोजन फीके पड़ जाते हैं। इस बार हमने देखा कि रात 11 बजे से 12 बजे तक होने वाली पूजा में तो तो मंदिर परिसर में पांव रखने तक की जगह नहीं थी। इस एक घंटे जोरदार आतिशबाजियों से मानो पूरी अयोध्या नगरी ही जगमगा उठती हैं। हनुमानढ़ी के एक महंत ज्ञानदास यहीं मिले। बोले अयोध्या की दीपावली सबसे श्रेष्ठ हैं। मुख्य उत्स यही स्थान है। विजय का प्रतीक ही नहीं ऊर्जा की प्रतीक भी है अयोध्या की दीपावली।

16 साल जेल में काट चुके आतंकी को दिल दे बैठी यह महिला अधिकारी और..

श्रीनगर लगभग 25 कश्मीरी पंडितों की हत्या सहित आतंकवाद से जुड़े कई आरोपों के चलते जेल में 16 साल बिताने वाला एक पूर्व आतंकी 1 नवंबर को कश्मीर की ही एक प्रशासनिक अधिकारी के साथ निकाह की तैयारियों में व्यस्त है। इस निकाह के साथ-साथ पर्दे के पीछे की कहानी भी कम रोचक और रोमांचक नहीं है। एक पढ़ी-लिखी सरकारी नौकरी करने वाली लड़की का आतंकवाद से रिश्ता रखने वाले से निकाह न लड़की के परिवार को मंजूर था और न समाज को। दिक्कतें दोनों तरफ थीं। कैसे पाई उन्होंने मंजिल? कैसे जीता परिवार का दिल?दोनों की जुबानी पूरी कहानी..।


मैं अस्सबाह अर्जुमंद खान..। एक लड़की का सबसे बड़ा जेवर उसकी शर्म-हया, बुजुर्गो का लिहाज, तहजीब और सब्र होता है। मैं मगरिब की बेटी हूं और इस तरह अपने निकाह के जिमन (बारे) में गुफ्तगू करते हुए शर्म महसूस करती हूं। नारी का दूसरा नाम संवेदनशीलता, लज्जा और ममता है। यही मेरे संस्कार हैं और मुझे उम्मीद है एक लड़की होने की वजह से आप मेरे जज्बात व अहसास बखूबी समझेंगी..। जब अस्सबाह से उनकी शादी से जुड़े सवाल किए तो इस अंदाज में जवाब दिया। दोनों के घरों में शादी की तैयारियां जोरों पर हैं। मेहमान पहुंच चुके हैं। लेकिन इस शादी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए असबाह को काफी संघर्ष करना पड़ा।

कौन है दुल्हन
अस्सबाह अर्जुमंद खान ने 1999 में कश्मीर यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में एमए किया। उसके बाद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में नौकरी की। वहां 2003 से 2007 तक काम करने के साथ जर्मनी से पीस एंड कनफ्लिक्ट स्टडीज में कोर्स किया। 2009 में कश्मीर प्रशासनिक सेवा पास की। वर्तमान में जनरल एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट में बतौर ट्रेनी पदस्थ है।


कौन है दूल्हा
जम्म-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का नेता और आतंकी कमांडर रह चुका फारूक अहमद डार को बिट्टा कराटे के नाम से भी जाना जाता है। 1990 में गिरफ्तार होने के बाद 2006 में टाडा कोर्ट ने उसे रिहा किया था। 2008 में अमरनाथ विवाद के दौरान उसे दोबारा गिरफ्तार किया गया था।


इस तरह परवान चढ़ा दोनों का प्यार
अस्सबाह और फारूक तीन साल पहले एक दोस्त के घर मिले थे। 4-5 माह बाद फारूक ने प्रपोज किया। कुछ समय बाद अस्सबाह ने हां कर दी। डेढ़ साल पहले शादी का निर्णय लिया। जब अस्सबाह के घर वालों को यह पता चला तो हंगामा हो गया। वे नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी एक आतंकी से शादी करे। लेकिन अस्सबाह जिद पर अड़ी रही। इसी बीच फारूक के दोस्त और भाई-बहन ने अस्सबाह के परिवारवालों को मनाया। बेटी की जिद के आगे घरवालों को झुकना पड़ा। अस्सबाह कहती हैं, कश्मीर में हर घर में ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाएंगे। एक ही घर में बेटा अलगाववादी है और दूसरा सरकारी मुलाजिम। तो मैं किसी अलगाववादी से शादी कर रही हूं तो कुछ अजीब नहीं। हां, आतंकी से शादी करने पर मेरे परिवार को आपत्ति थी, जो जायज है। हम दोनों के बीच आकर्षण का जो सबसे कारण था वह एक जाति का होना था। फारूक की जिस बात ने मुझे प्रभावित किया वह उसकी निर्णय क्षमता थी। फारूक कहते हैं कि अस्सबाह की सादगी से वह पहली ही नजर में प्रभावित हुए थे। पूरे विश्व की राजनीति का उन्हें काफी अच्छा नॉलेज है।

दुर्लभ संयोग वाली दिवाली आज, राशि अनुसार ऐसे करें महालक्ष्मी की पूजा

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इस बार दिवाली पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। दस साल बाद तुला राशि में चार ग्रहों का मिलन, चित्रा नक्षत्र और सात साल बाद बुधवार का विशेष संयोग रहेगा। ये संयोग वैभव, स्थायित्व और सुख-समृद्धि की दृष्टि से श्रेष्ठ रहेंगे।

पं. रामदेव पांडेय के मुताबिक 17 अक्टूबर को सूर्य ने कन्या राशि को छोड़कर तुला राशि में प्रवेश किया था। इसके बाद 26 अक्टूबर को दीपावली पर पूर्वाह्न 11 बज कर 59 मिनट पर चंद्रमा का तुला राशि में प्रवेश होगा। इस तरह तुला राशि में दिवाली पर सूर्य, बुध, शुक्र और चंद्रमा विचरण करेंगे। तुला में चतुग्र्रही योग के साथ जहां सूर्य का नीच-भंग राजयोग बनेगा।

राशि के अनुसार करें पूजा

मेष : श्रीयंत्र अभिमंत्रित कर पूजा स्थान पर रखें। खीर का भोग लगाएं। सोने का सिक्का खरीदें।
वृष : यश लक्ष्मी की आराधना करें। पत्नी को चांदी की पायल भेंट करें। लाल कपड़े में चांदी का सिक्का बांध कर धन रखने के स्थान पर रखें।
मिथुन : आयु लक्ष्मी की पूजा करें। 501 ग्राम छुआरे लाल कपड़े में बांध कर वाहन में रखें। हरी साड़ी गिफ्ट दें।
कर्क : वाहन लक्ष्मी की स्तुति करें। 7 लाल हकीक लाल कपड़े में बांध कर धन रखने के स्थान पर रखें।
सिंह : वैभव लक्ष्मी का पाठ शुभ समाचार देगा। सोने का सिक्का खरीदें। तुलसी के पास लगी घास गल्ले में रखें।
कन्या : संतान लक्ष्मी की साधना करें। तांबे के पात्र से घर के आंगन में सुबह-सुबह जल डालें। चांदी का बर्तन या इलेक्ट्रॉनिक आइटम ले लें।
तुला : भवन लक्ष्मी को ध्यावें। किसी तालाब की मिट्टी लाकर घर में रख लें। वृद्धि होगी।
वृश्चिक : आयु लक्ष्मी की पूजा करें। लाल, ब्राउन, चाकलेट रंग का फर्नीचर खरीदें, मोर पंख पूजा स्थल पर रख लें।
धन ु: स्थिर लक्ष्मी का पूजन करें । स्वर्णाभूषण लेंगे तो संपत्ति बढ़ेगी। एक मुट्ठी सरसों अपनी देहली पर छिड़क दें। रोग सदा के लिए दूर रहेगा।
मकर : प्रथम गणोशजी
का पूजन करें, फिर लक्ष्मी जी का। नीलकमल अर्पित करें। काले वाहन, गैस, बर्तन खरीदें।
कुंभ : धन लक्ष्मी की पूजा फलदायक होगी। प्रवेश द्वार पर बड़ा दिया जलाएं, चिमनी रख दें ताकि सुबह तक जले। लेदर बैग या चमड़े की कोई आइटम किसी को गिफ्ट करें।
मीन : भगवती लक्ष्मी का पूजन नैया
पार लगाएगा। एक्वेरियम रखने से धन संचित होगा।

पूजा की सामग्री

रोली, मौली, 5 सुपारी, धूप, 5 पान के पत्ते, लौंग, 5 इलायची, फूल माला, 5 फल, दूध आधा किलो, दही 250 ग्राम, शहद, केसर, लक्ष्मी-गणोश की फोटो या मूर्ति, आम के पत्ते, कपूर, जनेऊ, चंदन, दूब, मिट्टी के दीये-12 छोटे एक बड़ा, सरसों का तेल।

अंग्रेजों को 5-0 से शिकस्त दे धोनी सेना बोली 'हैप्पी दिवाली'


कोलकाता। ईडन गार्डन में भारत-इंग्लैंड के बीच खेले गए पांच मैचों की एकदिवसीय सीरीज के आखिरी मैच में टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 95 रनों से हरा दिया। इस जीत के साथ ही टीम इंडिया ने वनडे सीरीज 5-0 से अपने नाम कर ली। रवींद्र जडेजा को मैन ऑफ द मैच, जबकि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को मैन ऑफ द सीरीज का अवार्ड दिया गया।

सीरीज के अंतिम मुकाबले में भारतीय स्पिनर्स के सामने इंग्लैंड के बल्लेबाजों की एक नहीं चली और वे 37 ओवरों में 176 रन बनाकर ढेर हो गए। टीम इंडिया की तरफ से रवींद्र जडेजा सबसे सफल गेंदबाज रहे। उन्होंने 4 बल्लेबाजों को अपना शिकार बनाया। इसके अलावा आर. अश्विन को 3 विकेट मिले, जबकि मनोज तिवारी, सुरेश रैना और वरुण आरोन को 1-1 विकेट मिला।

इससे पहले 272 रनों की चुनौती का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की शुरुआत काफी अच्छी रही। कप्तान एलिस्टर कुक और कीसवेटर ने पहले विकेट के लिए शतकीय साझेदारी निभाते हुए 129 रन जोड़े। लेकिन इसके बाद कुक 60 रन बनाकर आउट हो गए। कुक के आउट होते ही शेष 9 बल्लेबाज सिर्फ 46 रन जोड़कर एक के बाद एक आउट हो गए।

वरुण आरोन ने आज टीम इंडिया को पहली सफलता दिलाई। उन्होंने इंग्लिश कप्तान एलिस्टर कुक को 60 के निजी स्कोर पर पवेलियन भेजा। इसके बाद रवींद्र जडेजा ने कीसवेटर को भी 63 के निजी स्कोर पर आउट कर दिया।

इसके बाद अश्विन ने इयान बेल (2 रन) को धोनी के हाथों कैच करवा दिया। बेल के आउट होते ही ट्रॉट (5 रन) भी जडेजा की गेंद पर पवेलियन लौट गए। ट्रॉट के आउट होते ही बेयरस्टो भी 2 रन बनाकर जडेजा का शिकार बन गए।

इसके बाद रवि बोपरा 4 रन बनाकर सुरेश रैना की गेंद पर बोल्ड हो गए। फिर टिम ब्रेसनन बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। उन्हें मनोज तिवारी ने अपना शिकार बनाया। ब्रेसनन के बाद जडेजा ने समित पटेल को 18 के निजी स्कोर पर आउट कर दिया। इसके बाद मीकर 1 रन और फिन 2 रन ही बना सके, जबकि ग्रीम स्वान 10 रन बनाकर नाबाद रहे।

इससे पहले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के शानदार नाबाद अर्धशतक की बदौलत टीम इंडिया ने निर्धारित 50 ओवरों में 8 विकेट के नुकसान पर 271 रन बनाए।

टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए करियर का 43वां अर्धशतक लगाया और भारत को मजबूती प्रदान की। धोनी ने 69 गेंदों का सामना कर नाबाद 75 रन बनाए। उन्होंने अपनी पारी में 3 चौके और 4 गगनचुंबी छक्के लगाए।

इससे पहले आज रहाणे और गौतम गंभीर ने टीम इंडिया को अच्छी शुरुआत दिलाई और पहले विकेट के लिए 80 रन जोड़े। गंभीर के आउट होते विराट कोहली और रहाणो भी 80 के स्कोर पर ही पवेलियन लौट गए। रहाणे ने 42 रन बनाए, जबकि विराट कोहली अपना खाता भी नहीं खोल सके।

इसके बाद मनोज तिवारी ने पारी संभालने की कोशिश की, लेकिन वे अधिक देर तक टिक नहीं सके और 24 रन बनाकर मीकर की गेंद पर कीसवेटर को कैच थमा बैठे। तिवारी के बाद सुरेश रैना ने पारी को संभालने की बहुत कोशिश की लेकिन वे 38 रन बनाकर रनआउट हो गए। इसके अलावा रवींद्र जडेजा ने 21 रन, आर. अश्विन ने 7 रन और प्रवीण कुमार ने 16 रन बनाए।

पुत्र वधु से .............


Pratibha Saxena

जिन मुश्किलों से .......


ये है गीता का ज्ञान








सुरे अल बकर में कुरान का संदेश .....

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दीपावली एक बार सभी को फिर बहुत बहुत मुबारक हो ............

सभी ब्लोगर भाई ..बहनों ..अंकल ..माताओं ..आंटियों ...साथियों.. दोस्तों ..दुश्मनों को दीपावली बहुत बहुत मुबारक हो ...आपका सभी का यह वर्ष और भविष्य का जीवन सुखमय ..सम्रद्धि शील निरोगी काया रहे देश में खुश हाली ...विकास वादिता ..राष्ट्रवादिता ..एकता अखंडता का भाव पैदा हो फर्जी नेताओं .भ्रष्ट लोगों के आचरण में सुधार हो भगवान खुदा अल्लाह भटको हों को दीपावली की रौशनी की जगमगाहट की तरह सही रास्ता दिखाए .इसी दुआ और उम्मीद के साथ सभी को दीपावली बहुत बहुत एक बार फिर मुबारक हो ...................... अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सुरे बक़र में कुरान का संदेश ..........




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