जीवन की जरूरतों और कर्तव्यों को पूरा करने के लिए भौतिक सुखों में धन की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है। शास्त्रों के मुताबिक धन या पैसा लक्ष्मी का स्वरूप है, जिसका स्वभाव चंचल है। यही कारण है कि सांसारिक जीवन में यह सुनिश्चित नहीं कि कब धन आ जाए और कब गंवाना पड़े। इसलिए धन से नाता बनाए रखने के लिए ही उसकी ही तरह चंचल यानी सक्रिय रहना जरूरी है, जो कर्म द्वारा ही संभव है।
धनवान बने रहने के इस व्यावहारिक उपाय के अलावा धार्मिक उपाय भी बताए गए हैं। इनमें भगवान शिव जो शाश्वत यानी नित्य हैं, की हर रोज ही उपासना बहुत ही श्रेष्ठ मानी गई है। शिव को अव्यय भी पुकारा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है जो खर्च होने पर भी कम नहीं हो। शिव और उनका ध्यान भी ऐसा ही है। इसलिए धन से जुड़ी इच्छाओं की पूर्ति के लिए शिव नाम, व्रत व पूजा खास दिनों में बहुत ही शुभ फल देने वाली मानी गई है।
सावन माह का सोमवार भी शिव कृपा पाने के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक महत्व के नजरिए से सावन के तीसरे सोमवार पर व्रत के शुभ फल खासतौर पर धन लाभ और बेहतर आर्थिक स्थिति के रूप में मिलते हैं।
जानिए कल रखे जाने वाले सावन के तीसरे सोमवार व्रत पर शिव उपासना से धनलाभ किन-किन रूपों में मिलता है -
- आर्थिक रूप से बदतर हालात सुधर जाते हैं। नाकामी भी सफलता में बदलने लगती है।
- रोजगार की तलाश खत्म होती है। प्राप्त रोजगार से मोटी कमाई होती है।
- अपार धन लाभ होता है। घर में धनलक्ष्मी का स्थायी रूप से वास होता है।
- कारोबार में बरकत, बचत और सफलता मिलती है।
- भारी कर्ज से छुटकारा मिलता है।
- प्रापर्टी से अचानक और अनसोचा धन लाभ प्राप्त होता है।
- भौतिक सुख जैसे घर, वाहन आदि के सपने पूरे होते हैं।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 जुलाई 2012
सावन के तीसरे सोमवार व्रत से इतनी तरह से होगा धन लाभ
कुदरत का अद्भुत करिश्मा: एक उंगली से हिल सकती है 60 टन की यह चट्टान!
माउंट आबू/जोधपुर.राजस्थान का कश्मीर कहलाने वाला माउंट आबू वैसे तो दुनियाभर में अपनी लाजवाब खूबसूरती के लिए जाना जाता हैं| यहां की नक्की झील हो या फिर सनसेट पॉइंट, सभी सैलानियों को सहसा ही आकर्षित कर लेते हैं| लेकिन यहां का एक ऐसा आकर्षण भी है जिसे शायद कम लोग ही जानते होंगे|
माउंट आबू के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शामिल एक अधरशिला|वैसे तो स्पष्ट हो रहा है,यह कोई अस्थिर पत्थर होगा| लेकिन चौंकाने वाली बात है इस चट्टान का वजन, इस चट्टान का वजन है लगभग 60 टन| इस भारी-भरकम चट्टान की विशेषता यह है कि कोई भी व्यक्ति इसे अपने एक हाथ से हिला सकता है|और इसकी यह विशेषता कुदरती ही है|
यह अधरशिला यहां कब आई और कैसे आई यह कोई नहीं जानता लेकिन कुदरत के इस अद्भुत नज़ारे को देखने दूर-दूर से सैलानी आते रहते हैं|लोग इस अधरशिला पर बैठकर झूला झूलते हैं, डांस करते हैं और इस अद्भुत चट्टान को देख आश्चर्यचकित होते हैं|
न कोई सेलेब्रीटी, न कोई अजूबा, जन्म लेते ही ख़बरों में छाया यह बच्चा
नई दिल्ली. खान मार्केट-केंद्रीय सचिवालय के बीच रविवार सुबह मेट्रो ट्रेन में एक महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। 27 वर्षीय जूली नामक गर्भवती महिला अपने पति एवं देवर के साथ बदरपुर स्टेशन से सफदरजंग हॉस्पिटल जाने के लिए मेट्रो ट्रेन में सवार हुई थी
जूली महिला कोच में सफर कर रही थी, जबकि उसका पति संजीत सिंह और देवर महिला कोच से ठीक पीछे वाले कोच में सफर कर रहे थे। जवाहर लाल मेट्रो स्टेशन पहुंचने से पहले जूली को दर्द शुरू हो गया।
कोच में मौजूद डीएमआरसी की कर्मियों सहित अन्य महिला सहयात्रियों को समझने में देर नहीं लगी कि कुछ ही पलों में यह गर्भवती महिला बच्चे को जन्म दे देगी।
महिलाओं ने जूली के पति संजीत को बुलाकर हालात की सूचना दी। डिलिवरी का वक्त करीब आता देख इन महिलाओं ने अपने दुपट्टों को गर्भवती के चारों तरफ बांध दिया।
कुछ महिलाएं जूली को फर्श पर लिटाकर उसकी मदद करने लगीं। इसी दौरान मौके पर मौजूद डीएमआरसी की महिला कर्मियों ने इस बाबत केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन प्रभारी को सूचना देकर सभी तैयारियों के लिए भी कह दिया।
सुबह करीब साढ़े सात बजे मेट्रो ट्रेन खान मार्केट मेट्रो स्टेशन से केंद्रीय सचिवालय के बीच थी, तभी जूली ने एक बच्ची को जन्म दिया। केंद्रीय सचिवालय पहुंचते ही डीएमआरसी के अधिकारियों ने युवती व नवजात बच्ची को राम मनोहर लोहिया अस्पातल के लिए रवाना कर दिया।
अस्पताल पहुंचने के बाद बच्ची के इलाज में आ रही अड़चनों को मेट्रो अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद दूर किया जा सका। डीएमआरसी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अनुज दयाल के अनुसार अस्पताल में जच्चा और बच्चा दोनों पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।
अस्पताल प्रशासन प्राथमिकता के आधार पर दोनों का इलाज कर रहा है। डीएमआरसी प्रमुख मंगू सिंह ने कहा है कि इलाज के दौरान जच्चा और बच्चे पर जो भी खर्च आएगा, उसे डीएमआरसी द्वारा वहन किया जाएगा।
पहले पत्नी को कुल्हाड़ी से काटा, उसके बाद फाड़ा अपना पेट
भानपुरी थाना क्षेत्र के सिवनी निवासी मन्नुराम ने गुरुवार की देर रात शराब के नशे में 36 वर्षीया पत्नी बुधबरी बाई की हत्या कुल्हाड़ी मार कर दी थी। शुक्रवार को गिरफ्तारी के बाद रात भर उसे थाने के हवालात में रखा गया था। शनिवार को न्यायालय में पेश करना था। शनिवार की सुबह उसने हवालात में खुद को ब्लेड मार लिया। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए बस्तर के एसडीएम ने उसका म़ृत्यु पूर्व बयान लिया।
जेल जाने डर गया था :
हास्पिटल में भर्ती मन्नुराम ने बताया पत्नी उसकी बात नहीं मनाती थी। ऐसे में नशे में उससे हत्या हो गई। नशा उतरने पर उसके मन में जेल जाने का डर समा गया था इसी के चलते उसने ब्लेड से अपना पेट काट लिया।
कुएं के पास से उठाया : भानपुरी टीआई एसएन शुक्ला ने बताया कि मनुराम को कुछ जवान सुबह 7.30 के आस पास मुंह-हाथ धुलवाने के लिए थाने के निकट स्थित कुएं के पास ले गए। इसी दौरान उसने यहां किसी के द्वारा फेंके गए ब्लेड को हाथों की उंगलियों के बीच छिपा लिया था। थोड़ी देर के बाद उसे वापस हवालात में डाल दिया गया और उसने यहीं पेट काट लिया।
क्या आप जानते हैं राष्ट्रीय ध्वज का जन्मदिन कब मनाया जाता है?
रविवार को लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 323-जी 1 ने रीगल सर्कल पर तिरंगे का जन्मदिन सेलिब्रेट किया। रमेश काबरा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ध्वज की पूजा की गई। इसके बाद राष्ट्रगान गाया गया। इस मौके पर 5,100 छोटे राष्ट्रीय ध्वज भी लोगों को दिए गए। इसके साथ 3,100 पैम्पलेट बांटे गए। इनमें राष्ट्रध्वज की कहानी बताई गई है। श्री काबरा ने बताया कि सेलिब्रेशन का यह चौथा साल है। उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षो में स्कूल के बच्चों और समाजसेवियों को भी इस सालाना सेलिब्रेशन से जोड़ेंगे। संयोजक संजय बाकड़ा थे। आभार राम ऐरन ने माना।
पोस्टर से बताया इतिहास
क्लॉथ मार्केट वैष्णव बाल मंदिर में स्टूडेंट्स ने राष्ट्रीय ध्वज दिवस मनाया। इस मौके पर स्टूडेंट्स ने ध्वज के इतिहास को पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया। नन्ही बालिकाओं ने ध्वज के सम्मान से जुड़े सारे रूल्स फॉलो करने की शपथ ली। प्रिंसिपल सुषमा बड़जात्या ने ध्वज के महत्व को बताते हुए उसका सम्मान बनाए रखने के लिए बच्चों को मोटीवेट किया।
'शरीयत और सूफीवाद के खिलाफ है फिल्म की सफलता की दुआ मांगना'
दीवान आबेदीन ने बयान जारी कर बताया ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती आध्यात्मिक संत थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन कुरान और इस्लामी शरीयत को आत्मसात करके लोगों को कानूने शरीअत के मुताबिक जिंदगी बसर करने का संदेश दिया।
दीवान ने कहा कि इस्लाम में नाच गाने, चित्र, चलचित्र, अश्लीलता को हराम करार दिया गया है। गरीब नवाज ने लोगों को इन सामाजिक बुराइयों से दूर रहकर शरीयत के मुताबिक इबादत इलाही में व्यस्त रहने की हिदायत दी। आज गरीब नवाज के मिशन को दरकिनार करके उनके दरबार में इन गैर शरई कार्यो के लिए मन्नतें मांगी जा रही हैं । फिल्में रिलीज करने से पहले मजार पर पेश की जाकर फिल्म की कामयाबी के लिए दुआएं की जा रही हैं।
व्यवसायिकता, प्रचार के लिए इस्तेमाल
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि इस पवित्र स्थल का इस्तेमाल आस्था और अकीदत के बजाय केवल व्यवसायिकता, प्रचार प्रसार और ख्याति प्राप्त करने के लिए किया जाना गलत एवं नाजायज है। इसलिए फिल्मी हस्तियों निर्माता और निर्देशकों को धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले ऐसे किसी भी कार्य से परहेज करना चाहिए।
नाजायज कार्यो के लिए नहीं मांगें दुआ
आबेदीन का कहना है कि वे बॉलीवुड कलाकारों या फिल्म कारोबार से जुड़े लोगों के खिलाफ नहीं हैं। फिल्मों की सफलता के लिए न सिर्फ ख्वाजा साहब की दरगाह पर बल्कि किसी अन्य मजहब के धर्म स्थल पर भी इस तरह मन्नतें नहीं मांगनी चाहिए, क्योंकि किसी भी धर्म में नाजायज करार दिए गए कार्यो के लिए इस तरह की इजाजत नहीं है।
सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा
-दरगाह दीवान का यह बयान सस्ती लोकप्रियता पाने का हथकंडा मात्र है। तीन चीजें हैं जो सबको स्पष्ट होना चाहिए। पहली बात यह कि जो भी जायरीन आता है उसके जियारत का हक केवल खादिमों को है। इसमें दीवान का कोई रोल नहीं होता। गरीब नवाज खुदा के वली हैं और उनका आस्ताना हर मजहब के लिए खुला है। जिसने भी जो भी मांगा यहां से मिला है।
तीसरा यह कि दीवान हमेशा अपने आपको दरगाह का हैड शो करना चाहते हैं, जबकि दरगाह ख्वाजा साहब एक्ट के मुताबिक खादिम, दरगाह दीवान और दरगाह कमेटी के अपने कार्यक्षेत्र हैं। एक्ट के मुताबिक दरगाह दीवान कमेटी के मुलाजिम हैं और 200 रुपए महीना उनका वेतन हैं। हैड सिर्फ ख्वाजा गरीब नवाज हैं।
बरसों से यहां सेलिब्रिटी, राजनीतिज्ञ और वीवीआईपी जियारत को आ रहे हैं। मशहूर अभिनेता राजकपूर अपनी फिल्म को रिलीज करने से पहले पेटी दरबार में लाते रहे हैं। दिलीप कुमार दरगाह कमेटी के सदस्य रह चुके हैं। महबूब ने अजमेर में ही कोठी बना ली थी। जब भी जियारत को आते वे यहां रुकते थे और अब ए आर रहमान ने भी यहां कोठी खरीद ली है। यह सब अकीदत के मामले हैं।
सैयद सरवर चिश्ती, पूर्व सचिव व विपक्षी गुट के अगुवा, अंजुमन सैयदजादगान
जायरीन की मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दें
-ख्वाजा साहब का दरबार सभी 36 कौमों के लिए है। हर आदमी अपनी अकीदत से यहां आता है। उसकी मन्नत और दुआ पर आपत्ति सही नहीं है। दीवान को इस तरह के मुद्दे उठाने के बजाय जायरीन की मूलभूत सुविधाओं की ओर ध्यान देना चाहिए।
एस नसीम अहमद चिश्ती, सहसचिव, अंजुमन शेखजादगान
यहां भेदभाव नहीं
-ख्वाजा साहब के दरबार में कोई भेदभाव नहीं है। हर आने वाला अपनी मुराद लेकर आता है। यह दिल के मामले हैं और दिल पागल होता है। ये दीवान का मीडिया स्टंट मात्र है।
सैयद कुतुबुद्दीन सखी, खादिम
किसान और पुलिस में खूनी संघर्ष, जयपुर-दिल्ली हाइवे जाम
राजस्थान रोडवेज की एक बस सहित चार बसें, दर्जनभर मोटरसाइकिलें, एक ट्रोला, एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी और गढ़ी बोलनी चौकी आग के हवाले कर दी गई। जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग जाम रहा। अलवर जिले के शाहजहांपुर कस्बे में वाहनों की कतारें लगी रहीं। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े, पानी की बौछार की, लाठीचार्ज और फायरिंग भी की।
एक बार तो पुलिस ने किसानों पर काबू पा लिया, लेकिन जब ग्रामीणों ने पत्थरबाजी शुरू की और घरों से लाठियां लेकर आगे बढ़े तो पुलिसकर्मियों ने भागना पड़ा। देर शाम तक स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई थी। हाइवे पर चारों ओर आग की लपटें उठ रही थीं।
मामले को देखते हुए पांच जिले से करीब ढाई हजार पुलिस के जवान व आईटीबीपी के जवान बुलाए गए हैं। पुलिस ने हशनवास से कसौला चौक हाईवे को सील कर दिया है। रात करीब आठ बजे सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के तरफ से भेजे प्रतिनिधि के आश्वासन पर किसानों ने रात में हाइवे से कब्जा हटाने को कहा है, लेकिन महासभा जारी रखेंगे।
राष्ट्रपति चुनाव में पन्द्राह सांसद और चालीस विधायक नाकाबिल साबित हुए इनके वोट रिजेक्ट होने से इनकी पोल खुली
दर्द से कराहती रही प्रसूता, आंखों से बह रहे थे आंसू लेकिन डॉक्टरों का दिल ना पिघला
उदयपुर. प्रसूताओं को जननी सुरक्षा योजना में घर से अस्पताल और प्रसव के बाद पुन: अस्पताल से घर जाने के लिए वाहन की नि:शुल्क सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है। कोटड़ा अस्पताल में क्षेत्र की एक प्रसूता को अन्य अस्पताल में रेफर करने के बाद डेढ़ घंटे तक एंबुलेंस की सुविधा मुहैया नहीं हो पाई। बाद में परिजन अपने स्तर पर जीप किराए पर लेकर प्रसूता को अस्पताल ले गए।
नयावास निवासी सीता पत्नी मीरा खेर को प्रसव के लिए शनिवार को कोटड़ा सीएचसी लाया गया था। जहां से रविवार को उसकी हालत गंभीर बताते हुए रेफर कर दिया गया। परिजनों ने जननी सुरक्षा योजना के तहत सरकारी स्तर पर गाड़ी मुहैया करवाने की मांग की। लेकिन अस्पताल के डॉक्टरों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और प्रसूता डेढ़ घंटे तक दर्द से कराहती रही। प्रसव पीड़ा के कारण उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
बाद में उपखंड अधिकारी मोहनलाल वर्मा को घटनाक्रम से अवगत करवाया गया। एसडीएम की ओर से कोई व्यवस्था होती, इससे पहले ही परिजन अपने स्तर पर जीप किराए पर उसे गुजरात ले गए। इसके बाद उपखंड अधिकारी वर्मा ने अस्पताल के चिकित्सकों से जानकारी भी प्राप्त की। डॉक्टरों का कहना था कि उसका बच्चा उल्टा हो गया था, इस कारण उसे रेफर किया गया, परिजन उसे गुजरात ले जाना चाह रहे थे, इस कारण उसे एंबुलेंस मुहैया नहीं करवाई जा सकी।
सूचना ली गई थी
मामले की सूचना मिलते ही मैंने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर जानकारी ली थी। चिकित्सकों का कहना था कि उसका बच्चा उल्टा हो गया था। वे गुजरात जाना चाहते थे, इस कारण उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं करवाई जा सकी।
मोहन लाल वर्मा, उपखंड अधिकारी कोटड़ा
प्रेमी युगल के कपड़े उतारे, पेड़ से बांधा, बाल काटे और पुलिस को भी पीटा
उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में एक प्रेमी युगल के साथ ज्यादती का सनसनीखेज मामला सामने आया है। ग्रामीणों ने प्रेमी युगल को नंगा करके पेड़ से बांधा और बाल काट दिए। मौके पर पीड़ितों को छुड़ाने पहुंची पुलिस टीम पर भी पथराव किया गया। घटना में 20-25 पुलिसकर्मी भी घायल हुए है।
मामला उदयपुर के सराड़ा उपखंड क्षेत्र के पाल सराड़ा के करकोली गांव का है। यहां से पंद्रह दिन पहले भागी विवाहिता और उसके प्रेमी को ग्रामीण पकड़ कर लाए फिर दोनों को पेड़ से बांधकर उनकी पिटाई की। बाल काट दिए। महिला के कपड़े उतार दिए। पुलिस के बीच बचाव करने पर ग्रामीणों ने विरोध स्वरूप पथराव किया, जिससे मौके पर मौजूद 20 से 25 पुलिस कर्मी व अन्य घायल हो गए।
ककोली निवासी विवाहिता दुर्गा पत्नी हामजी उसके पड़ोस में रहने वाले अविवाहित युवक प्रकाश पुत्र भीमजी के साथ पंद्रह दिन पहले घर से भाग गई थी। दोनों ग्रामीण रविवार को खेरवाड़ा व कल्याणपुर के बीच किसी स्थान से पकड़ कर कोलर गांव के लिंबाथड़ा लाए। यहां दोनों को अलग अलग पेड़ों से बांध दिए। दोनों के बाल काटे महिला के कपड़े उतार दिए। बाद में किसी ने महिला को साड़ी ओढ़ाई।
इस बीच सूचना पर पहुंचे प्रशिक्षु थानेदार महेश कुमार ने दोनों को छुड़वाने का प्रयास किया तो ग्रामीणों ने उनका जमकर विरोध किया। बाद में सूचना पर मय जाप्ता पहुंचे सराड़ा थानाधिकारी शिव प्रकाश टेलर ने दोनों को मुक्त करवा कर थाने ले जाने का प्रयास किया तो जीप में बिठाने से पूर्व ही ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया।इससे वहां मौजूद पुलिस कर्मी व अन्य को चोटें आई।
ग्रामीणों का कहना था विवाहिता के भागने और लाने के संबंध में उन्होंने थाने में किसी प्रकार का कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया। वे पुलिस कार्रवाई के बजाय जाति पंचायत में फैसला करना चाहते हैं। पुलिस जबरन हस्तक्षेप कर दोनों को सराड़ा थाने लाई है। गांव में दोनों पक्षों व ग्रामीणों के बीच वार्ता का दौर जारी है।
संगमा ने प्रणब को दी बधाई लेकिन चुनाव प्रक्रिया पर उठाए सवाल
नई दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव हारे एनडीए के उम्मीदवार पीए संगमा ने राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया पर कई प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं। प्रणब मुखर्जी की जीत के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए संगमा ने कहा कि प्रणब मुखर्जी की जीत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर हम परसों मुलाकात करके पूरी स्थिति का जायजा लेंगे और फिर कोई फैसला लिया जाएगा।
संगमा ने यह भी कहा कि इस बार राष्ट्रपति चुनावों में आर्थिक पैकेजों की भूमिका महत्वपूर्ण रही। यही नहीं कई मुख्यमंत्रियों को उनके खिलाफ चल रहे मामलों का उल्लेख देकर धमकी भी दी गई।
मीडिया को संबोधित करते हुए संगमा ने कहा, 'मैं श्री प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति चुनावों में जीत पर बधाई देता हूं। मैं राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए चुने जाने पर अपने सभी समर्थकों का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं बीजेपी, अकाली दल, एडीआईएमके, जनता दल और अन्य सभी दलों को भी शुक्रिया अदा करता हूं। मैं श्री नवीन पटनाइक और श्रीमती जयललिता का दिल से शुक्रिया करना चाहता हूं क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले मेरी उम्मीदवारी का समर्थन किया।' संगमा ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं और अपना समर्थन करने वाले अन्य नेताओं का भी शुक्रिया अदा किया।
संगमा ने कहा, 'मैं भले ही चुनाव हार गया हूं लेकिन देश ने आदिवासियों के साथ खड़े होने का अवसर खो दिया है। हमारे देश का राष्ट्रपति राजनीति से ऊपर समझा जाता है लेकिन राष्ट्रपति चुनाव नहीं। इस बार राष्ट्रपति चुनाव पूरी तरह राजनीतिक थे। इलेक्टोरल कॉलेज का महत्वपूर्ण हिस्सा रहीं कई पार्टियों को आर्थिक पैकेज भी दिए गए। मैं महसूस करता हूं कि लोकसभा, विधानसभा और राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनावों में स्वच्छता और स्वतंत्रता की जरूरत है। जिस तरह से इलेक्टोरल कॉलेज को प्रभावित करने के लिए आर्थिक पैकेज दिए गए और धमकियां दी गईं वो किसी से छुपा नहीं है।