तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
31 अगस्त 2011
खेल के नाम पर जनता के विशवास के साथ खेल
मेरे संघर्ष को भी 1 दिन मान्यता मिलेगी'
एक मामले की नियमित सुनवाई के सिलसिले में पहुंचीं शर्मिला ने अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा, "केंद्र सरकार ने अन्ना हजारे को सच्चा भारतीय नागरिक माना और उनकी मांगें मान लीं। मुझे विश्वास है कि एक दिन सरकार मुझे और मानवाधिकार हनन के खिलाफ मेरे संघर्ष को मान्यता देगी।"
एक पुलिस वैन में अदालत परिसर से निकलते हुए उन्होंने कहा,"मैं अन्ना से अपील करना चाहूंगी कि वह मणिपुर आएं और अपनी आंखों से देखें कि यहां क्या हो रहा है।"
मणिपुर की लौह महिला मानी जाने वाली शर्मिला ने अपने घर के समीप एक बस पड़ाव पर सेना द्वारा 10 लोगों को मार गिराने की घटना को अपनी आखों से देखने के बाद अपना अनशन दो नवम्बर 2000 को शुरू किया था।
वह अब 40 वर्ष की हो चुकी हैं। अनशन शुरू करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें आत्महत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें एक जेल के अस्पताल में भेज दिया गया जहां उन्होंने रोजाना की तरह अनशन शुरू कर दिया। तब उन्हें नाक के जरिए तरल पदार्थ दिया गया। यह सिलसिला 11 साल से चल रहा है।
स्थानीय अदालत शर्मिला को बार-बार रिहा करती है,लेकिन जेल से बाहर निकलने के बाद वह फिर अनशन पर बैठ जाती हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।
केंद्र सरकार 3 संस्थाओं से करा रही कालेधन का अध्ययन
जयपुर।केंद्र सरकार ने दावा किया है कि देश में तीन राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं से काले धन पर एक अध्ययन शुरू कराया है। काले धन पर केंद्र का श्वेत पत्र जारी करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। यह जानकारी वित्त मंत्री की ओर से भाजपा के राज्यसभा सदस्य रामदास अग्रवाल के सवाल के लिखित जवाब में दी गई है।
जवाब में बताया गया है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है, जो देश में काले धन के सृजन, उसके विदेश में अवैध अंतरण को रोकने और उसकी वसूली के लिए कानूनों को सुदृढ़ करने के तरीकों की जांच करेगी। समिति अवैध रूप से सृजित धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने और ऐसी संपत्तियों की जब्ती और वसूली के लिए कानून बनाने के साथ दंड की व्यवस्था करने पर विचार कर राय देगी। अग्रवाल ने ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी ग्रुप के आकलन के अनुसार 462 बिलियन डालर को वापस लाने के लिए कोई समिति गठित करने की जानकारी चाही थी।
लोकतंत्र को मर्यादित रखने की अपील : रामदास अग्रवाल ने कहा कि राज्य विधानसभा में अध्यक्ष ने भाजपा के भवानी सिंह राजावत के निलंबन को अनुचित ठहराते हुए कहा कि अगर सजा देनी है तो फिर दोनों पक्षों के सदस्यों को भी देनी चाहिए। किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि दूसरे पक्ष ने महिलाओं के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया, उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पक्ष कोई भी हो इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि सदन चले, इसीलिए ऐसे कारनामे करवा रही है।
नदी में बही बस, कुछ यूं बचाया गया लोगों को
सिरोही/ जयपुर।सनवाड़ा आर. मार्ग पर सुग्रीवेश्वर महादेव मंदिर के निकट सुकली नदी पर बनी रपट के ऊपर भूला से आ रही एक निजी बस बुधवार सुबह 7 बजे नदी में तेज बहाव के कारण पलट गई। ग्रामीणों और पुलिस ने तीन घंटे की मशक्कत के बाद यात्रियों की जान बचाई। हादसे में 10 जने घायल हुए हैं।
महापौर देर से आईं तो गुस्साए नमाजी
किशोरपुरा ईदगाह पर नमाज के बाद यहां सामाजिक संगठनों व राजनीतिक लोगों की तरफ से नमाजियों का स्वागत किया जाता है। निगम की ओर से भी इसके बाद ईद मिलन समारोह आयोजित किया जाता है। बुधवार को नमाज के बाद शहर काजी सुबह 11 बजे निगम के समारोह में पहुंच गए लेकिन, महापौर डॉ. रत्ना जैन वहां नहीं थी। नगर निगम के आयुक्त भवानीसिंह पालावत, आरडी मीणा, घनश्याम खटूमरा तथा सीएफओ संजय शर्मा व अन्य कर्मचारी मौजूद थे। महापौर को इसकी सूचना दे दी गई। महापौर करीब 11.45 बजे वहां पहुंची। समारोह में शहर काजी ने तकरीर की। कार्यक्रम में स्थानीय पार्षद शरीफ पठान, मोहम्मद इमरान सहित अन्य लोग मौजूद थे।
शहर काजी के सम्मान के लिए गई थी
महापौर डॉ. रत्ना जैन ने कहा कि घर में रोठ तीज की बड़ी पूजा थी। इसलिए पहले मेरा कार्यक्रम में जाना तय नहीं था लेकिन, जब पता चला कि शहर काजी पहुंच गए हैं और वहां न तो सीईओ हैं और न ही डिप्टी मेयर। इस पर मैं शहर काजी के सम्मान के लिए तुरंत घर से निकल पड़ी। रास्ते में तीन जगह पुलिस की बैरिकेडिंग थी और ट्रैफिक भी रुका हुआ था। इसलिए पहुंचने में आधे घंटे का वक्त लगा।
शीतकालीन सत्न में पेश होगा जन लोकपाल बिल'
इन्दौर.विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे और सरकार के बीच मध्यस्थता करने वाले आध्यत्मिक संत भय्यू महाराज ने मंगलवार को कहा कि संसद के शीतकालीन सत्न में जन लोकपाल बिल प्रस्तुत कर दिया जाएगा। उन्होंने आन्दोलन के प्रारम्भ में अन्ना को तिहाड़ जेल भेजने के निर्णय को गलत बताया।
भय्यू महाराज इन्दौर प्रेस क्लब में पत्नकारों से कहा कि अन्ना हजारे के आंदोलन की शुरूआत में जो गलतियां हुई। जिनमें अन्ना को तिहाड़ जेल भेजना भी शामिल हैं,के कारण उनका आंदोलन इतना लम्बा चला।
कभी माडल रहे आध्यात्मिक संत ने स्वीकार किया कि यह उनके लिए एक नया क्षेत्न था। वे अन्ना के तमाम बिन्दुओं पर अध्ययन कर के गए थे।
क्या जन लोकपाल बिल से भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा,यह पूछे जाने पर उन्होनें कहा कि यह सही है ऐसा नही होगा। विधेयक या आंदोलन से इसे नही रोका जा सकता। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वह कृषि क्षेत्न के लिए भी पूरक बजट प्रस्तुत करे,जिसमें कृषि उत्पादन बढाने की ठोस नीति है।
भय्यू महाराज ने कहा कि सेवा क्षेत्न में आज सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। उनके अनुसार मनुष्य में इच्छा शक्ति का अभाव है वह अपनी आवश्यकता की पूर्ति को ध्यान में रख कर समझौतावादी हो जाता है और इससे ही भ्रष्टाचार बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए देश में तमाम कानून हैं।
अन्ना के आंदोलन को जन भावना को जागृत करने वाला आंदोलन बताते हुए उन्होंने प्रधानमंत्नी मनमोहन सिंह को सबसे ईमानदार और चरित्नवान व्यक्ति बताया। उनके अनुसार सरकार का रूख सकारात्मक है। उन्होंने आशा जताई कि संसद के शीतकालीन सत्न में यह विधेयक पेश हो जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की भूमिका को लेकर पूछे गए सवाल को वह टाल गए।
सांड ने कुछ यूं मचाया उत्पात कि घरों में कैद होकर रह गए लोग
सांड ने जिस किसी को देखा, उसके पीछे दौड़ पड़ा। करीब दो घंटे तक चले घटनाक्रम को भास्कर फोटो जर्नलिस्ट ऋषभ जैन ने कैमरे में कैद किया।
(1) सोनी जी की बाड़ी की सड़क पर बेकाबू दौड़ता सांड।
(2) जिस किसी ने घर से बाहर कदम रखने की कोशिश की उसे घर में बंद होने को मजबूर किया।
(3) सामने आए सांड से भिड़ गया।
(4) रेस्क्यू टीम ने पकड़ने की कोशिश की तो सींग मारकर ट्रैक्टर पलटने की कोशिश की। मगर वे उसे किसी तरह काबू में कर पकड़ने में सफल हुए।
!! जय श्रीगणेश !!
गणेश स्थापना व पूजा के मुहूर्त
गुरुवार-(मुहूर्त चौघड़िया अनुसार)
सुबह 6.00 से 7.30, शुभ,
सुबह 10.30 से 12.00, चर,
दोपहर 12.00 से 1.30, लाभ
दोपहर 1.30 से 3.00 अमृत
शाम 4.30 से 6.00 शुभ
शाम 6.30 से .9.00 लाभ, अमृत
श्रेष्ठ मुहूर्त दोपहर 12 से 1.30 व शाम 6 से 7.30 तक।
वक्रतुंड
अर्थ : मुड़ी हुई सूंड वाले। इनका वाहन सिंह है। यह ईष्र्या, जलनरूपी राक्षस (मत्सरासुर) को मारते हैं।
एकदंत
अर्थ : एक दांत वाले। परशुराम जी से युद्ध में एक दांत टूटा। यह नशारूपी राक्षस (मदासुर) को मारते हैं।
महोदर
अर्थ : बड़े पेट वाले। इनका वाहन मूषक है। यह मोहरूपी राक्षस (मोहासुर) का विनाश करने वाले हैं।
गजानन
अर्थ : हाथी के जैसे मुखवाले। इनका वाहन मूषक है। यह लालचरूपी राक्षस (लोभासुर) को मारने वाले हैं।
लंबोदर
अर्थ : लंबे पेटवाले। इनका वाहन भी मूषक है। यह क्रोधरूपी राक्षस (क्रोधासुर) का नाश करते हैं।
विकट
अर्थ : भयंकर। दुष्टों के संहार के लिए यह रूप लिया। वाहन मयूर है। कामरूपी राक्षस (कामासुर) का संहार करते हैं।
विघ्नराज
अर्थ : विघ्नों का नाश करने वाले। यह ममतारूपी राक्षस (मैं होने का भाव) के नाशक हैं। इनका वाहन शेषनाग है।
धूम्रवर्ण
अर्थ : धुएं के रंगवाले। इनका वाहन मूषक है। यह अभिमान रूपी राक्षस (अभिमानासुर) को मारने वाले हैं।
एक से आठ तक गणेश....गणेश चतुर्थी पर सभी भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई
प्रथम पूज्य। विश्व के पहले आशुलिपिक (महर्षि वेदव्यास ने जिस तेजी से महाभारत के श्लोक बोले, गणेश जी ने उतनी ही तेजी से लिखे भी)। एकदंत नाम से स्तुति।
दो पत्नियां रिद्धि-सिद्धि, दो पुत्र लाभ-क्षेम, दो मुद्राओं वर और अभय से भक्तों का कल्याण करते हैं।
तीन लोक के स्वामी। मस्तक पर त्रिपुंड। तीनों देव ब्रrा-विष्णु-महेश से पूजित। तीनों गण देव-मनुष्य-राक्षस के स्वामी।
चार पुरुषार्थ धर्म-अर्थ- काम-मोक्ष के दाता। चतुभरुज। देवता-नर- असुर-नाग के स्थापक। चारों वेदों के आधार। चतुर्थी को जन्म। चतुर्थी ही इनकी प्रिय तिथि।
पांच देवों (मां दुर्गा-गणेश जी-ब्रrा-विष्णु-महेश) में प्रमुख। पंच महाभूतों में जल तत्व के देवता। शिव पंचायतन के प्रमुख देव। पंचमुखी स्वरूप। पुराणों में गणेशजी के पांच सेवक प्रसिद्ध।
छह भुजाओं (षड्भुजरूप) में गदा, अंकुश, पाश, खड्ग, लड्डू और चक्र धारण करते हैं। जापान में यह रूप पूजा जाता है। गाणपत्य संप्रदाय के छह भेद हैं।
सात सदस्यों (दो पत्नियां, दो पुत्र, माता-पिता, भाई कार्तिकेय) का परिवार। योग शास्त्र वर्णित सात चक्रों में पहले मूलाधार चक्र के प्रतीक। सात अक्षर मंत्र गणपतये नम:।
आठ अवतार हैं। अष्टविनायक महाराष्ट्र के। छंद शास्त्र के आठ गणों के अधिष्ठाता। शक्तिशिव कृत गणाधीश स्त्रोत और वाल्मीकि ने काव्याष्टक के माध्यम से गणोशजी की आठ-आठ श्लोकों में वंदना की।
ये जगह है बिल्लियों की जन्नत
उस दौर में साइप्रस में भारी सूखा पड़ा था। पूरे शहर में सांपों की भरमार हो गई थी। लोग सांपों के डर से ये आईलैंड छोड़कर जाने लगे और मोनेस्ट्री का निर्माण मुश्किल हो गया था। ऐसे में सेंट हेलेना ने सांपों से लड़ने के लिए मिस्र और फिलिस्तीन से एक हजार बिल्लियां मंगवाई थीं। अगले कुछ सालों तक बिल्लियों ने अपना काम किया और ये इलाका कैट्स पैनिनसुला कहलाने लगा। खाने के समय संत घंटी बजाकर बिल्लियों को बुलाते थे। पूरे यूरोप से लोग इनके दर्शन करने आने लगे।
एक संत द्वारा लिखित प्राचीन दस्तावेजों से पता चलता है कि उनके शरीर के कुछ हिस्से नहीं होते थे। कुछ बिल्लियों की आंखें नहीं थीं। ये सांपों से लगातार लड़ने का नतीजा था। फादर स्टीफेन डे लूसिग्नन ने लिखा था कि 1580 में बायजैंटाइन संतों को इसके आसपास की जमीन दान में दी गई थी। इसके बदले उन्हें सौ बिल्लियों की देखभाल करना थी और दो वक्त खाना देना था।
तुर्किश हमलों के दौरान ये मोनेस्ट्री नष्ट कर दी गई थी और संतों को मार दिया गया था। बिल्लियां द्वीप पर भूखी-प्यासी भटकने लगीं। आज भी वहां हजारों बिल्लियां हैं और लोग उनका शुक्रिया अदा करते हैं। 1983 में ये मोनेस्ट्री फिर से बनाई गई है।
थानेदार ने अपराधी से कहा- ‘पुलिस आ रही है भाग जा’
जोधपुर। गैंगस्टर दिनेश मांजू की हत्या के आरोपियों को तलाश रही बाड़मेर पुलिस को उस समय गहरा झटका लगा जब ओसियां थानेदार लाखाराम ने ही फोन कर आरोपी को भगा दिया। लेकिन चार दिन बाद ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया। अपराधी को सावचेत करने वाला थानेदार अब मामले में फंसता नजर आ रहा है।
अनुसंधान में कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। थानेदार की करतूत नहीं पकड़ी जाती यदि कालू का फोन बाड़मेर पुलिस ने इंटरसेप्ट नहीं किया होता। दोनों के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड हो गई। फोन की रिकॉर्डिग सुन कर बाड़मेर एसपी संतोष चालके ने थानेदार की शिकायत आईजी उमेश मिश्रा से की। मामले की जांच एएसपी फलौदी को सौंपी गई है। भास्कर की पड़ताल में यह खुलासा हुआ।
मामला आठ माह पुराना है, नव वर्ष की पार्टी के दौरान बाड़मेर में गैंगस्टर दिनेश मांजू की हत्या कर दी गई थी। पुलिस को संदेह था कि इसमें कुख्यात अपराधी कालू उर्फ गुलाब का हाथ हो सकता है। इसी लिहाज से बाड़मेर पुलिस उसे पकड़ने जोधपुर आ रही थी, लेकिन बाड़मेर छुट्टी पर गए ओसियां थानेदार लाखाराम ने उसे फोन कर सावचेत कर दिया। कालू भाग निकला और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। थानेदार की करतूत नहीं पकड़ी जाती यदि कालू का फोन बाड़मेर पुलिस ने इंटरसेप्ट नहीं किया होता। दोनों के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड हो गई। फोन की रिकॉर्डिग सुन कर बाड़मेर एसपी संतोष चालके ने थानेदार की शिकायत आईजी मिश्रा से की।
इसकी जांच एएसपी फलौदी केसरसिंह से करवाई जा रही है। यह अलग बात है कि कालू के खिलाफ पुलिस को कोई हत्या के सबूत नहीं मिले, लेकिन उसका रिकॉर्ड आपराधिक रहा है। पुलिस और अपराधी के बीच सांठ-गांठ का यह मामला कई और खुलासे कर सकता है। बाड़मेर एसपी संतोष चालके की शिकायत पर आईजी उमेश मिश्रा ने एएसपी फलौदी को इसकी जांच सौंपी है।
अरुंधति ने तिरंगा और वंदे मातरम को बांटने वाला बताया, अन्ना को कहा ‘खाली बर्तन’
नई दिल्ली. अरुंधति रॉय ने अन्ना हजारे के आंदोलन पर हमला बोलते हुए राष्ट्रगीत वंदे मातरम और राष्ट्रीय झंडे को सांप्रदायिक और बांटने वाला करार दिया है। रवींद्र नाथ टैगोर का हवाला देते हुए रॉय ने कहा, '1937 में टैगोर ने कहा था कि यह अनुचित राष्ट्रगीत है, यह बांटता है। अरुंधति के मुताबिक वंदे मातरम का लंबा सांप्रदायिक इतिहास रहा है। ऐसे में भीड़ जब यह नारा लगाती है तो इसका क्या मतलब है? जब आप उपनिवेश के खिलाफ नारे लगाते समय हाथ में राष्ट्रीय झंडा उठाते हैं तो इसका एक मतलब है लेकिन जब आप एक तरह से आज़ाद हैं, तो आप लोगों को बांटते हैं, जोड़ते नहीं हैं।'
एक टीवी चैनल से बातचीत में अन्ना पर निशाना साधते हुए मशहूर लेखिका ने कहा, 'अन्ना का आंदोलन इसलिए अहिंसक था क्योंकि पुलिस डरी हुई थी और उसने लाठियां नहीं उठाईं। इस आंदोलन के पहले दौर में मंच की पृष्ठभूमि में भारत माता की तस्वीर लगी थी लेकिन दूसरे चरण में इसकी जगह गांधी जी की फोटो ने ले ली। वहां पर इस तरह की कई चीजें थीं, जो बेहद खतरनाक हैं। इसके अलावा क्या आप यह सोच सकते हैं कि गांधी जी किसी अनशन के बाद एक निजी अस्पताल में इलाज करवाते? एक ऐसा निजी अस्पताल जो राज्य सत्ता द्वारा गरीबों के इलाज के हक को छीन लेने का प्रतीक है।'
बुकर पुरस्कार विजेता अरुंधति ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की जमकर आलोचना की है। अरुंधति ने जनलोकपाल बिल को भी बेहद खतरनाक कानून करार दिया है जिसकी मांग अन्ना हजारे और उनकी टीम कर रही है। लेखिका ने अन्ना को ‘खाली बर्तन’ कहकर उनका मजाक भी उड़ाया।
रॉय ने कहा कि जनलोकपाल बिल में भी काफी कमियां है, लेकिन इसे जबरदस्ती थोपा नहीं जा सकता है, ऐसा नहीं है कि सरकारी लोकपाल बिल भी पूरी तरह से सही है, लेकिन इस मसले को आम राय से संसद में सुलझाना होगा न कि भीड़ इकट्ठा करने के बाद अनशन करके।
अरुंधति ने कहा, ‘जनलोकपाल पर संसद में सहमति बनने पर सभी खुश हैं और लोग इसे जीत करार दे रहे हैं। मैं भी इस पर खुश हूं क्योंकि मुझे लगता है कि जनलोकपाल बिल अपने मौजूदा स्वरुप में संसद से पास नहीं हो सकता। इसकी कई वजहें भी हैं। सबसे पहला तो यह कि यह कानून मेरे मुताबिक बेहद खतरनाक है।’
अरुंधति ने कहा, ‘मेरा मानना है कि अन्ना हजारे खाली बर्तन की तरह हैं जिसमें आप अपनी मर्जी के मुताबिक पानी भर सकते हैं। वह गांधी की तरह नहीं हैं जो सार्वजनिक जीवन में अपने आप में एक खासी शख्सियत थे। अन्ना हजारे अपने गांव के लिए खास हो सकते हैं लेकिन अभी हाल में जो कुछ हुआ उसमें उनका कोई योगदान नहीं था।'
अरुंधति ने कहा कि अन्ना कौन हैं, उनका किन लोगों से जुड़ाव रहा है और उन्होंने पहले क्या किया है, उसे लोग जानते हैं।’
इससे पहले एक अखबार में लिखे लेख में रॉय ने लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जुट करने के लिए अन्ना के तरीके और अभियान को गलत बताया था।
उन्होंने अन्ना पर सवाल उठाते हुए कहा कि हजारे अपने गृहराज्य महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या पर मौन क्यों हैं? रॉय ने लिखा कि अन्ना के तरीके भले ही गांधीवादी हों, लेकिन मांगें सही नहीं हैं। उनके अनशन का मकसद सिर्फ नया लोकपाल बिल पारित करवाना है।
‘अरुंधति रॉय कहती हैं कि फोर्ड फाउंडेशन ने अन्ना हजारे को आर्थिक मदद की। मैं यह जानना चाहता हूं कि लोगों की हत्या करने के लिए गिलानी को कौन पैसे देता है जिसकी वो समर्थक हैं।’ - अशोक पंडित, फिल्मकार
लोकपाल: समिति से हटे मनीष तिवारी, अब लालू-अमर की बारी?
नई दिल्ली. अन्ना हजारे को बुरा-भला कहकर बाद में माफी मांगने वाले कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने लोकपाल बिल पर विचार करने वाली स्थायी संसदीय समिति से खुद को अलग रखने का फैसला किया है। लुधियाना से सांसद मनीष तिवारी ने पत्रकारों से कहा, ‘मैंने खुद को पैनल से अलग रखने का फैसला किया है। मैं मजबूत लोकपाल बिल के पक्ष में हूं।’
टीम अन्ना ने कांग्रेस नेता और लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी के इस समिति में होने पर ऐतराज जताया था। तिवारी ने अन्ना हजारे को खुले आम भ्रष्ट बताया था और 'तुम' कह कर संबोधित किया था। हालांकि उन्होंने करीब 10 दिन बाद इसके लिए माफी मांग ली थी। मनीष तिवारी स्पेक्ट्रम मामले में बनी साझा संसदीय समिति के भी सदस्य हैं।
बुधवार को इस 31 सदस्यीय समिति का कार्यकाल खत्म हो रहा है। समिति के पास विचार के लिए लोकपाल बिल के 9 मसौदे आए हैं। इन पर विचार कर उसे अपनी सिफारिशें अक्टूबर तक सौंपनी है। इसके मद्देनजर समिति के पुनर्गठन की अहमियत बढ़ गई है।
सूत्र बताते हैं कि समिति के जो सांसद जन लोकपाल बिल के खिलाफ राय रखते हैं, उन्हें आगे समिति में जगह नहीं मिले, इसके लिए लॉबीइंग भी की गई है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और पूर्व सपा नेता अमर सिंह भी इन्हीं सांसदों में से हैं।
समिति के सदस्य का नाम पार्टियां ही तय करती हैं। ऐसे में राजद अध्यक्ष खुद को समिति में रखते हैं या किसी और का नाम देते हैं, इस पर नजर है। लालू के खिलाफ अदालत ने चारा घोटाले में चार्जशीट दाखिल करने की इजाजत दे रखी है। ऐसे में अगर वह खुद को समिति के लिए नामित करते हैं, तो इसका विरोध भी हो सकता है।
अमर सिंह सपा में नहीं हैं। 'कैश फॉर वोट' मामले में दिल्ली पुलिस ने हाल में अमर सहित 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया है। सपा उन्हें संसदीय समिति से बाहर करने की मांग करती रही है। ऐसे में अमर सिंह का समिति में बने रहना शायद ही संभव हो।
टीम अन्ना भी लालू और अमर सिंह के संसदीय समिति में होने पर सवाल उठाती रही है। अन्ना हजारे के करीबी सहयोगी अरविंद केजरीवाल तो उनके समिति में होने का मजाक उड़ाते हुए कहते रहे हैं कि लालू और अमर जैसे नेता भ्रष्टाचार रोकने वाले लोकपाल बिल के भविष्य का फैसला करेंगे। ऐसे में इन दोनों नेताओं की समिति में मौजूदगी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
उम्मीद है कि कानून और न्याय मामलों की इस स्थायी संसदीय समिति की अध्यक्षता कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी के पास ही रहेगी। सूत्र बताते हैं कि पार्टियां संसदीय समिति में अपने उन्हीं नेता को रखना चाहेंगी जो अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद लोकपाल पर पार्टी का रुख मजबूती से रख सकें और सिविल सोसाइटी के दबाव का भी बखूबी सामना कर सकें।
गणेश चतुर्थी पर सभी को हार्दिक बधाई ....कल इस शुभ मुहूर्त में करें श्रीगणेश की स्थापना
हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य मुहूर्त देखकर किए जाने का विधान है। इसी विधान के अनुसार श्रीगणेश चतुर्थी(1 सितंबर, गुरुवार) को भगवान श्रीगणेश की स्थापना के श्रेष्ठ मुहूर्त इस प्रकार हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार शुभ मुहूर्त देखकर किए गए कार्य शुभ व सफल होते हैं।
सुबह 6:20 से 7:50 तक- शुभ
दोपहर 12:20 से 1:30 तक- लाभ
शाम 4:50 से 6:20 तक- शुभ
इनके अतिरिक्त वृश्चिक लग्न में (सुबह 11:44 से दोपहर 1:30 ) तथा कुंभ लग्न में (शाम 5:52 से 7: 03) भी भगवान श्रीगणेश की स्थापना की जा सकती है क्योंकि यह दोनों स्थिर लग्न है। इन लग्नों में किया गया कोई भी शुभ कार्य स्थाई होता है।
भगवान श्रीगणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
अन्धन को आंख देत कोढिऩ को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
हार चढ़े फुल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डïूवन का भोग लगे संत करे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
दीनन की लाज रखो, शंभू पुत्र वारी।
मनोरथ को पूरा करो, जय बलिहारी।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।।
श्रीगणेश स्थापना व पूजन में रखें ये सावधानिया
1 सितंबर, गुरुवार को गणेश चतुर्थी है। इस दिन घर-घर भगवान श्रीगणेश की स्थापना की जाती है। हमारे धर्म ग्रंथों में इस संबंध में कई नियम बताए गए हैं। यदि इन नियमों के अनुसार भगवान श्रीगणेश की स्थापना व पूजन प्रतिदिन करें व कुछ सावधानियों को ध्यान रखें तो श्रीगणेश पूजन का मनोवांछित फल मिलता है। यह नियम व सावधानियां इस प्रकार हैं-
1- जहां पर भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें उस स्थान को प्रतिदिन साफ करें वहां कचरा इत्यादि न जमा हो पाए।
2- भगवान की रोज करें। सुबह-शाम दीपक व भोग लगाएं तथा आरती करें।
3- धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रीगणेश को तुलसी न चढ़ाएं।
4- श्रीगणेश की स्थापना ईशाण कोण में करें। स्थापना इस प्रकार करें कि श्रीगणेश की मूर्ति का मुख पश्चिम की ओर रहे।
5- स्थापना स्थल पर मृतात्माओं का चित्र न लगाएं।
6- स्थापना स्थल के ऊपर कोई कबाड़ या वजनी चीज न रखें।
7- दुर्वा व ताजे फूल चढ़ाएं तो बेहतर रहेगा।
8- स्थापना स्थल पर पवित्रता का ध्यान रखें जैसे- चप्पल पहनकर कोई स्थापना स्थल तक न जाए, चमड़े का बेल्ट या पर्स रखकर कोई पूजा न करें आदि।
9- किसी भी प्रकार का नाश करके स्थापना स्थल पर न जाएं।
10- स्थापना के बाद श्रीगणेश की प्रतिमा को इधर-उधर न रखें यानी हिलाएं नहीं।
11- स्थापना स्थल के समीप बैठकर किसी धर्म ग्रंथ का पाठ रोज करेंगे तो शुभ फल मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने चेताया- और होंगे अन्ना जैसे आंदोलन, जनता सिखाएगी सबक
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी है कि उसे अन्ना हजारे के हालिया आंदोलन जैसे और आंदोलनों का सामना करना पड़ेगा। एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एचएल दत्तू की पीठ ने इशारों ही इशारों में उन सांसदों को निशाने पर लिया, जिन्होंने कुछ दिन पहले न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे।
पीठ ने टिप्पणी की, 'हमने कुछ ज्ञानी पुरुषों को यह विचार व्यक्त करते हुए सुना कि न्यायपालिका का स्तर गिर गया है। ऐसे लोगों को छत पर खड़े होकर चिल्लाने दीजिए कि न्यायपालिका का स्तर गिर गया है।'
जजों ने सरकार पर यह कहते हुए निशाना साधा कि जन लोकपाल के लिए अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान जैसा हुआ, उसी तरह 'जनता उसे सबक सिखाएगी'। दरअसल, पीठ ने एक तरह से सरकार को आगाह किया कि उसे इस तरह के और आंदोलनों का सामना करना पड़ सकता है और स्थिति बदतर हो सकती है।
पीठ ने यह टिप्पणी केंद्र सरकार की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की। याचिका गौहाटी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने विभिन्न सरकार कर्मचारियों को बढ़े हुए वेतन ढांचे का फायदा देने का आदेश दिया है।
बेंच ने एडीशनल सॉलिसीटर जनरल पीपी मल्होत्रा को कहा, 'सरकारी अफसर पूरी सूचना नहीं देते और न ही वकीलों को पूरी जानकारी देते हैं। और दस साल लगाइए। जनता आपको सबक सिखाएगी। तीन दिन पहले आपने इसका प्रमाण देख लिया है। अब स्थिति और खराब होगी।'