जोधपुर। गैंगस्टर दिनेश मांजू की हत्या के आरोपियों को तलाश रही बाड़मेर पुलिस को उस समय गहरा झटका लगा जब ओसियां थानेदार लाखाराम ने ही फोन कर आरोपी को भगा दिया। लेकिन चार दिन बाद ही पुलिस के हत्थे चढ़ गया। अपराधी को सावचेत करने वाला थानेदार अब मामले में फंसता नजर आ रहा है।
अनुसंधान में कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। थानेदार की करतूत नहीं पकड़ी जाती यदि कालू का फोन बाड़मेर पुलिस ने इंटरसेप्ट नहीं किया होता। दोनों के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड हो गई। फोन की रिकॉर्डिग सुन कर बाड़मेर एसपी संतोष चालके ने थानेदार की शिकायत आईजी उमेश मिश्रा से की। मामले की जांच एएसपी फलौदी को सौंपी गई है। भास्कर की पड़ताल में यह खुलासा हुआ।
मामला आठ माह पुराना है, नव वर्ष की पार्टी के दौरान बाड़मेर में गैंगस्टर दिनेश मांजू की हत्या कर दी गई थी। पुलिस को संदेह था कि इसमें कुख्यात अपराधी कालू उर्फ गुलाब का हाथ हो सकता है। इसी लिहाज से बाड़मेर पुलिस उसे पकड़ने जोधपुर आ रही थी, लेकिन बाड़मेर छुट्टी पर गए ओसियां थानेदार लाखाराम ने उसे फोन कर सावचेत कर दिया। कालू भाग निकला और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। थानेदार की करतूत नहीं पकड़ी जाती यदि कालू का फोन बाड़मेर पुलिस ने इंटरसेप्ट नहीं किया होता। दोनों के बीच हुई बातचीत रिकॉर्ड हो गई। फोन की रिकॉर्डिग सुन कर बाड़मेर एसपी संतोष चालके ने थानेदार की शिकायत आईजी मिश्रा से की।
इसकी जांच एएसपी फलौदी केसरसिंह से करवाई जा रही है। यह अलग बात है कि कालू के खिलाफ पुलिस को कोई हत्या के सबूत नहीं मिले, लेकिन उसका रिकॉर्ड आपराधिक रहा है। पुलिस और अपराधी के बीच सांठ-गांठ का यह मामला कई और खुलासे कर सकता है। बाड़मेर एसपी संतोष चालके की शिकायत पर आईजी उमेश मिश्रा ने एएसपी फलौदी को इसकी जांच सौंपी है।
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