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उस दौर में साइप्रस में भारी सूखा पड़ा था। पूरे शहर में सांपों की भरमार हो गई थी। लोग सांपों के डर से ये आईलैंड छोड़कर जाने लगे और मोनेस्ट्री का निर्माण मुश्किल हो गया था। ऐसे में सेंट हेलेना ने सांपों से लड़ने के लिए मिस्र और फिलिस्तीन से एक हजार बिल्लियां मंगवाई थीं। अगले कुछ सालों तक बिल्लियों ने अपना काम किया और ये इलाका कैट्स पैनिनसुला कहलाने लगा। खाने के समय संत घंटी बजाकर बिल्लियों को बुलाते थे। पूरे यूरोप से लोग इनके दर्शन करने आने लगे।
एक संत द्वारा लिखित प्राचीन दस्तावेजों से पता चलता है कि उनके शरीर के कुछ हिस्से नहीं होते थे। कुछ बिल्लियों की आंखें नहीं थीं। ये सांपों से लगातार लड़ने का नतीजा था। फादर स्टीफेन डे लूसिग्नन ने लिखा था कि 1580 में बायजैंटाइन संतों को इसके आसपास की जमीन दान में दी गई थी। इसके बदले उन्हें सौ बिल्लियों की देखभाल करना थी और दो वक्त खाना देना था।
तुर्किश हमलों के दौरान ये मोनेस्ट्री नष्ट कर दी गई थी और संतों को मार दिया गया था। बिल्लियां द्वीप पर भूखी-प्यासी भटकने लगीं। आज भी वहां हजारों बिल्लियां हैं और लोग उनका शुक्रिया अदा करते हैं। 1983 में ये मोनेस्ट्री फिर से बनाई गई है।
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