एक मामले की नियमित सुनवाई के सिलसिले में पहुंचीं शर्मिला ने अदालत के बाहर पत्रकारों से कहा, "केंद्र सरकार ने अन्ना हजारे को सच्चा भारतीय नागरिक माना और उनकी मांगें मान लीं। मुझे विश्वास है कि एक दिन सरकार मुझे और मानवाधिकार हनन के खिलाफ मेरे संघर्ष को मान्यता देगी।"
एक पुलिस वैन में अदालत परिसर से निकलते हुए उन्होंने कहा,"मैं अन्ना से अपील करना चाहूंगी कि वह मणिपुर आएं और अपनी आंखों से देखें कि यहां क्या हो रहा है।"
मणिपुर की लौह महिला मानी जाने वाली शर्मिला ने अपने घर के समीप एक बस पड़ाव पर सेना द्वारा 10 लोगों को मार गिराने की घटना को अपनी आखों से देखने के बाद अपना अनशन दो नवम्बर 2000 को शुरू किया था।
वह अब 40 वर्ष की हो चुकी हैं। अनशन शुरू करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें आत्महत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें एक जेल के अस्पताल में भेज दिया गया जहां उन्होंने रोजाना की तरह अनशन शुरू कर दिया। तब उन्हें नाक के जरिए तरल पदार्थ दिया गया। यह सिलसिला 11 साल से चल रहा है।
स्थानीय अदालत शर्मिला को बार-बार रिहा करती है,लेकिन जेल से बाहर निकलने के बाद वह फिर अनशन पर बैठ जाती हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।
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