कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न पर रोकने के लिए कानून लाया जा रहा है लेकिन यह छेड़छाड़ रोक पाने में असमर्थ है। इसलिए जब तक इस पर कानून नहीं बनता तब तक सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें दिशा निर्देशों का पालन करेंगी।
30 नवंबर को यह फैसला देते हुए जस्टिस के.एस राधाकृष्णन की पीठ ने कहा कि काम और पढाई के सिलसिले में छात्राएं व महिलाओं बाहर निकल रही हैं। उन्हें सुरक्षा देना जरुरी हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि हर नागारिक को एक्ट 21 के तहत सम्मान व गरिमा के साथ जीवन जीने का मौलिक हक़ है।
यौन उत्पीडन जैसे छेड़छाड़ एक्ट 14 व 15 के तहत दी गयी गारंटियों का भी उल्लंघन हैं। कार्यस्थल पर छेड़छाड़ रोकने के लिए संसद में एक बिल पर विचार हो रहा हैं, इससे पहले छेड़छाड़ के मामले में कानून बने इसकी भयानकता कम करने के लिए प्रयास हो सकते है।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश-
- सार्वजनिक स्थल जैसे- रेलवे स्टेशन, मॉल, पार्क, बस अड्डे पर सादे कपड़ों में महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती
- सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये जायें
- शिक्षा संस्थान, पूजा स्थल, बस स्टेशन व प्रभारी परिसर में छेड़छाड़ की घटना की जानकारी पुलिस को तुरंत दें
- बस में छेड़छाड़ होने पर चालक व कर्मचारी बस पुलिस थाने में ले जाकर सूचना दें ।
- राज्य सरकार 3 महीने के अन्दर महिला हेल्प लाइन जारी करें
- शहर में हर जगह महिला छेड़छाड़ संबधित दंड का बोर्ड लगवाएं
- राहगीरों पर भी इसकी जिम्मेदारी रहेगी कि वह ऐसे मामलों में पुलिस को सूचित करें ।
- जिला कलेक्टर व एसपी सम्बद्ध मुख्यालय मामले में दिशा निर्देश जारी करें।