हिन्दूग्रंथ रामचरितमानस के मुताबिक जब शिव भक्ति के घमण्ड में चूर काकभुशुण्डि गुरु का उपहास करने पर भगवान शंकर के शाप से अजगर बने। तब गुरु ने ही अपने शिष्य को शाप से मुक्त कराने के लिए शिव की स्तुति में रुद्राष्टक की रचना की। गुरु के तप व शिव भक्ति के प्रभाव से यह शिव स्तुति बड़ी ही शुभ व मंगलकारी शक्तियों से सराबोर मानी जाती है। साथ ही मन से सारी परेशानियों की वजह अहंकार को दूर कर विनम्र बनाती है।
शिव की इस स्तुति से भी भक्त का मन भक्ति के भाव और आनंद में इस तरह उतर जाता है कि हर रोज व्यावहारिक जीवन में मिली नकारात्मक ऊर्जा, तनाव, द्वेष, ईर्ष्या और अहं को दूर कर देता है।
सरल शब्दों में यह पाठ इसलिए किसी भी दिन रुद्राष्टक का पाठ धर्म और व्यवहार के नजरिए से शुभ फल ही देता है।
यह स्तुति सरल, सरस और भक्तिमय होने से शिव व शिव भक्तों को बहुत प्रिय भी है। धार्मिक नजरिए से शिव पूजन के बाद इस स्तुति के पाठ से शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)