हिंदू महीने की प्रत्येक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी
चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के लिए जो व्रत किया जाता है उसे गणेश
चतुर्थी व्रत कहते हैं। जो भी यह व्रत करता है, भगवान श्रीगणेश उसकी हर
इच्छा पूरी करते हैं। इस बार गणेश चतुर्थी व्रत 2 दिसंबर, रविवार को है। यह
व्रत इस विधि से करें-
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त हों।
- शाम के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।
- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास ही रखें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।
- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
- चंद्रमा के उदय होने पर पंचोपचार पूजा करें व अध्र्य दें तत्पश्चात भोजन करें।
व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त हों।
- शाम के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।
- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास ही रखें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।
- पूजा में भगवान श्री गणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
- चंद्रमा के उदय होने पर पंचोपचार पूजा करें व अध्र्य दें तत्पश्चात भोजन करें।
व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर श्री गणेश की कृपा से मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।
सुन्दर बात
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