हाँ वोह तुम ही तो थीं
जिसने
मुझे झकझोर कर कहा था
मुझे तुम से प्यार है ..मुझे तुमसे प्यार है ..
हाँ तुम ही तो थीं
जिसका चेहरा मुझे देखकर
गुलाब की तरह खिल उठता था
हाँ तुम ही तो थीं
जो तुम मेरी एक झलक देखने भर को तड़प उठती थीं
हाँ वोह तुम ही तो थीं
जो होल से मेरे बालों को सहला कर मुस्कुरा देती थी
हाँ वोह तुम ही थीं
मुझे देखते ही
जिसके चेहरे पर ताजगी
जिसकी मुस्कुराहट में खनखनाहट
जिसकी आवाज़ में मिठास आ जाती थी
लेकिन आज
जब में तुम्हारी इस अदा को
मुझ से प्यार करना समझ बेठा
में भी तुम्हारी अदा पर मर मिटा
तब इस बीच मंझधार में
तुम मुझ से कहती हो
मुझे तुमसे प्यार नहीं मुझे तुमसे प्यार नहीं
वोह तो बस एक भटकाव था
जो किसी के मिल जाने से खत्म हो गया है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
जिसने
मुझे झकझोर कर कहा था
मुझे तुम से प्यार है ..मुझे तुमसे प्यार है ..
हाँ तुम ही तो थीं
जिसका चेहरा मुझे देखकर
गुलाब की तरह खिल उठता था
हाँ तुम ही तो थीं
जो तुम मेरी एक झलक देखने भर को तड़प उठती थीं
हाँ वोह तुम ही तो थीं
जो होल से मेरे बालों को सहला कर मुस्कुरा देती थी
हाँ वोह तुम ही थीं
मुझे देखते ही
जिसके चेहरे पर ताजगी
जिसकी मुस्कुराहट में खनखनाहट
जिसकी आवाज़ में मिठास आ जाती थी
लेकिन आज
जब में तुम्हारी इस अदा को
मुझ से प्यार करना समझ बेठा
में भी तुम्हारी अदा पर मर मिटा
तब इस बीच मंझधार में
तुम मुझ से कहती हो
मुझे तुमसे प्यार नहीं मुझे तुमसे प्यार नहीं
वोह तो बस एक भटकाव था
जो किसी के मिल जाने से खत्म हो गया है ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सुन्दर प्रस्तुति !!
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