दोस्तों खोज खबर स्प्ष्ट है के भाजपा और उससे जुड़े समर्थक संगठन कभी भी गांधी परिवार के हत्यारों के खिलाफ नहीं रहे है ,,,,,,,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने वालों को भाजपा और समर्थित विचारधारा आज भी महिमामंडित करती आयी है ,,फिर इंदिरा गांधी के हत्यारे ,,,बेअंत सिंह के खिलाफ कभी भाजपा नहीं बोली झूंठे रस्मन भी नही बोली बल्कि बेअंत की फांसी का विरोध करने वाले अकाली दल को अपना सारथी और साथी बना रखा है ,,इसी तरह से अब राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी की सज़ा माफ़ी और फिर उनकी रिहाई का मामला है लेकिन भाजपा की चुप्पी संदिग्ध है ,इससे स्प्ष्ट होने लगा है के भाजपा का आतंकवाद के खिलाफ दोहरा नज़रिया है गांधी परिवार के लोगों के हत्यारों का प्रत्य्क्ष अप्रतयक्ष समर्थन ,,बाक़ी के मामले में चीख पुकार वाह भाजपा वाह आतंकवाद का विरोध करने का दोहरा सलीक़ा रखने वाली पार्टी अजब पार्टी ,,पार्टी के पदाधिकारी और सो कोल्ड प्रधानमंत्री के उम्मीदवार जी आपकी चुप्पी इन मुद्दों पर आपकी विचारधारा की पोल खोलती है वाह साहब वाह ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 फ़रवरी 2014
मुकेश अंबानी से चंदा लेने पर AAP के नेता और प्रवक्ता के अलग-अलग सुर
नई दिल्ली. आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है
कि अगर मुकेश अंबानी की ओर से उनकी पार्टी को चंदा मिले तो इसे लेने में
पार्टी को कोई दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने कहा है कि मुकेश अंबानी के चंदे पर
भी सामान्य प्रक्रिया लागू होगी। अगर दस लाख रुपए से कम चंदा हुआ तो इसे
मुंबई के लोग (पार्टी के) सीधे स्वीकार कर सकते हैं और अगर रकम ज्यादा
हुई तो पार्टी की पीएसी इस पर फैसला लेगी।
दिलीप पांडे, प्रवक्ता, आप ने कहा, 'हमें ऑनलाइन कोई भी
व्यक्ति चंदा देता है तो हम उसे ट्रैक नहीं कर सकते। चाहे वह मुकेश अंबानी
ही क्यों न हों। सबसे बड़ा सवाल यह है कि 'क्लीन मनी' हो। जिस व्यक्ति के खिलाफ हम संघर्ष कर रहे हैं उससे चंदा मिलेगा तो हम उसे वापस कर देंगे।'
योगेंद्र यादव का यह बयान तब आया है जब पार्टी ने मुकेश अंबानी के खिलाफ अभियान चला रखा है।
मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल उनके खिलाफ
एफआईआर तक करवा चुके हैं। केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि केंद्र की सरकार
मुकेश अंबानी ही चला रहे हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि मोदी को वोट देने
का मतलब होगा अंबानी को वोट देना और फिर पांच साल तक वही राज करेंगे।
राजीव के हत्यारों की रिहाई पर जयललिता का अल्टीमेटम, राहुल ने जताया दुख
चेन्नई. राजीव गांधी की हत्या के सात दोषियों को रिहा किया जाएगा। तमिलनाडु में जयललिता सरकार की कैबिनेट ने यह फैसला लिया है। राज्य सरकार ने इस पर मंजूरी के लिए केंद्र को केवल तीन दिन का वक्त दिया है। वहीं, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि वह मौत की सजा के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि देश के पीएम के हत्यारों को रिहा किए जाने का फैसला दुख पहुंचाने वाला है। राजीव गांधी के हत्यारों की फांसी को उम्रकैद में बदलने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद यह पहला मौका है, जब राहुल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि हत्यारों की रिहाई का फैसला लेने का राज्य सरकार को हक ही नहीं है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन दोषियों (संतन, मुरुगन और पेरारिवलन) की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में तब्दील करने का फैसला सनाया था। इसके एक दिन बाद जयललिता सरकार ने दोषियों की रिहाई का फैसला लिया। इस फैसले की जानकारी खुद मुख्यमंत्री ने विधानसभा में दी। (पढ़ें- सजा-ए-मौत पर बहस)
गौरतलब है कि राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते समय तमिल आतंकियों ने कर दी थी। अभियुक्तों को टाडा कोर्ट ने जनवरी 1998 में दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी।
कौन-कौन होंगे रिहा?
नलिनी, संतन, मुरुगन और पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्र।
जल्दबाजी क्यों?
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जयललिता के विरोधी डीएमके प्रमुख करुणानिधि ने दोषियों की रिहाई का मुद्दा उठाया था। इसलिए जयललिता ने बिना देर किए इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने के मकसद से रिहाई का फैसला ले लिया। बुधवार को जयललिता ने कैबिनेट की आपात बैठक बुला कर फैसला लिया और विधानसभा में इसकी घोषणा भी कर दी।
जयललिता ने डीएमके की निंदा की: जयललिता ने डीएमके पार्टी द्वारा राजीव गांधी के हत्यारों की तत्काल रिहाई की मांग पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 2000 में तमिलनाडु में करुणानिधि के शासनकाल में राज्यपाल और राष्ट्रपति के द्वारा इनकी दया याचिकाओं को ठुकरा दिया गया था। क्या उस समय की सरकार ने इस पर पुनर्विचार की मांग उठाई थी? यह कैबिनेट के निर्णय के द्वारा हो सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
जयललिता ने 2011 में राज्य विधानसभा के द्वारा राजीव गांधी के
हत्यारों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए प्रस्ताव
पारित कराया था।
कांग्रेस ने किया विरोध: कांग्रेस के विधायक जेडी प्रिंस
विधानसभा में खड़ा होकर मुख्यमंत्री जयललिता के फैसले का विरोध करते हुए
कुछ कह रहे थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वी धनपाल ने ऐसा करने की अनुमति
नहीं दी। कांग्रेस के दो अन्य सदस्य जॉन जैकब और एन आर रंगराजन भी कुछ कहने
के लिए उठे थे। अध्यक्ष ने उन्हें भी अनुमति नहीं दी। कांग्रेस पार्टी के
तीनों सदस्य नारे लगाते हुए बाद में सदन से बाहर चले गए।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
दक्षिण की राजनीति के जानकार आर. राजगोपालन (वरिष्ठ पत्रकार) के मुताबिक यह
फैसला लोकसभा चुनाव में फायदा उठाने के मकसद से लिया गया है। मंगलवार को
सु्प्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद डीएमके अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने
दोषियों की रिहाई की मांग की थी। उन्होंने कहा था, 'सु्प्रीम कोर्ट के
फैसले से मैं खुश हूं, लेकिन उनकी रिहाई हो जाए तो मुझे दोगुनी खुशी होगी।'
सुप्रीम कोर्ट के वकील केटीएस तुलसी ने कहा, 'राज्य सरकार का
फैसला स्वागत योग्य है। अगर उन्हें उम्रकैद हुई होती तो वे काफी पहले
छूट चुके होते। अगर जेल में उनका व्यवहार किसी रूप में आपत्तिजनक नहीं था
तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर सरकार को रिहाई का फैसला लेना ही
पड़ता और यह अच्छी बात है कि तमिलनाडु सरकार ने यह फैसला जल्दी ले
लिया।'
रामजेठ मलानी
मशहूर वकील और राज्यसभा सांसद रामजेठ मलानी ने कहा, ' जयललिता का
फैसला बिल्कुल ठीक है। आप किसी को जिंदगी और मौत के बीच लटका कर नहीं रख
सकते हैं।'
राजगोपालन ने बताया कि राज्य सरकार को राज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी और उनकी मंजूरी मिलने के बाद रिहाई हो जाएगी। यह एक सप्ताह में हो सकता है।
केटीएस तुलसी ने बताया कि राज्यपाल मंजूरी देने से पहले केंद्र सरकार से परामर्श कर सकते हैं।
जयललिता ने कहा कि उनके कैबिनेट के द्वारा लिए गए निर्णय को केंद्र
सरकार के पास भेजा जाएगा क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी ने राजीव गांधी की
हत्या के संबंध में सीआरपीसी की धारा 435 के तहत केस दर्ज किया हुआ है।
अगर, तीन दिनों के अंदर में केंद्र सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं आया
तो राज्य सरकार सीआरपीसी की धारा 432 के अनुसार इन सभी सातों आरोपियों को
रिहा कर देगी।
प्रतिक्रियाएं
वित्त मंत्री, पी. चिदंबरम: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की
हत्या में शामिल अभियुक्तों की रिहाई को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए,
और ना ही इसके द्वारा न्याय का माखौल उड़ाया जाना चाहिए। जहां तक मेरा
मानना है - अभियुक्तों को रिहा करने का आदेश कोर्ट का था ना कि किसी
राजनीतिक पार्टी का।
एमडीएमके अध्यक्ष वाइको ने फैसले को ऐतिहासिक और साहसिक कदम बताया। उन्होंने देश-विदेश में रहने वाले तमिलों और जयललिता को बधाई दी।
वकील युग मोहित चौधरी के अनुसार, ये अभियुक्त तभी रिहा हो सकते
हैं, जब इस संबंध में केंद्र सरकार से सलाह लिया जाए, क्योंकि अभियुक्तों
के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी ने केस दायर किया है। जिन अभियुक्तों को
आजीवन कारावास की सजा हुई है, वे 14 वर्षों के कारावास के बाद रिहा हो सकते
हैं। जहां तक इस संबंध में राज्य सरकार की बात है तो इसमें कहीं से भी
राजनीति नहीं नजर आ रही है। प्रत्येक राज्य सरकार को यह अधिकार है कि वो
आजीवन कारावास की सजा पाए अभियुक्तों को समय से पहले रिहा कर सकता है।
राज्य सरकार के पास इसका पूरा अधिकार है।
मां खुश
जयललिता सरकार के रिहाई के फैसले का पेरारिवलन की मां अरपुथाम्मल ने
कहा, 'अम्मा (जयललिता) एक मां का दर्द समझती हैं और उन्होंने मेरे दुखों का
अंत किया है। मैं मुख्यमंत्री जयललिता से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर उन्हें
इसके लिए हार्दिक धन्यवाद देना चाहती हूं।'
अन्ना बोले- ममता बनर्जी की पार्टी का नहीं, सिद्धांतों का समर्थन कर रहा हूं
नई दिल्ली. जनलोकपाल बिल के लिए जान दांव पर लगा देने वाले
अन्ना हजारे ने ममता बनर्जी के साथ हाथ मिला लिया है। बुधवार को दोनों ने
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। अन्ना ने कहा कि उनका समर्थन ममता बनर्जी के
सिद्धांतों को हैं, न कि उनकी पार्टी को। अन्ना ने बताया कि उन्होंने सभी
दलों को 17 सूत्रीय एजेंडा भेजा था, लेकिन केवल ममता बनर्जी ने ही यह
आश्वासन दिया कि अगर वह प्रधानमंत्री बनीं तो एजेंडे को अमल में लाया
जाएगा।
क्या है अन्ना हजारे के 17 सूत्रीय फॉर्मूले में
अन्ना के एजेंडे में अधिकतर मुद्दे आम आदमी के जीवनस्तर को सुधारने का
दावा करते हैं। अन्ना के एजेंडे में शामिल कुछ अहम मुद्दे ये हैं।
- ग्राम आधारित उद्योगों का विकास, गांवों को आधार बनाकर योजनाएं बने।
-खेती की जमीन के अधिग्रहण में पारदर्शिता
- राइट टू रिजेक्ट या राइट टू रिकॉल लाने के पक्ष में काम
- सांप्रदायिकता के खिलाफ कानून
- अल्पसंख्यकों की दशा सुधारने के लिए खास कानून
- काला धन वापस लाने के लिए नीति
-रिटेल में एफडीआई संबंधी नीति
- लोकपाल व लोकायुक्त का गठन
- सरकार के हर फैसले को दो साल बाद सार्वजनिक किया जाएगा
- व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा
- कृषि का नियोजन किया जाएगा।
अन्ना-ममता ने पहले किया था इन्कार
अन्ना वही हैं, जिन्होंने राजनीति में शामिल होने को लेकर अरविंद
केजरीवाल से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने कहा था कि वह कभी चुनाव प्रचार
नहीं करेंगे। और ममता बनर्जी भी वही हैं, जिन्होंने कुछ समय पहले एक टीवी
चैनल के अवॉर्ड फंक्शन में अन्ना के साथ मंच साझा करने से इनकार कर दिया
था। वहां अन्ना और ममता, दोनों को सम्मानित किया जाना था। लेकिन , ममता
जिद पर अड़ी रहीं और अन्ना के साथ मंच साझा नहीं किया।
मंगलवार को ममता ने छुए थे अन्ना के पैर
मंगलवार की रात ममता बनर्जी ने अन्ना को डिनर पर बुलाया। उन्होंने
उनके लिए खाना परोसने से पहले चार बार उनके पैर छूने की कोशिश की। अन्ना
रोकते रहे। लेकिन, ममता नहीं मानीं। चौथे प्रयास में उन्होंने उनके पैर छू
ही लिए।गायक हंसराज हंस ने कबूला इस्लाम, बेटे ने सभी रिपोर्ट्स को गलत बताया
लाहौर. पाकिस्तान की अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सूफी गायक हंसराज हंस ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है। हंस ने जल्द ही मदीना जाने की इच्छा जताई है। 'पाकिस्तान अफेयर्स' और 'यू न्यूज टीवी' नाम के न्यूज पोर्टल्स में दावा किया गया है कि हंस ने लाहौर में उनसे बात की। इसमें हंस ने कहा कि वे काफी समय से इस्लामिक साहित्य पड़ते आए हैं। उन्हें इस धर्म की मान्यताओं पर पूरा भरोसा है, इसलिए उन्होंने धर्म बदला है। अब वे मदीना जाना चाहते हैं।
लेकिन, जालंधर में उनके बेटे युवराज हंस का कहना है कि ये रिपोर्ट्स गलत हैं। उनके पिता ने धर्म नहीं बदला है। वे जालंधर में ही हैं। उनकी तबीयत थोड़ी खराब है, इसलिए अभी बात नहीं कर सकते।
मोहम्मद यूसुफ बताया जा रहा है नया नाम
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, 'हंस का नाम अब मोहम्मद यूसुफ है। उन्होंने खुद यह फैसला लिया है। लेकिन, म्यूजिक इंडस्ट्री में उनका नाम पहले की तरह हंसराज हंस ही रहेगा। वे चार दिन पहले लाहौर आए थे। यहीं उन्होंने धर्म बदला।' इसमें से भी दावा किया गया है कि हंस ने पहले ही इस्लाम कबूल करने का फैसला ले लिया था। इसके लिए वे पाकिस्तान आना चाहते थे।
कल्पेश याग्निक का कॉलम: जीने का अधिकार सिर्फ देशद्रोही हत्यारों को
एक के बाद एक जघन्य, आतंकी, निर्दोष बच्चों-महिलाओं के हत्यारे दया पाते जा रहे हैं। इससे एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है। धारा 302 का अर्थ ही हो गया है - हत्या करने के बाद माफ़ी। एक बार ध्यान से देखना आवश्यक है कि इन 23 वर्षों में राजीव गांधी के हत्यारे कैसे सबको धोखा देते रहे :
इस भीषण हत्याकांड के पीछे भारी षड्यंत्र था। श्रीलंका के लिट्टे आतंकी हमलावरों का रहस्यमय प्रवेश और मौजूदगी थी। विशेष जांच दस्ते ने एक वर्ष में ही चार्जशीट टाडा कोर्ट में दाखिल कर दी। पूरे 6 वर्ष लगा दिए कोर्ट ने। 28 जनवरी, 2008 को 26 हत्यारों को फांसी की सज़ा सुनाई गई। तभी से हत्यारों के लिए आंसू बहाए जा रहे हैं।
तभी दे दी जानी थी फांसी। अगले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों हत्यारों और चौथी नलिनी की भी फांसी बरकरार रखी। तीन की फांसी माफ कर दी। बाकी 11 को छोड़ दिया! ऐसे कैसे अफसर लगाए जो कि 11 हत्यारों के अपराध को सिद्ध ही नहीं कर पाए? कैसे अभियोजन की कार्रवाई की? कैसे वकील खड़े किए? इतने सारे हिंसक हमलावर यूं छूट जाएं - कैसे हो सकता है? किन्तु हुआ।
फिर राज्यपाल के पास दया की अर्जी भेजी इन चारों ने। हमेशा राज्यपाल, राष्ट्रपति की तरह दया दिखलाने की होड़ में रहते हैं। किन्तु उन्होंने 10 दिन में माफी खारिज कर दी। फिर 2 माह बाद ही, मद्रास हाईकोर्ट में चारों हत्यारे राज्यपाल को ग़लत ठहराने में सफल हो गए। खारिज हो गया राज्यपाल का आदेश! हाईकोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को राज्य मंत्रिमंडल से राय लेकर ही फैसला करना चाहिए। अप्रैल 2000 में लिट्टे समर्थक मुख्यमंत्री एम.करुणानिधि ने नलिनी की फांसी माफ़ करने का फैसला लिया। मुरुगन की पत्नी नलिनी का पूरा परिवार संदेह के घेरे में था। फिर बाकी तीनों की दया- केंद्र सरकार और राष्ट्रपति के लिए छोड़ दी गई। राष्ट्रपति भवन ने 11 वर्ष लगा दिए। बस, यही माफी का कारण बना।
लिट्टे विरोधी होने के बावजूद जयललिता ने केंद्र को राजनीतिक चाल में फंसा दिया है। 72 घंटे में रोको - नहीं तो मैं रिहा करती हूं। राहुल गांधी ने दुख जाहिर किया है। इन 10 वर्षों में सरकार उन्हीं की पार्टी की थी। राष्ट्रपति उन्हीं की पार्टी के थे।
प्रश्न राजीव गांधी के हत्यारों के छूटने या उस पर राजनीति का ही नहीं है। प्रश्न तो यह है कि देश में हत्यारों के प्रति दया दिखाने की होड़ मची ही क्यों है? हत्या के शिकार परिवारों के प्रति हम निर्दयी क्यों हो गए हैं? दरिंदों के मानवाधिकारों की चिंता क्यों? यदि किसी को सज़ा देनी ही नहीं है तो धारा 302 को मिटा क्यों नहीं देते? यही रहा तो लहूलुहान निर्दोष न्याय से गुहार करेंगे : मुझे जीने दो!
तेलंगाना: राज्यसभा महासचिव से हुई बदसलूकी, सोनिया ने मांगा सीमांध्र के लिए विशेष दर्जा
विज्ञापन
नई दिल्ली. तेलंगाना बिल लोकसभा में मंगलवार को जिस तरह से पास हुआ,
उसे लेकर बुधवार को दोनों सदनों में काफी विवाद हो रहा है। हंगामा के
दौरान राज्यसभा महासचिव से भी बदसलूकी की गई। बिल को बुधवार को राज्यसभा
में पेश किया जाना था। लेकिन, भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही को
गुरुवार तक के लिए स्थगित करना पड़ा। वहीं, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सीमांध्र को विशेष दर्जा राज्य का दर्जा देने की मांग की है।
सीमांध्र के सांसद लोकसभा में कल की कार्यवाही को लेकर अपना विरोध जता
रहे थे। सभापति ने बीच में सांसदों से कई बार शांति बनाए रखने की अपील भी
की, लेकिन सांसद नहीं माने। इस दौरान, टीडीपी सांसद सीएम रमेश ने राज्यसभा
के महासचिव से बदसलूकी भी की। रमेश ने उनके हाथ से कागजात छीनने की कोशिश
की। छीनाझपटी की कोशिश में उनका चश्मा भी गिर गया।
पीएम ने बीजेपी नेताओं से की मुलाकात
तेलंगाना बिल के पास कराने के तरीके को लेकर हो रहे विरोध के बीच
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीजेपी नेताओं से मुलाकात की। प्रधानमंत्री
ने बीजेपी नेताओं से बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए सहयोग करने की
अपील की। बैठक में बीजेपी नेता वैंकेया नायडू, अरुण जेटली और कांग्रेस
जयराम रमेश, सुशील कुमार शिंदे, अहमद पटेल मौजूद थे।
आंध्र प्रदेश के सीएम ने छोड़ी कांग्रेस और पद
उधर, आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री किरन रेड्डी ने सीएम, एमएलए और
कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। रेड्डी का ये फैसला कल
लोकसभा में तेलंगाना बिल पास होने के विरोध में आया है। इस पर कांग्रेस
नेता पी. चिदंबरम ने प्रतिक्रिया दी है कि कांग्रेस को पहले ही रेड्डी से
इस्तीफा ले लेना चाहिए था।
जगनमोहन ने किया बंद का आह्वान
इस बीच, वायएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र में बंद
का आह्वान किया है। राज्य के सीमांध्र क्षेत्र में लोकसभा में आंध्र प्रदेश
पुनर्गठन विधेयक 2013 के पारित होने के विरोध में बंद आयोजित किया गया।
कोटा की प्रतीभवान छात्रा कायनात खान ने अध्ययन क्षेत्र में समयपूर्व रिसर्च का कार्य कर अर्ली केरियर अचीवमेंट एवार्ड 2014 जीत कर कोटा का नाम राष्ट्रिय स्तर पर रोशन किया है ,,,
कोटा की प्रतीभवान छात्रा कायनात खान ने अध्ययन क्षेत्र में समयपूर्व रिसर्च का कार्य कर अर्ली केरियर अचीवमेंट एवार्ड 2014 जीत कर कोटा का नाम राष्ट्रिय स्तर पर रोशन किया है ,,,,,कोटा की बेटी सुश्री कायनात खान सुल्तानपुर पंचायत समिति के उप प्रधान रईस खान की दो भाइयों में इकलौती बिटिया है ,,कोटा सेंटजॉन्स स्कूल में हमेशा अव्वल आने वाली इस बिटिया ने पहले राजस्थान के टॉप महिला विषविद्द्यालय वनस्थली से एम टेक क्या और फिर स्कॉलर शिप में चयनित होकर ,,,,केंद्रीय ओषधी अनुसंधान संस्थान लखनऊं में हड्डियों की विशेष कमज़ोरी और बिमारियों का इलाज ढूंढने के लिए अपने गुरु डॉकटर नवोदित उपाध्याय साहब के अधीनस्थ पी एच डी की उपाधी का काम शुरू कर दिया ,,,आम तोर पर पी एच डी की डिग्री का काम चार साल के बाद तक पूरा नहीं होता है ,,,लेकिन रिसर्च के प्रति जुनुन के साथ महनत और लगन रखने वाली कोटा की इस बिटिया कायनात ने पूरी कायनात में वक़त से पहले रिसर्च का काम पूरा कर देश को चोंका दिया ,,,,,,,वर्ष 2014 के लिए अर्ली अचीवमेंट अवार्ड के लिए प्रविष्ठिया गयी लेकिन सभी प्रविष्टियों में से कोटा की इस बिटिया का विशसिष्ठ रूप से चयनित क्या जाकर कल लखनऊ में आयोजित एक समारोह में निदेशक एस के पूरी की तरफ से यह एवार्ड और प्रशस्ती पत्र जारी क्या गया ,,उक्त एवार्ड में दस हज़ार रूपये नक़द और विशिष्ठ प्रशस्ती पत्र दिया जाता है जो एक भव्य समारोह में वैज्ञानिक डॉकटर स्वर्ण नित्यानन्द ने दिया ,,,,,,कोटा की कायनात अब डॉकटर कायनात बन गयी है ,,,,सुल्तानपुर पंचायत समिति के प्रधान रईस खाना और उनकी पत्नी की परवरिश और बच्चो का होसला ही कहेंगे के उन्होें पढ़ाई के क्षेत्र में पीछे मुड़कर नहीं देखा दो भाई तो एम बी एक कर प्रतिष्ठित कम्पनियों में खास पॅकज पर कार्यरत है जबकी बिटिया सुश्री कायनात भी किसी से कम नहीं बल्कि सबसे अव्वल साबित हुई है ,,सुश्री कायनात राजस्थान की पहली लड़की है जिसे इस एवार्ड से नवाज़ा गया है ,,बिटिया सुश्री कायनात उसके माता पिता सहित लखनऊ केंद्रीय ओषधी अनुसंधान केंद्र के सभी छात्र छात्राओं और गुरुजनों को बधाई मुबारकबाद ,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सदस्यता लें
संदेश (Atom)