हिन्दू धर्म में देवी के 51 शक्तिपीठों में से कामाख्या या कामरूप शक्तिपीठ का सबसे अधिक महत्व है। यह भारत की उत्तर-पूर्व दिशा में असम प्रदेश के गुवाहाटी में स्थित है और कामाख्या देवी मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। पुराण के अनुसार यह देवी का महाक्षेत्र है। यह मन्दिर नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है। यह क्षेत्र कामरूप भी कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि देवी कृपा से कामदेव को अपना मूल रूप प्राप्त हुआ।
देश में स्थित विभिन्न पीठों में से कामाख्या पीठ को महापीठ माना जाता है। इस मंदिर में 12 स्तम्भों के बीच देवी की विशाल मूर्ति है। मंदिर एक गुफा में स्थित है। यहां पहुंचने का मार्ग पथरीला है, जिसे नरकासुर पथ भी कहा जाता है। मंदिर के पास ही एक कुण्ड है, जिसे सौभाग्य कुण्ड कहते हैं। इस स्थान को योनि पीठ के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब दक्ष प्रजापति द्वारा कराए यज्ञ में अपने पति शिव के अपमान से दु:खी सती ने योगाग्रि से स्वयं को भस्म कर लिया तब शिव वियोगी बन सती की मृत देह को लेकर यहां-वहां घूमने लगे। भगवान विष्णु ने उनका वियोग दूर करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती की मृत देह के टुकड़े कर दिए।
माना जाता है कि तब सती की देह का योनि अंग यही गिरा था। इसके बाद ब्रह्मदेव और भगवान विष्णु ने सती की अपार शक्ति के बारे में शिव को ज्ञान दिया। ज्ञान पाने पर भी शिव के मन से सती के अलगाव का दु:ख दूर नहीं हुआ। तब ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने देवी भगवती की प्रसन्नता के लिए इसी कामरूप स्थान पर तपस्या की। तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने शिव को वर दिया कि वे हिमवान के यहां गंगा और पार्वती के रूप में जन्म लेकर उनसे विवाह करेंगी।
यहां पर देवी का शक्ति स्वरुप कामाख्या है एवं भैरव का रुप उमानाथ या उमानंद है। उमानंद को माता का रक्षक भी माना गया है।
कामाख्या देवी मंदिर में मान्यता है कि यहां देवी को लाल चुनरी या वस्त्र चढ़ाने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं । देवी की मात्र पूजा एवं दर्शन से सभी विघ्र, कष्ट दूर हो जाते हैं। यहां कन्या पूजन की भी परंपरा है।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
25 मई 2012
चमत्कारी शक्तिपीठ, जहां गिरा सती का अंग व शिव ने छोड़ा वियोग
विवाह पंजीयन कानून में हुआ एक बड़ा संशोधन!
राज्य सरकार ने अनिवार्य विवाह पंजीकरण अधिनियम 09 में वर्ष 2011 में यह प्रावधान किया था बाल विवाह के एक माह बाद वैवाहिक पंजीयन कराया जा सकता है। इसके लिए दोनों को अपने माता व पिता को शादी के एक माह के भीतर संबंधित निकाय में सहमति का शपथ पत्र जमा कराना था। ऐसे प्रकरणों में एक माह के बाद आवेदन करने पर जुर्माना वसूलने का प्रावधान भी था। इससे बाल विवाह रोकने के लिए बने शारदा एक्ट के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े हो गए थे।
इसका व्यापक विरोध भी हुआ, यही कारण रहा कि आखिरकार सरकार को इसमें संशोधन कर बाल विवाह के एक माह बाद पंजीयन का प्रावधान अब समाप्त कर दिया है। अब जिन जोड़ों का बाल विवाह हुआ था, लेकिन वे 31 दिसबर 2005 तक बालिग हो गए हैं, तो उनकी शादी का रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।
पहले नहीं था कोई प्रावधान
पहले मैरिज अधिनियम 2009 में छोटी उम्र में हुई शादियों का रजिस्ट्रेशन करने का कोई प्रावधान नहीं था। इसकी वजह से प्रदेश भर की निकायों में सैकड़ों प्रकरण लंबित पड़े थे। नए आदेश के बाद बाल विवाह करने वालों को काफी राहत मिलेगी। संशोधन के बाद निगम करीब 200 से अधिक जोड़ों का रजिस्ट्रेशन कर भी चुकी है।
ये दस्तावेज जरूरी
शादी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए वर—वधू, दो गवाह और पंडित का शपथ पत्र पेश करना पड़ेगा। शादी का कार्ड नहीं होने पर अलग से एक शपथ पत्र देना होगा। शपथ पत्र में वर वधू को लिखना होगा कि उनका बाल विवाह हुआ था, लेकिन उनमें किसी प्रकार का मनमुटाव नहीं है और वे साथ रह रहे हैं। इसके अलावा जन्म तिथि प्रमाणित करने के लिए स्कूल अथवा जन्म का प्रमाण पत्र, स्थायी निवास के लिए राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र प्रस्तुत करना होगा।
बाल विवाह करने वाले जोड़ों को शादी का रजिस्ट्रेशन कराते समय वर्तमान के तीन संयुक्त फोटो, दोनों के अलग अलग दो फोटो पेश करने होंगे। शपथ पत्र नोटेरी से प्रमाणित होने चाहिए। आवेदन जमा कराते समय वर एवं वधू को संबंधित अधिकारी के समक्ष पेश होना पड़ेगा।
ये होंगे फायदे
1. शादी को कानूनी मान्यता मिलेगी।
2. तलाक व अन्य कानूनी मामलों में प्रमाणित दस्तावेज का कार्य करेगा।
3. सरकारी नौकरियों में मैरिज रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जरूरी होने से भर्ती में भी मिलेगा फायदा।
4. पासपोर्ट बनवाने में भी मदद मिलेगी।
संशोधित एक्ट लागू
'सरकार ने अनिवार्य विवाह पंजीयन अधिनियम 2009 एक्ट में संशोधन किए हैं। बाल विवाह करने वाले जोड़ों का बालिग होने पर विवाह का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। 31 दिसंबर 2005 के बाद बालिग होने वाले जोड़ों का रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा।'
गजेंद्र सिंह रलावता, प्रभारी विवाह पंजीयन, नगर निगम
राजस्थान में कोंग्रेस शासन के पुलिसकर्मी राहुल और महात्मागांधी का अपमान करने वालों को नहीं पकड़ते ..युवक टंकी पर चढ़े
सालों बाद तीन दुर्लभ योग लेकर आया नवतपा, क्या होगा असर
इस बार नवतपा में सालों बाद तीन दुर्लभ योग बन रहे हैं। इन योगों का असर देश-दुनिया पर पड़ेगा। हालांकि राहत देने वाली बात ये है कि नवतपा में इस बार तापमान सामान्य रहेगा। हर बार की तरह लोगों को सूर्य देव के रौद्र रूप का सामना इस बार नहीं करना पड़ेगा। इस बार नवतपा का प्रारंभ 25 मई, शुक्रवार से हो रहा है जो 3 जून, रविवार को समाप्त होगा।
ज्योतिषी पंडित विनय भट्ट के अनुसार गुरु कृतिका नक्षत्र में है। इस नक्षत्र का स्वामी सूर्य है। इन नौ दिनों में सूर्य के साथ बुध भी रोहिणी नक्षत्र में आ जाएगा। बुध, गुरु और शुक्र के प्रभाव से भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। इस साल सूर्य के साथ अन्य चार ग्रह भी वृष राशि में आ गए हैं इसलिए सूर्य के प्रभाव में कमी आएगी। रोहिणी नक्षत्र का सूर्य ज्यादा परेशान नहीं करेगा और गर्मी कम रहेगी। सूर्य के साथ गुरु का होना तथा शुक्र का भी अपनी ही राशि वृष में आना मौसम परिवर्तन का योग बनाएगा लेकिन मंगल की राहु पर दृष्टि होने से देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा।
ये बन रहे दुर्लभ योग
पं. भट्ट के अनुसार वर्तमान में राहु व केतु के कारण कालसर्प योग बन रहा है वहीं वृषभ राशि में पांच ग्रह- सूर्य, शुक्र, बुध, गुरु व केतु के होने से पंचग्रही योग बन रहा है। साथ ही इस समय सूर्य व केतु एक ही राशि में स्थित हैं तथा उन पर राहु की दृष्टि पड़ रही है जिसके कारण ग्रहण योग बन रहा है। देश-दुनिया को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला ग्रह शनि भी वर्तमान में वक्री स्थिति में है तथा मंगल के साथ राहु को देख रहा है। राहु की अपनी नीच राशि में होने से तथा उस पर शनि, मंगल की दृष्टि होने से देश-दुनिया में कोई गंभीर हादसा हो सकता है।
क्या होगा असर
सूर्य के नक्षत्र में सूर्य के साथ गुरु का होना अशुभ फल देने वाला रहेगा। वर्तमान में वृष राशि के लिए खराब समय है। चूंकि वृष राशि भारत की भी है इसलिए सरकारी तंत्र के खिलाफ जनता के मन में गुस्सा रहेगा। 29 मई से अस्त गुरु भी उदय हो जाएगा और अपना असर दिखाना शुरू कर देगा। पृथ्वी तत्व की राशि में गुरु के उदय होने से पत्थरों से बनी वस्तुओं में तेजी आएगी। ग्रहों के प्रभाव से तिलहन, धान्य और रत्नों में तेजी आएगी। सिंह का मंगल नीच राशि के राहु को देख रहा है। मंगल और राहु अंगारक योग बना रहें हैं। मंगल व राहु मिलकर कोई बड़ी परेशानी खड़ी कर सकते हैं।
घर में लगाएं ये पौधा, होगा धन लाभ और बढ़ेगा दाम्पत्य सुख
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का हर हिस्सा तथा उसमें रखी हर वस्तु वहां रहने वाले लोगों के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करती है। यहां तक कि घर में रखे फूल व पौधे भी परिवार के सदस्यों पर अपना असर डालते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कि घर में कौन से पौधे रखने से क्या असर पड़ता है-
1- घरों की सुंदरता बढ़ाने के लिए मनी प्लांट्स लगाए जाते हैं। ये शुक्र ग्रह के कारक हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार मनी प्लांट लगाने से धन लाभ तो होता ही है साथ ही पति-पत्नी के संबंध भी मधुर होते हैं।
2- फैंगशुई के अनुसार बांस के पौधे सुख व समृद्धि के प्रतीक होते हैं।
3- परिवार में यदि कोई बीमार हो तो उसके आस-पास ताजा फूल रखना शुभ होता है।
4- गुलाब, चंपा व चमेली के पौधे मानसिक तनाव व अवसाद में कमी लाते हैं। इन्हें लगाना अच्छा होता है।
5- शयन कक्ष के नैऋत्य कोण में टेराकोटा या चीनी मिट्टी के फूलदानों में सूरजमुखी के फूल लगाए जा सकते हैं। सूरजमुखी का पौधा मन में उल्लास पैदा करता है।
6- पौधे व फूलों का उपयोग घर के नुकीले कोणों व उबड़-खाबड़ जमीन को ढकने के लिए भी किया जा सकता है।
न मंदिर न कोई मूर्ति, फिर भी हर दिन होता है यहां 'चमत्कार'!
बांदा| बुंदेलखण्ड की धरती पर कई देवी-देवताओं के स्थान हैं और उनसे जुड़ी लोगों की आस्थाएं भी अलग-अलग हैं। इन्हीं में से एक है हमीरपुर जनपद के झलोखर गांव में भुवनेश्वरी देवी का अनूठा स्थान जहां न मंदिर है और न कोई मूर्ति। नीम के पेड़ के नीचे एक भारी-भरकम टीले पर विराजमान इस देवी स्थान के बारे में लोगों का मानना है कि यहां की मिट्टी लगाने मात्र से गठिया रोग ठीक हो जाता है।
वैसे तो बुंदेलखण्ड की सूखी की धरती पर लोकी दाई, हरसोखरी दाई, चिथरी दाई, कथरी दाई, भुइयांरानी, काली दाई, पचनेरे बाबा, बरियार चौरा, कंडहा बाबा, मदना बाबा जैसे सैकड़ों देवी-देवताओं के देवस्थान हैं जिनसे ग्रामीणों की ही नहीं, शहरी लोगों की भी आस्था जुड़ी है।
कई ऐसे देवस्थान हैं जिनके बारे में लोगों का मानना है कि यहां आने से विभिन्न गम्भीर बीमारियां ठीक होती हैं। झलोखर गांव के भुवनेश्वरी देवी के टीले पर चढ़ौना के रूप में कोई प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता, लेकिन यहां रविवार को भक्तों की भीड़ जमा होती है। ज्यादातर भक्त गठिया रोग से पीड़ित होते हैं।
लोगों का मानना है कि एक नीम के पुराने पेड़ के नीचे विराजमान भुवनेश्वरी देवी स्थान के टीले की मिट्टी लगाने मात्र से गठिया बीमारी जड़ से दूर हो जाती है। देवी का पुजारी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार बिरादरी से ही नियुक्त करने की परम्परा है।
पुजारी कालीदीन प्रजापति ने बताया कि गठिया से पीड़ित दूर-दूर के लोग यहां रविवार को आते हैं। इसी गांव के निर्भयदास प्रजापति ने बताया, "वर्षो पहले गांव के प्रेमदास प्रजापति को देवी मां ने स्वप्न में कहा था कि उनका स्थान मिट्टी का ही यानी कच्चा रहेगा, ताकि गठिया रोग से पीड़ित लोग अपने बदन में इसे लगा कर चंगा हो सकें।"
सन् 1875 के गजेटियर में कर्नल टाड ने लिखा है, "इस देवी स्थान के पास के तालाब की मिट्टी में गंधक और पारा मौजूद है जो गठिया रोग को ठीक करने में सहायक होता है।"
बांदा के अतर्रा स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं चिकित्सालय के प्राचार्य डॉ. एस.एन. सिंह का कहना है कि मिट्टी में औषधीय तत्व हैं और नीम में तमाम आसाध्य बीमारियों को ठीक करने की क्षमता होती है, यही वजह है कि इस स्थान की मिट्टी लगाने से गठिया रोगियों को फायदा होता है।
अतर्रा डिग्री कॉलेज के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण दत्त चतुर्वेदी बताते हैं कि संस्कृत साहित्य के हिंदी रूपांतरित ग्रंथ 'मां भुवनेश्वरी महात्म्य' के अनुसार यह स्थान उत्तर वैदिककालीन माना गया है और तालाब सूरज कुंड के नाम से विख्यात था।
गत रविवार को इस स्थान पर पहुंचे गठिया रोग से पीड़ित सुल्तानपुर की रामश्री, प्रतापगढ़ की रामप्यारी और शाहजहांपुर की भगवनिया ने बताया कि वे यहां तीसरी-चौथी बार आए हैं, उन्हें काफी आराम मिला है।
झलोखर गांव के जागेश्वर ने बताया कि यहां लगातार पांच रविवार तक आकर टीले की मिट्टी लगाने से गठिया बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है।
बीजेपी में बड़ा झगड़ा: आडवाणी दरकिनार? सरे आम उलझे मुंडे-शाहनवाज
मुंबई. भाजपा का अंदरूनी झगड़ा शुक्रवार को सरे आम सबके सामने आ गया। महाराष्ट्र की राजनीति के कद्दावर नेता गोपीनाथ मुंडे और पार्टी का मुस्लिम चेहरा एवं बिहार के किशनगंज से सांसद शाहनवाज हुसैन पत्रकार सम्मेलन में आपस में ही उलझ गये।
संवाददाताओं ने एक तीखा सवाल इन भाजपा नेताओं से पूछा। शाहनवाज ने जवाब देना शुरू ही किया था कि मुंडे बीच में बोल पड़े। मुंडे के यह हस्तक्षेप शाहनवाज को नागवार गुजरा।
नितिन गडकरी के दोबारा अध्यक्ष बनने को लेकर भाजपा में बड़े झगड़े की अटकलें पहले से लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि गडकरी की दोबारा ताजपोशी का रास्ता पार्टी में साफ तो कर दिया गया है, लेकिन वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी इससे खुश नहीं हैं।
इस बीच, पार्टी के दागी और दक्षिण भारत के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा ने भी आडवाणी को एक तरह से झटका दिया है। कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने पहुंचे येदियुरप्पा ने फिर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की वकालत कर डाली। 2014 में लोकसभा चुनाव होना है और गडकरी के नेतृत्व में इस चुनाव में भाजपा की बेहतर संभावनाओं को लेकर शक जताया जा रहा है।
ऐसी खबर है कि गडकरी को दोबारा अध्यक्ष बनाए जाने से नाराज आडवाणी आज बीजेपी की रैली में शामिल नहीं होंगे। पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज के भी रैली से किनारा करने की खबर है। मुंबई में बीजेपी की हो रही यह रैली पेट्रोल के दाम बढाए जाने के खिलाफ है। हालांकि बीजेपी प्रवक्ता निर्मला सीतारामन ने कहा कि आडवाणी का पहले से ही इस रैली में शामिल होने का कार्यक्रम नहीं था। सीतारामन ने शुक्रवार को कहा, 'आडवाणी जी न तो 'अपसेट' हैं और न ही गुस्से में हैं। उनका कार्यक्रम पहले से कहीं और के लिए तय था इसलिए वे रैली में नहीं आ सकते हैं।'
आडवाणी बी.एस. येदियुरप्पा से भी नाराज बताए जा रहे हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा मुंबई में चल रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने मुंबई पहुंचे। येदियुरप्पा ने कहा है कि पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को लगातार दूसरी बार अध्यक्ष बनने पर बधाई देने के लिए वह मुंबई आए हैं। येदियुरप्पा ने मोदी के पीएम की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। सूत्र बता रहे हैं कि मोदी को फिर से बीजेपी संसदीय दल में लाने की तैयारी है। मोदी गडकरी की अलग से बैठक भी हो रही है।
भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुख्यमंत्री पद गंवाने के बाद येदियुरप्पा एवं पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के संबंधों में तनाव चल रहा है। येदियुरप्पा का राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री एवं अपने उत्तराधिकारी सदानंद गौड़ा से भी मनमुटाव हो गया है जिनका चयन उन्होंने खुद किया था। सूत्रों के अनुसार येदियुरप्पा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मोदी के आने के बाद मुंबई आने का फैसला किया। उन्होंने अनंत कुमार पर उनके एवं पार्टी के बीच गलतफहमी पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह पार्टी के लिए काम करेंगे। येदियुरप्पा ने मुंबई में कहा, 'पूरा देश मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना चाहता है। पार्टी को उन्हें (मोदी) 2014 के लिए अपने पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करना चाहिए।'
भाजपा ने गुरुवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी समित से संजय जोशी का इस्तीफा दिलाने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बैठक में भाग लेने के लिए मनाया था। इसके बाद पार्टी के संविधान में संशोधन करते हुए नितिन गडकरी को लगातार दूसरी बार पार्टी अध्यक्ष बनाया गया। हालांकि आडवाणी ने संविधान संशोधन प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया था। भाजपा की इस अंदरूनी खींचतान पर शिवसेना ने भी तीखा तंज कसा है।