तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 अगस्त 2012
दर्जनों लोगों को आग की लपटों से बचाकर जिंदगी देने वाले परवेज़ खान को सम्मानित किया
शबे कद्र की पांच रातों में एक बरकत की : शबे-कद्र यानी एक ऐसी रात जिसकी अहमियत को अल्लाहताला ने अपने मुकद्दस किताब कुरआन पाक में बयान फरमाया है। कुरआन
: शबे-कद्र यानी एक ऐसी रात जिसकी अहमियत को अल्लाहताला ने अपने मुकद्दस किताब कुरआन पाक में बयान फरमाया है। कुरआन के अनुसार रमजान महीने की 21 से 30 तारीख के बीच की ताक रातों यानी 21, 23, 25, 27 और 29 में से किसी एक रात में अल्लाह अपने बंदों के बड़े से बड़े गुनाहों को माफ फरमाता है। इस रात में इबादत के बाद मांगी गई हर जायज दुआ अल्लाह के दरबार में मकबूल होती है यही वजह है कि हर साल मुसलमान रोजादार इन पांच रातों में उस बा बरकत रात को तलाश करता है। वैसे अधिकतर उलेमा रमजान महीने की 27 तारीख की रात को शबे कदर होने पर इत्तफाक रखते हैं इसलिये लोग 27 की रात को ही शबे कदर मानते हैं। लेकिन इस बात का पुख्ता यकीन किसी को नहीं कि उक्त रात ही शबे कदर है क्योंकि कुरआन में इन पांचों में से किसी एक रात को ही शबे कदर का होना बताया गया है। वह रात कौन है इसका इल्म अल्लाह पाक के अतिरिक्त किसी को नहीं इसलिये बेहतर यही है कि इन पांचों रातों में अल्लाह की इबादत कर उस बा बरकत रात को तलाश किया जाये। यही वजह है कि 21 रमजान से ही रोजादारों द्वारा मस्जिदों में इबादत कर शबे कदर की तलाश शुरु हो गयी ।
रमजान मुबारक में शबे कद्र की फजीहत
कुंदरकी: रमजान मुबारक के अंतिम अशरे में शबे कद्र की बेहत फजीलत है। उलेमा-ए-इस्लाम के मुताबिक शबे कद्र की एक शब रात की इबादत हजार महीनों की इबादत से अफजली है।
रमजान मुबारक में दस-दस दिन के तीन अशरे होते हैं। प्रत्येक अशरे की अलग फजीलत है। जुमा अलविदा भी तीसरे और अंतिम अशरे में आता है। इसके अलावा शबे कद्र भी इसी अशरे में है। अल्लाहताला ने अपने बंदों की हिदायत के लिए कुरआने पाक भी शबे कद्र में ही नाजिल किया है।
अहले सुन्नत बल जमाअत के इमाम कारी अब्दुल हफीज ने बताया कि रमजान मुबारक की 21वीं शब, 23वीं शब, 25वीं शब, 27वीं शब और 29वीं शब, शबे कद्र की शबे मानी जाती हैं। मगर इनमें भी 27 वीं शब की खास फजीलत बयान की गई है। कारी हफीज के अनुसार शबे कद्र की रातों की फजीलत का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। इसलिए इन रातों में इबादत करना, कुरआने पाक की तिलावत करना और गुनाहों से तौबा करना चाहिए।
इसके अलावा इसी अशरे में मौलाए कायनात हजरत अली का यौमे शहादत भी है। 19 रमजान को मौला अली को नमाज की हालत में तलवार से व्याप्त कर दिया था। उनकी 21 रमजान को शहादत हो गई थी। शिया समुदाय में शबे कद्र की इबादत के साथ ही मौला अली की शहादत पर तीन दिवसीय शोक भी मनाया जाता है।
रमजान के अंतिम अशरे में एतकाफ की भी फजीलत है। अनेक व्यक्ति दुनियादारी छोड़कर पूरा अशरा मस्जिद में ही रहकर गुजारते हैं। केवल जरूरी हाजत के लिए बाहर आते हैं। यह एतकाफ चांदरात तक चलता है। अनेक महिलाएं भी घर के कमरे में एतकाफ में बैठ जाती हैं।
मात्र 20 लाख रुपए दे दिए होते तो आज ‘लाहौर’ भारत में होता
इसके बाद पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मेन डॉ. अब्दुल कलाम ने भी कहा था कि आने वाले समय में भारत महाशक्ति बनेगा। भारत के पास 2021 तक 65 प्रतिशत युवा होंगे और यही युवा भारत को महाशक्ति बनाएंगे। ये बातें मंगलवार को राष्ट्रवादी पत्रकार और विद्वान लेखक पदमश्री डॉ. मुजफ्फर हुसैन ने वापी स्थित वीआईपी हॉल में आयोजित एक परिसंवाद में कहीं थीं।
‘बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर’ विषय के अंतर्गत आयोजित इस परिसंवाद में डॉ. हुसैन ने लगभग सवा घंटे तक भारत के गरिमापूर्ण इतिहास और उसके भविष्य के बारे में व्यक्तव्य देते हुए कहा था कि इस समय महापुरुष स्वामी विवेकानंद की 150 जन्मजयंती मनाई जा रही है। विवेकानंद ने वर्षो पहले कहा था कि उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस की 150 पुण्यतिथि तक भारत विश्व की महाशक्ति बन जाएगा। उसके बाद महर्षि अरविंदो और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने भी 2021 तक भारत के महाशक्ति बनने की बात कही थी। लेकिन वर्तमान में भारत अनेक खंडों में विभाजित है, इसलिए महाशक्ति बनने के प्रश्न पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
चीन अपने भार तले ही दब जाएगा :
डॉ. हुसैन ने भारतीय मजदूर संघ के स्थापक दत्तोपंत ठेंगडी को याद करते हुए कहा कि 1989 में ही ठेंगडीजी ने रशिया के खंडित हो जाने की बात कही थी और 1992 में ठीक ऐसा ही हुआ। रशिया कई टुकड़ों में बंट गया। दत्तोपंत ने यह भी कहा था कि अमेरिका का डॉलर भी इस समय तक कमजोर हो जाएगा।
और आज अमेरिका की स्थिति कैसी है, यह बात किसी से छुपी नहीं। आज चीन का बोलबाला है, लेकिन उसकी हालत डायनासोर की तरह हो जानी है। आगामी समय में वह अपने भार तले ही दब जाएगा। चीन के पूर्वी भाग का ही विकास हुआ है, लेकिन पश्चिम की हालत अच्छी नहीं। इसके अलावा ताईवान, हॉगकांग और तिब्बत जैसी कई बड़ी समस्याएं उसके आगे मुंह बाएं खड़ी हैं, जिनके आगे चीन टिक नहीं पाएगा।
मात्र 20 लाख रुपए दे दिए होते तो आज ‘लाहौर’ भारत में होता :
डॉ. हुसैन ने देश के विभाजन के समय की बात करते हुए कहा...ब्रिटिशर रेड क्लिफ ने हमारे देश का विभाजन किया था। तब पाकिस्तान के लाहौर में हिंदू बहुसंख्यक थे। इस समय लाहौर के आर्य समाज के प्रमुख, रेड क्लिफ से मिलने गए थे और रेड क्लिफ ने उनसे कहा था कि आप मुझे 20 लाख रुपए दे दो, लाहौर आपका हो जाएगा। लेकिन इस समय सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधीजी ने इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई थी, वरना पाकिस्तान का लाहौर आज भारत का हिस्सा होता।
1999 में शहीद हुआ था दशरथ, लेकिन प्रतिदिन साफ़ होते हैं उसके जूते!
खिरोड़. नवलगढ़ तहसील के बसावा के शहीद दशरथ कुमार यादव की आखिरी निशानियों को परिवार ने संभाल कर रखा है। शहीद के जूते साफ करना वीरांगना दुर्गादेवी की दिनचर्या का हिस्सा है।
दुर्गादेवी कहती हैं, जब भी उनकी याद आती है तो ये निशानियां परिवार को भावुक कर देती हैं। साथ ही गर्व का अहसास दिलाती हैं।
दशरथ कुमार 6 जुलाई 1999 को शहीद हुए थे। दुर्गा देवी, पुत्र सुरेंद्र यादव, माता गुलाबी देवी, भाई कैलाश चंद्र यादव एवं बहनें सरोज व सुमन की आंखें दशरथ की याद में भर आती हैं।