: शबे-कद्र यानी एक ऐसी रात जिसकी अहमियत को अल्लाहताला ने अपने मुकद्दस किताब कुरआन पाक में बयान फरमाया है। कुरआन के अनुसार रमजान महीने की 21 से 30 तारीख के बीच की ताक रातों यानी 21, 23, 25, 27 और 29 में से किसी एक रात में अल्लाह अपने बंदों के बड़े से बड़े गुनाहों को माफ फरमाता है। इस रात में इबादत के बाद मांगी गई हर जायज दुआ अल्लाह के दरबार में मकबूल होती है यही वजह है कि हर साल मुसलमान रोजादार इन पांच रातों में उस बा बरकत रात को तलाश करता है। वैसे अधिकतर उलेमा रमजान महीने की 27 तारीख की रात को शबे कदर होने पर इत्तफाक रखते हैं इसलिये लोग 27 की रात को ही शबे कदर मानते हैं। लेकिन इस बात का पुख्ता यकीन किसी को नहीं कि उक्त रात ही शबे कदर है क्योंकि कुरआन में इन पांचों में से किसी एक रात को ही शबे कदर का होना बताया गया है। वह रात कौन है इसका इल्म अल्लाह पाक के अतिरिक्त किसी को नहीं इसलिये बेहतर यही है कि इन पांचों रातों में अल्लाह की इबादत कर उस बा बरकत रात को तलाश किया जाये। यही वजह है कि 21 रमजान से ही रोजादारों द्वारा मस्जिदों में इबादत कर शबे कदर की तलाश शुरु हो गयी ।
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