पिता के बाद अब माँ का भी मरणोपरांत कराया नेत्रदान
सिर्फ नाम से ही नहीं, कर्म से भी महान बनी ज्योति
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साल पहले अपने पति श्री ओमप्रकाश गोहरी को खोने के बाद आज उनकी पत्नी
ज्योति गोहरी (78 वर्षीया) का भी आज देवली अरब स्थित निवास पर आकस्मिक निधन
हो गया । उनके बेटे मनोज गोरी ने पूर्व में अपने पिता का भी नेत्रदान
कराया था और आज जब उनकी माता जी का भी आकस्मिक निधन हुआ,तो उन्होंने तुरंत
ही शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ को अपनी माताजी के नेत्रदान
करवाने के लिए संपर्क कियाब।
माताजी
ने ,पिताजी की नेत्रदान की सारी प्रक्रिया को देखा था, पिता जी के जाने के
बाद भी माँ हमेशा यही कहती थी कि, मेरे लिए अभी भी तेरे पिताजी कहीं ना
कहीं जीवित हैं । उनकी यही सोच उनकी हिम्मत बनाए रखती थी,उन्होंने कभी यह
महसूस ही नहीं किया कि,उनके पति सदा के लिए जा चुके हैं ।
माँ
के साथ साथ मैं स्वयं भी इस अनुभूति को महसूस करता हूँ,कि नेत्रदान के बाद
परिजन सदा के लिए अमर हो जाते हैं,तो इसी सोच के कारण मैंने भी माताजी के
नेत्रदान का पुनीत कार्य संपन्न करवाया । सही मायनों में देखा जाए तो,माँ
ने अपना नाम 'ज्योति' को अपने नेत्रदान के कार्य से सार्थक कर दिया ।
ज्योति-मित्र मनोज गोहरी का यह भी कहना है कि,नेत्रदान उनके परिवार में एक
परंपरा की तरह बस चुका है । हम अपने मृत परिजनों के लिए इससे अच्छी सच्ची
श्रद्धांजलि नहीं दे सकतें हैं ।
शाइन
इंडिया के डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया कि, 2 दिवसों में 3 नेत्रदान संस्था के
सहयोग से सम्पन्न हुए हैं और पिछले माह दिसंबर की 24 तारीख से लगातार
प्रतिदिन एक नेत्रदान संस्था के सहयोग से प्राप्त हो रहा है ।
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