सूरए अनफ़ाल मदीना में नाजि़ल हुआ और इसमें पच्हत्तर (75) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ रसूल) तुम से लोग अनफाल (माले ग़नीमत) के बारे में पूछा करते हैं तुम
कह दो कि अनफाल मख़सूस ख़ुदा और रसूल के वास्ते है तो ख़़ुदा से डरो (और)
अपने बाहमी (आपसी) मामलात की असलाह करो और अगर तुम सच्चे (ईमानदार) हो तो
ख़़ुदा की और उसके रसूल की इताअत करो (1)
सच्चे ईमानदार तो बस वही लोग हैं कि जब (उनके सामने) ख़़ुदा का जि़क्र
किया जाता है तो उनके दिल हिल जाते हैं और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी
जाती हैं तो उनके इमान को और भी ज़्यादा कर देती हैं और वह लोग बस अपने
परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं (2)
नमाज़ को पाबन्दी से अदा करते हैं और जो हम ने उन्हें दिया हैं उसमें से (राहे ख़़ुदा में) ख़र्च करते हैं (3)
यही तो सच्चे ईमानदार हैं उन्हीं के लिए उनके परवरदिगार के हाँ (बड़े
बड़े) दरजे हैं और बक्शीश और इज़्ज़त और आबरू के साथ रोज़ी है (ये माले
ग़नीमत का झगड़ा वैसा ही है) (4)
जिस तरह तुम्हारे परवरदिगार ने तुम्हें बिल्कुल ठीक (मसलहत से) तुम्हारे
घर से (जंग बदर) में निकाला था और मोमिनीन का एक गिरोह (उससे) नाखुष था (5)
कि वह लोग हक़ के ज़ाहिर होने के बाद भी तुमसे (ख़्वाह माख़्वाह) सच्ची
बात में झगड़तें थें और इस तरह (करने लगे) गोया (ज़बरदस्ती) मौत के मुँह
में ढकेले जा रहे हैं (6)
और उसे (अपनी आँखों से) देख रहे हैं और (ये वक़्त था) जब ख़़ुदा तुमसे
वायदा कर रहा था कि (कुफ्फार मक्का) दो जमाअतों में से एक तुम्हारे लिए
ज़रूरी हैं और तुम ये चाहते थे कि कमज़ोर जमाअत तुम्हारे हाथ लगे (ताकि
बग़ैर लड़े भिड़े माले ग़नीमत हाथ आ जाए) और ख़ुदा ये चाहता था कि अपनी
बातों से हक़ को साबित (क़दम) करें और काफिरों की जड़ काट डाले (7)
ताकि हक़ को (हक़) साबित कर दे और बातिल का मिटियामेट कर दे अगर चे गुनाहगार (कुफ्फार उससे) नाखुश ही क्यों न हो (8)
(ये वह वक़्त था) जब तुम अपने परवदिगार से फरियाद कर रहे थे उसने
तुम्हारी सुन ली और जवाब दे दिया कि मैं तुम्हारी लगातार हज़ार फरिष्तों से
मदद करूँगा (9)
और (ये इमदाद ग़ैबी) ख़़ुदा ने सिर्फ तुम्हारी ख़ातिर (ख़ुशी) के लिए की
थी और तुम्हारे दिल मुतमइन हो जाय और (याद रखो) मदद ख़़ुदा के सिवा और कहीं
से (कभी) नहीं होती बेशक ख़ुदा ग़ालिब हिकमत वाला है (10)
आपका-अख्तर खान "अकेला"
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 मई 2025
सच्चे ईमानदार तो बस वही लोग हैं कि जब (उनके सामने) ख़़ुदा का जि़क्र किया जाता है तो उनके दिल हिल जाते हैं और जब उनके सामने उसकी आयतें पढ़ी जाती हैं तो उनके इमान को और भी ज़्यादा कर देती हैं और वह लोग बस अपने परवरदिगार ही पर भरोसा रखते हैं
13 मई 2025
सुनो..पत्थरों के भीतर नदी बहती है ( काव्य संग्रह ) "आमजन के दिल तक पहुंचती रचनाएं"
पुस्तक विमोचन, साहित्यकार सम्मान, देशभक्ति कविताओं पर काव्यपाठ
और जब तुम उनके पास कोई (ख़ास) मौजिज़ा नहीं लाते तो कहते हैं कि तुमने उसे क्यों नहीं बना लिया (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै तो बस इसी वही का पाबन्द हूँ जो मेरे परवरदिगार की तरफ से मेरे पास आती है ये (क़ुरान) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (हक़ीकत) की दलीलें हैं
क्या वह लोग ख़़ुदा का शरीक ऐसों को बनाते हैं जो कुछ भी पैदा नहीं कर सकते बल्कि वह ख़ुद (ख़़ुदा के) पैदा किए हुए हैं (191)
और न उनकी मदद की कुदरत रखते हैं और न आप अपनी मदद कर सकते हैं (192)
और अगर तुम उन्हें हिदायत की तरफ बुलाओंगे भी तो ये तुम्हारी पैरवी नहीं
करने के तुम्हारे वास्ते बराबर है ख़्वाह (चाहे) तुम उनको बुलाओ या तुम
चुपचाप बैठे रहो (193)
बेशक वह लोग जिनकी तुम ख़़ुदा को छोड़कर हाजत करते हो वह (भी) तुम्हारी
तरह (ख़ुदा के) बन्दे हैं भला तुम उन्हें पुकार के देखो तो अगर तुम सच्चे
हो तो वह तुम्हारी कुछ सुन लें (194)
क्या उनके ऐसे पाव भी हैं जिनसे चल सकें या उनके ऐसे हाथ भी हैं जिनसे
(किसी चीज़ को) पकड़ सके या उनकी ऐसी आँखे भी है जिनसे देख सकें या उनके
ऐसे कान हैं जिनसे सुन सकें (ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि तुम अपने बनाए
हुए शरीको को बुलाओ फिर सब मिलकर मुझ पर दाव चले फिर (मुझे) मोहलत न दो
(195)
(फिर देखो मेरा क्या बना सकते हो) बेषक मेरा मालिक व मुमताज़ तो बस ख़ुदा
है जिस ने किताब क़ुरान को नाजि़ल फरमाया और वही (अपने) नेक बन्दों का
हाली (मददगार) है (196)
और वह लोग (बुत) जिन्हें तुम ख़ुदा के सिवा (अपनी मदद को) पुकारते हो न
तो वह तुम्हारी मदद की कुदरत रखते हैं और न ही अपनी मदद कर सकते हैं (197)
और अगर उन्हें हिदायत की तरफ बुलाएगा भी तो ये सुन ही नहीं सकते और तू तो
समझता है कि वह तुझे (आँखें खोले) देख रहे हैं हालाकि वह देखते नहीं
(198)
(ऐ रसूल) तुम दरगुज़र करना एख़्तियार करो और अच्छे काम का हुक्म दो और जाहिलों की तरफ से मुह फेर लो (199)
अगर शैतान की तरफ से तुम्हारी (उम्मत के) दिल में किसी तरह का (वसवसा
(शक) पैदा हो तो ख़ुदा से पनाह मागों (क्यूंकि) उसमें तो शक ही नहीं कि वह
बड़ा सुनने वाला वाकि़फकार है (200)
बेषक लोग परहेज़गार हैं जब भी उन्हें शैतान का ख़्याल छू भी गया तो चैक पड़ते हैं फिर फौरन उनकी आँखें खुल जाती हैं (201)
उन काफिरों के भाई बन्द शैतान उनको (धर पकड़) गुमराही के तरफ घसीटे जाते हैं फिर किसी तरह की कोताही (भी) नहीं करते (202)
और जब तुम उनके पास कोई (ख़ास) मौजिज़ा नहीं लाते तो कहते हैं कि तुमने
उसे क्यों नहीं बना लिया (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मै तो बस इसी वही का पाबन्द
हूँ जो मेरे परवरदिगार की तरफ से मेरे पास आती है ये (क़ुरान) तुम्हारे
परवरदिगार की तरफ से (हक़ीकत) की दलीलें हैं (203)
और इमानदार लोगों के वास्ते हिदायत और रहमत हैं (लोगों) जब क़ुरान पढ़ा
जाए तो कान लगाकर सुनो और चुपचाप रहो ताकि (इसी बहाने) तुम पर रहम किया जाए
(204)
और अपने परवरदिगार को अपने जी ही में गिड़गिड़ा के और डर के और बहुत चीख़
के नहीं (धीमी) आवाज़ से सुबह व श्याम याद किया करो और (उसकी याद से)
ग़ाफिल बिल्कुल न हो जाओ (205)
बेषक जो लोग (फरिशते बग़ैरह) तुम्हारे परवरदिगार के पास मुक़र्रिब हैं और
वह उसकी इबादत से सर कशी नही करते और उनकी तसबीह करते हैं और उसका सजदा
करते हैं (206) सजदा
12 मई 2025
शाइन इंडिया ने छीपाबड़ौद,बारां और सवाई माधोपुर में लिए नेत्रदान
शाइन इंडिया ने छीपाबड़ौद,बारां और सवाई माधोपुर में लिए नेत्रदान
2. दो दिन में 3 अलग अलग शहरों से,शाइन इंडिया ने लिया नेत्रदान
शाइन
इंडिया फाउंडेशन के नेत्रदान जागरूकता अभियान से बीते दो दिनों में, तीन
अलग-अलग शहरों से तीन पुरुष देवलोकगामियों के नेत्रदान प्राप्त हुए हैं ।
शनिवार
को छीपाबड़ौद संस्था के ज्योति मित्र नरेंद्र बाठला, ने सूचना दी की हॉट
चौक, छीपाबड़ौद निवासी डॉ सी एल गोयल,कौशल किशोर और ओमप्रकाश के पिताजी
श्री बंशीधर गोयल का आकस्मिक निधन हुआ है । परिजनो ने नेत्रदान के लिए
सहमति दे दी है, सहमति मिलते ही संस्था सदस्यों ने छीपाबड़ौद पहुंचकर
नेत्रदान संपन्न किया ।
इसी नेत्रदान के ठीक उपरांत अस्पताल
रोड,बारां निवासी पराग भंडारी के पिता राजेंद्र मोहन भंडारी का हृदय घात से
आकस्मिक निधन हुआ । संस्था के ज्योति मित्र हितेश खंडेलवाल और अजय
माहेश्वरी की समझाइश पर शाइन इंडिया की टीम ने बारां निवास पर पहुंचकर
नेत्रदान प्रक्रिया को संपन्न किया ।
इसी क्रम में रविवार देर रात
महावीर नगर द्वितीय सवाई माधोपुर निवासी बाबूलाल जैन के पुत्र राकेश जैन का
आकस्मिक निधन हुआ, संस्था के सहयोगी ज्योति मित्र एवं तेरापंथ युवक परिषद
कोटा के अध्यक्ष सचिन जैन की प्रेरणा पर परिजनों ने नेत्रदान के लिए सहमति
दी, देर रात 1:00 बजे कोटा से डॉ कुलवंत गौड़ 125 किलोमीटर दूर सवाई
माधोपुर पहुंचे और क्षेत्र का पहला नेत्रदान दिया ।
इस तरह से जागरूकता अभियान के कारण 2 दिन में, तीन अलग-अलग शहरों में नेत्रदान का कार्य संपन्न हुआ ।