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04 मई 2021

विश्व भर्मण , पर्यटन , सहित कई ऐतिहासिक मुद्दों पर , पुस्तकें लिखने वाले , मशहूर लेखक , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने , निश्चय ही ,, रंग बिरंगा राजस्थान , का शीर्षक , पुस्तक प्रकाशन के लिए जो चुना है ,, वोह अद्भुत है , अभिभूत कर देने वाला है

 प्रकृति भी अजीब  है , कहीं पानी  है , कहीं पहाड़ , कहीं समुन्द्र तो कहीं ,जंगल है , तो  कहीं रेत के ,, नमक के , बर्फ के ढेर है ,, बस यही ईश्वर की लीला है , भूगोल के तथ्यों को अगर हमे देखे तो , प्रकृति के बदलाव ,,  बदलते स्वरूप के चलते यह सब सदीयों  , सदियों  से हो   रहा है ,, विश्व भर्मण , पर्यटन , सहित कई ऐतिहासिक मुद्दों पर ,  पुस्तकें लिखने वाले , मशहूर लेखक , डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने , निश्चय ही  ,, रंग बिरंगा राजस्थान , का शीर्षक ,  पुस्तक प्रकाशन के लिए जो चुना है ,, वोह अद्भुत है , अभिभूत कर देने वाला है ,, पर्यटन की दृष्टि से , रेगिस्तान की भूमि  के प्रति , पर्यटकों को  आकर्षक करने वाला है ,, यूँ तो रेगिस्तान ,, रेत के टीले ,, रेत के ढेर के मैदानों को कहते है ,, लेकिन ,  वोह ज़माना गया , जब रेगिस्तानों में ज़िंदगियाँ नहीं बस्ती थीं , प्रकृति के बदलाव , और ईश्वर , अल्लाह की शक्ति ने मानव को ,  इस लायक कर दिया है  ,  के अब रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी हरियाली है , रंग बिरंगे माहौल  है , ज़िंदगियाँ है ,  संस्कृतियां है , ,पेड़  है , पौधे हैं ,फैसले है ,, यहां तक के अब इन क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए आकृषक केंद्र बन गए  है  ,,  यूँ  तो डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल के अपने अनुभव है , उनका अपना खूबसूरत सारगर्भित लेखन है , लेकिन उनके साथ , भूगोल के प्रोफेसर प्रमोद सिंघल  ,  ने इस पुस्तक में , रेगिस्तान के भूगोल  के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारियां भर कर इस पुस्तक को , हरा भरा , रंग बिरंगा कर दिया है ,, डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल ने , इस पुस्तक के ज़रिये ,, देश , विदेश के सभी रेगिस्तानों  की कहानियों  ,,उनके भूगोल  से ,  पुस्तक के पाठकों   को परिचित करने का सफलतम प्रयास किया है ,, विश्व के सबसे बढे रेगिस्तान से लेकर ,  भारत के थार के मरुस्थल , गुजरात में कच्छ  के , नमक के मरुस्थल , और लद्दाक ,  सहित देश विदेश  के कई स्थानों पर ,,  बर्फ के रेगिस्तान के बारे में ,,  डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की बहुउपयोगी , सारगर्भित जानकारियां ,  पुस्तक के पाठकों के साथ , भूगोल सहित ,सामाजिक बदलाव के अध्ययन के लिए ,यह  एक ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया है  ,  ,रेगिस्तान के बारे में दिमाग में आते ही , मरू भूमि , मरुस्थल , यानी , ऐसी भूमि   जो मर गयी है , निरुपयोगी  है ,, उसका कोई उपयोग   नहीं हैं , वहां ना कोई ज़िंदगी  है , ना ही ,फसल  है  ,  खेती  है ,  बस  यही  एक सच  ,, कभी दिमाग में रहा करती थी , लेकिन प्रकृति के बदलाव , मानव के अविष्कारों में , क़ुदरत के चमत्कारों ने , रेगिस्तानों को अब मुर्दा नहीं रखा है ,, हर रेगिस्तान में ज़िंदगियाँ बसने लगी  है ,  खूबूसरत नज़ारे  है ,  इनका अपना इतिहास , अपनी संस्कृति है ,,   यहाँ अब जन  जीवन भी है ,  जल जीवन भी है और अब पर्यटन की  दृष्टि से ,  रेगिस्तान का सफर , जिसे सफारी सफर कहते है  ,,  यह   भी रंगबिरंगा , आकर्षक  हो गया  है ,,  डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल की इस पुस्तक में बस , मुर्दा ज़मीन ,   यानि मरू भूमि की  ज़िंदगियाँ , यहाँ  की खूबसूरती ,  ,यहाँ के बदलाव , जन जीवन , संस्कृति ,,  रहन सहन  ,उपज  ,सहित कई व्यवस्थाओं पर एक रिसर्च है और इसीलिए यह रेगिस्तान ,  रंगबिरंगे होने से , पर्यटन दृष्टि से इस पुस्तक के ज़रिये ,, रेगिस्तान के भ्रमण के प्रति ,,  आम लोगों के लिए , रेगिस्तानों के प्रति ,  पर्यटन को लेकर आकर्षण बढ़ेगा ,,  उनकी जिज्ञासायें ,  रेगिस्तान की ज़िदंगी में बदलाव की ज्ञानवर्धक जानकारियों से , शांत भी होंगी , और वोह इस पुस्तक के आलेखों में रेगिस्तान के बारे में जानकर , आनंदित भी होंगे ,, विश्व स्तरीय व्यवस्था के तहत , सभी  जानते है , सऊदी अरब सहित अधिकतम देश ,रेतीले होने से रेगिस्तान का इतिहास रहे है  ,,  लेकिन आज वहां ,  आबादी है , तरक़्क़ी  है ,, ज़िंदगियाँ  है , हरियाली है , रोज़गार है , खूबसूरती है ,  ,,दुबई आज रेगिस्तान होने अपर भी खूबसूरत शहर है ,, अरब में रेत के ढेरों में , तेल के कुए है , जिन्होंने , अरब देशों को ,विश्व स्तर पर सबसे अमीर देशों का दर्जा दिया है ,, भारत में , विभाजन व्यवस्था के बाद ,, यहां ,  राजस्थान की पाकिस्तान से सटी सीमा पर , सबसे बढ़ा रेगिस्तान है , जिसे थार का मरुस्थल  भी कहा जाता है , जबकि इसके नज़दीक से , गुजरता के कच्छ तक , कच्छ का रेगिस्तान है ,, जहाँ नमक का रेगिस्तान होने से नमक का उत्पादन है , ,पहले कभी लोग रेगिस्तान के नाम से ,  भय खाते थे , डर जाते थे ,, लेकिन राजस्थान के इस थार मरुस्थल में , इंद्रा गांधी नहर ने , यहाँ की क़िस्मत ही बदल दी , रेगिस्तान में ज़िंदगियाँ बसने लगीं ,, यहाँ संस्कृति  है ,,  ज़िंदगियाँ  है , हवेलियां है  ,  पर्यटन के प्रति आकर्षक रंग बिरंगे नज़ारे है , रेगिस्तान के लिए कहावत , मृग मरीचिका , तो सभी जानते होंगे ,, रेत के ढेर ,  तेज़  धूप के बवंडर में ,, जब हवा के साथ दिखते हैं ,तो नज़ारा होता है , एक समुन्द्र का , एक पानी से भरे हुए स्थान ,का ,, और कहते है ,के एक मृग यानी हिरण , जब प्यास से  व्याकुल होता है , तो वोह सामने इस , मरीचिका , जो दूर से एक समुन्द्र की तरह नज़र आ रही है ,  उसे देखता है ,और मीलों तक पानी की उम्मीद में दौड़ता है , कुलाचे लेता है , अंत ,में  नज़दीक जाते ही ,यह रेत के ढेर होते है , फिर यह मरीचिका दूर नज़र आने लगती है , कहते है ,इसी दोढ़ में , प्यासे मृग ,यानि हिरण की , प्यास से मोत हो जाती है , लेकिन अब हालात बदले है ,, रेगिस्तान में मरीचिका के साथ रंग बिरंगे हालात है , यहां नखलिस्तान ,बन गए है , नखलिस्तान यानी , रेगिस्तान में थोड़े बहुत पानी के आसपास , बस्तियां बसाई जाती है , वहां थोड़ा , पानी थोड़ी हरियाली भी होती है ,, अब तो वैज्ञानिक युग में , यह सब बदल गया है , नित नए प्रयोग हो रहे है , अविष्कार हो रहे है , रेगिस्तानों में नहरों के ज़रिये , और दूसरे ज़रिये पानी पहुचनाने के प्रयास है ,  जबकि प्रकृति के हालातों में भी बदलाव है ,  राजस्थान के  जिन रेगिस्तानी क्षेत्रों में सूखाग्रस्त माहौल है , वहां कई बार , प्रकति की वर्षा की  छटाओं से , बादलों  की उमड़ी बरसात से  ,बाढ़ जेसे हालात होने का भी इतिहास है ,, रेगिस्तानों में  ,,,ऊंट महत्वपूर्ण सफर में साथ देने वाला पशु है ,, इसीलिए सवारी के नज़रिये से ,, मालवाहक के नज़रिये से , ऊंट को रेगिस्तान का जहाज़ कहा जाता है ,  , पानी के उत्पादक ब्रिसलि कम्पनी के विवादित विज्ञापन में ऊंट टी वी विज्ञापन में सभी रोज़ देखते है ,,, ऊंट  अपनी  क्षमता से अधिक वज़न ढोता है , ऊंटनी के दूध के रसगुल्ले सभी जानते है ,, जबकि ऊंट के साथ गाडी जोड़कर , यहां के लोग अपने सफर की रफ्तार तेज़ कर लेते है , ऊंट को क़ुदरत ने ,, अपने पेट में , काफी लम्बे समय तक के लिए , पानी का स्टोर कर रखने की चमत्कारिक क्षमता दी है , इसीलिए इसे रेगिस्तान का  जहाज़ भी कहते है , और राजस्थान में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा है , जबकि इसी रेगिस्तान में रहने वाले पक्षी गोडावण को , राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया है ,, इसी तरह से यहां के पेड़ , खेजड़ी को ,, राज्य पेड़ का दर्जा दिया गया है ,,, रेगिस्तानों में , मरसथल उत्स्व होता है  ,  प्रतियोगिताएं होती है , यहाँ खजूर , सहित कई फसले ऐसी होती ,है , जो रेगिस्तान को उपज  होने स्वादिष्ट हो जाती है ,,, पानी  की  कमी  की  वजह से इन क्षेत्रों में पानी को बेशक़ीमती मानकर , इसे स्टोरेज करके भी रखा जाता है , और एक ही पानी को , दो तीन तरीके  से बचाते हुए इस्तेमाल किया जाता है ,, जैसे खाट पर बैठ कर नहाने और नहाने के बहते हुए पानी को नीचे एक बर्तन में  स्टोरेज करके , कपड़े धोने , सहित अन्य उपयोग में लेने की परम्परा रही है ,, इधर लद्दाक सहित पहाड़ी बर्फ के रेगिस्तानों के नज़ारे तो देखने लायक है ,,  जबकि कच्छ के गुजरात  की सीमा वाले रेगिस्तान के नमक को , देश ही नहीं विश्व भी जानता है ,, ,राजस्थान में , अजमेर ज़िले के पुष्कर , की संस्कृति , रेगिस्तानी होने से , वहां पर्यटक , मिनी रेगिस्तान का आनंद लेने जाते है ,, पुष्कर में एक तरफ पहाड़ियां ,है  ,, झील  है , ब्रहम्मा का मंदिर है , तो चारो तरफ , रेतीले मैदानों  में ,,  मिनी रेगिस्तान की  संस्कृति ,,  होने ,से  पर्यटक यहाँ ,, विश्व के सभी तरह  रेगिस्तानों  का आनंद उठाते है ,,  यही सब डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल  ने , अपनी इस सारगर्भित , बहुउपयोगी  , पुस्तक में  अलग अलग लेखों के ज़रिये ,  डॉक्टर प्रभात कुमार सिंघल , सह लेखक , प्रमोद   कुमार सिंघल ने ,बताने का प्रयास किया है ,, वोह बताना चाहते है ,  के  भूमि मरू   नहीं  है ,  यहाँ ज़िंदगियाँ बसती है , और यहां ,, मानव के अविष्कारों ने , मरू भूमि को  ,भी   पानी हिम्मत , मेहनत , ,लग्न , संस्कृति एकता के साथ ,, रंग बिरंगी , विकसित , अकर्षक बना दी है , ताकि इस संकृति , इस खूबूसरत नज़ारे ,, को देखकर , आनन्दित होने के लिए , देश विदेश के पर्यटक ,,  इन रंग बिरंगे नज़ारों को  देखने आये और बेसाख्ता चीख पढ़े , यक़ीनन ,  यक़ीनन ज़िंदगियाँ खूबूसरत ज़िंदगियाँ  इन  रेत के ढेरों में ही बस्ती है ,, यह अब मरू भूमि , मरुस्थल नहीं , जीवन भूमि , जीवन स्थल बन गए है , रंगबिरंगे इंद्र धनुष बन गए है ,, ,, किसी शायर ने क्या खूब कहा है ,, क्या खूब होता  अगर यादें रेत होतीं ,, मुट्ठी से गिरा देते , पाँव से  उड़ा देते ,,,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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