आपका-अख्तर खान

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04 मई 2021

*कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है

 

*कोई तो किश्त है जो शायद अदा नहीं है,*
*साँस बाक़ी है और हवा नहीं है..*
*नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम पर्चे पर है, पर दवा नहीं है..*
*आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के,*
*मंज़र सचमुच अच्छा नहीं है..*
*रक्त बिका, पानी बिका, आज बिक रही है हवा,*
*कुदरत का ये तमाचा बेवजह नहीं है..*
*हरेक शामिल है इस गुनाह में,*
*कुसूर किसी एक का नहीं है..*
*वक्त है अब भी ठहर जाओ अभी सब कुछ लुटा नहीं है..!!*

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