तो तुम ख़ुदासे डरो और मेरी इताअत करो (131)
और उस शख़्स से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खू़ब जानते हो (132)
अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चष्मों से मदद की (133)
मै तो यक़ीनन तुम पर (134)
एक बड़े (सख़्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ (135)
वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है (136)
ये (डराना) तो बस अगले लोगों की आदत है (137)
हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा (138)
ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाकि़ये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले भी न थे (139)
और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है (140)
और उस शख़्स से डरो जिसने तुम्हारी उन चीज़ों से मदद की जिन्हें तुम खू़ब जानते हो (132)
अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चष्मों से मदद की (133)
मै तो यक़ीनन तुम पर (134)
एक बड़े (सख़्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ (135)
वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है (136)
ये (डराना) तो बस अगले लोगों की आदत है (137)
हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा (138)
ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाकि़ये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे इमान लाने वाले भी न थे (139)
और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है (140)
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