इलेक्शन फोबिया के मरीज़ों की संख्या,, इन चुनावों में पहले से पांच गुना बढ़
सकती है ,,एक विशेषज्ञ रिपोर्ट के अनुसार ,,देश में होने वाले लोकसभा
,विधानसभा ,सहित होने वाले निकाय ,,संस्थाओं के चुनाव में एक बढ़ा वर्ग इस
इलेक्शन फोबिया की बीमारी से ग्रसित हो जाता है ,,विशेषज्ञों का कहना है
,के इस बीमारी में हर व्यक्ति खुद को लोकसभा ,,विधानसभा चुनाव के लिए
उपयुक्त मानकर भागदौड़ करता है ,, छदम विचार बनाकर खुद के वरिष्ठ नेताओ से
सम्पर्क के ख्याली पुलाव बनाकर खुद को प्रत्याक्षी की दौड़ में अव्वल
समझने लगता है ,ऐसा बीस साल पहले के चुनाव में कम हुआ करता था ,इसीलिए
इलेक्शन फोबिया के मरीज़ों की संख्या सिर्फ हज़ारों में थी ,लेकिन सोशल
मीडिया की सक्रियता के बाद यह ,इलेक्शन फोबिया की बीमारी विधानसभावार कम
से कम पांच मरीज़ों की प्रति विधानसभा संख्या मानी जा रही है ,विशेषज्ञों का
कहना है ,,,वर्तमान चुनावों में यह संख्या बढ़ सकती है ,, इलेक्शन फोबिया
की बिमारी से बचने के विशेषज्ञ टिप्स भी है ,लेकिन विशेषज्ञों का कहना है
इस बीमारी में टिप्स देकर समझाइश करने वाले शख्स को ऐसे मरीज़ दुश्मन समझने
लगते है ,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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