देश में आपराधिक मुक़दमों के निस्तारण के लिए ,,मृतकों को सरकारी मुआवज़े के
लिए फोरेंसिक लेबोरेटरी की जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है लेकिन फोरेंसिक
रिपोर्ट की जाँच में हेराफेरी और लेटलतीफी से आमजनता दुखी है तो दूसरी तरफ
न्याय में भी इन तौरतरीकों से बाधा उतपन्न हो रही है एक तरफ तो सुल्तानपुर
के उप प्रधान रईस खान ,,पूर्व मंत्री भरतसिह दर्भीजी गाँव में खेत पर कीड़े
के काटने से मरे एक कृषक के पुत्र बुद्धिप्रकाश मीणा को चार माह होने पर भी
एफ एस एल रिपोर्ट नहीं आने से आर्थिक मदद नहीं दिलवा पा रहे है जबकि
राजस्थान हाईकोर्ट के जज आर एस राठोड ने महिला थाना में दर्ज एक अपराधिक
मामले में एडवोकेट सुरेन्द्रशर्मा द्वारा प्रस्तुत एक ज़मानत याचिका पर
सुनवाई के बाद ज़मानत तो ली ,,लेकिन एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा द्वारा उठाये
गे प्रश्नो को गंभीरता से लिया और फोरेंसिक लेबोरेटरी ,,कोटा के महिला
थानाधिकारी ,,उपाधीक्षक सहित संबंधित ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ जांच कर
होम सेक्रेटरी ,,सहित उच्च अधिकारीयों को अनुशासनात्मक कार्यवाही के कठोर
निर्देश जारी किये है ,,,,,,,,,,,,,कोटा ज़िले की सांगोद विधानसभा क्षेत्र
के गाँव दर्भीजी के एक खेत में काम करते वक़्त ज़हरीले कीड़े द्वारा काटने से
एक किसान की मोत हो गयी ,,,मृतक का पुत्र बुद्धिप्रकाश दाधीच कृषि उपज मंडी
समिति से विधि अनुसार खेत पर मरने वाले के परिजनों को दो लाख रूपये
प्राप्त करने के अधिकारी होने पर भी अब तक राशि नहीं दे रहे है ,,पूर्व
मंत्री भरतसिंह ,,सुल्तानपुर के उप प्रधान रहे रईस खान ने इस सम्बन्ध में
आवाज़ उठाई तो पता चला के जनवरी से आज तक चार माह के लगभग का समय होने पर भी
मृतक किसान के पोस्टमार्टम और एफ एस एल रिपोर्ट भेजने पर भी एफ एस एल नहीं
आने से मोत का कारण नहीं लिखा जा सका है ,,,रईस खान ने जब इस मामले में
तहक़ीक़ात की तो पता चला अभी तो दो हज़ार बारह की ही एफ एस एल रिपोर्ट नहीं आई
तो यह कैसे आएगी ,,खेर इसकी प्रक्रिया में ठकुराई प्रक्रिया चल रही है
लेकिन अफ़सोस इस बात का है के मोत का कारण जानने के लिए बिना किसी सिफारिश
के एफ एस एल रिपोर्ट के लिए कितना इन्तिज़ार करना पढ़ता है यह जनता को पता है
लेकिन अधिकारी और सियासी लोग जानकार भी अनजान बने बैठे है ,,,,,,,इधर
राजस्थान हाईकोर्ट ने हेंड राइटिंंग एफ एस एल मामले में अनुशंधान के दौरान
हेराफेरी को गंभीरता से लिया है और इस संबंध में कोटा महिला थाने से
संबंधित अधिकारीयों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश भी जारी किये है
,,,,एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा ने महिला थाने में दहेज़ हत्या के एक मामले में
आरोपी घनश्याम आत्मज हेमराज की ज़मानत का प्रार्थना पत्र माननीय राजस्थान
हाईकोर्ट में पेश किया ,,एडवोकेट सुरेन्द्रशर्मा का कहना था के मृतका का
सुसाइड नोट उसकी स्वीकारित लेखनी से मेल नहीं खाता है ,,लेकिन कोटा महिला
थाने के अनुसंधान अधिकारी ने एफ आई आर नंबर 230 / 2014 मामले में हाईकोर्ट
के निर्देशो के बाद भी गंभीरता से एफ एस एल नहीं करवाई ,,बार बार सुरेन्द्र
शर्मा एडवोकेट द्वारा प्रस्तुत तर्कों को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया और
कोटा महिला थाने के थानाधिकारी गजेन्द्र सिंह ,,,,अनुसंधान अधिकारी रामकिशन
,,उप अधीक्षक राजैन्द्र ओझा को न्यायालय में तलब किया ,,लेकिन एफ एस एल
रिपोर्ट संतोषप्रद नहीं थी ,,भ्रामक होने पर सुरेन्द्र शर्मा की आपत्ति और
एफ एस एल अधिकारीयों से पुलिस मिलीभगत को हाईकोर्ट ने बारीकी से समझा और
गंभीरता से लेते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया के विपरीत मानते हेु प्रमुख
सचिव गृह ,,,पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हेडक्वार्टर को
दर्ज एफ आई आर में जारी अनुसंधान प्रक्रिया में एफ एस एल बाबत सुसाइड नोट
में लापरवाही करने वाले अधिकारी के खिलाफ जांच कर उन्हें दंडित करने के
निर्देश देते हुए इसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में प्रस्तुत करने के निर्देश जारी
किये है ,,,हाईकोर्ट ने एक अप्रेल को महिला थाना कोटा में दर्ज मुक़दमे में
एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा के तर्कों से सहमत होकर घनश्याम की ज़मानत तो ले
ली लेकिन संबंधित लोगों के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही के निर्देश भी देते हुए
न्यायलय में प्रस्तुत एफ एस एल रिपोर्ट की फोटो प्रतियां रखने के भी
निर्देश दिए है ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)