रांची/पलामू। निगरानी विभाग की टीम ने शुक्रवार को झारखंड के
घोर नक्सल प्रभावित पलामू जिले के पांकी ब्लॉक ऑफिस में छापा मारा। टीम ने
वहां तैनात सहायक क्लर्क मनमोहन प्रसाद को दस हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे
हाथों गिरफ्तार कर लिया। टीम ने तलाशी के लिए ऑफिस में सबके सामने क्लर्क
की पैंट उतरवाई। तलाशी के बाद भी उन्हें पैंट नहीं दी, बल्कि पहनने के लिए
एक तौलिया दे दिया। क्लर्क को तौलिया पहनाकर निगरानी की टीम अपनी गाड़ी से
रांची ले गई।
क्लर्क ने मांगी थी 50 हजार रुपये की रिश्वत
निगरानी डीएसपी मिथलेश कुमार ने बताया कि बान्दुबार निवासी शैलेन्द्र
कुमार ने बान्दुबार में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क का निर्माण
कराया था। सड़क के निर्माण के लिए उसे प्रखंड कार्यालय द्वारा छह लाख पचास
हजार रुपये का भुगतान किया जाना था। उन्होंने बताया कि सहायक लिपिक मनमोहन
प्रसाद योजना के लाभुक शैलेन्द्र कुमार से भुगतान के बदले पचास हजार रुपये
की रिश्वत की मांग कर रहा था। लाभुक ने इसकी सूचना निगरानी को दी। निगरानी
ने त्वरित कार्रवाई करते हुए टीम का गठन कर पांकी भेजा।
केमिकल लगे पैसे लिए तो पकड़े गए
निगरानी की टीम ने लाभुक शैलेन्द्र कुमार को दस हजार रुपये उपलब्ध
कराये, जिस पर केमिकल लगा था। शुक्रवार को जैसे ही शैलेन्द्र ने प्रसाद को
पैसे दिए, वहां मौजूद निगरानी की टीम ने उसे धर दबोचा।
निगरानी टीम में विशेष दंडाधिकारी दीपक कुमार, निरीक्षक अनिल कुमार, आरएन सिंह तथा अनिल सिन्हा शामिल थे।
कार्रवाई सही पर दूसरा पैंट दिया जाना चाहिए : पूर्व डीजीपी
पेंट उतरवाना निगरानी की ओर से सही कार्रवाई है। पैंट सुबूत के तौर पर
कोर्ट में पेश किया जाएगा क्योंकि उसमें पैसा था और पैसे में कैमिकल लगा
था। हां, ऑफिस में उन्हें बिना टॉवल के बिठाए रखना गलत माना जाएगा। निगरानी
टीम को एक नया पैंट मंगवाकर दिया जाना चाहिए। सरेआम उन्हें तौलिए में जाना
और ऑफिस में बिना टॉवल के बिठाना मानवाधिकार का हनन है। - नेयाज अहमद, पूर्व डीजीपी, झारखंड।
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