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23 सितंबर 2025

आज़ादी के बाद कोटा की सर ज़मी पर कांग्रेस हो चाहे भाजपा हो , दोनों ही पार्टियों में एक मात्र नेता भुवनेश चतुर्वेदी ऐसे रहे हैं , जिन्होंने अपने इर्द गिर्द नज़दीकी साथियों को ज़र्रे से आफ़ताब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है

 

आज़ादी के बाद कोटा की सर ज़मी पर कांग्रेस हो चाहे भाजपा हो , दोनों ही पार्टियों में एक मात्र नेता भुवनेश चतुर्वेदी ऐसे रहे हैं , जिन्होंने अपने इर्द गिर्द नज़दीकी साथियों को ज़र्रे से आफ़ताब बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है , भुवनेश चतुर्वेदी ने उनके इर्द गिर्द नो रत्नों के साथ अगर भाजपा का समर्थक भी ,रहा और उनकी सिफारिश उनके नो रत्नों की रही , तो वोह उनके भी मददगार रहे हैं , ऐसे कई सरकारी , अर्द्ध सरकारी संस्थाओं के लोग है ,जो पोस्टिंग , ट्रांसफर , चार्जशीट से बचने के लिए भुवनेश चतुर्वेदी के इर्द गिर्द लोगों के साथ रहकर फायदा उठाते थे , और अब खुलकर कांग्रेस को गालियां देते हैं ,सोशल मीडिया पर भाजपा के प्रवक्ता से भी अधिक प्रवक्ता बनने के प्रयासों में जुटे हैं , कोटा में राज्य स्तरीय और केंद्रीय स्तरीय नेताओं की कमी नहीं रही , कोटा से भुवनेश चतुर्वेदी राज्य सभा सदस्य रहे , मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के कार्यकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री रहे , कृष्ण कमार गोयल भी , केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे ,, ललित चतुर्वेदी , हरिकुमार औदीच्य , रामकिशन वर्मा , शांति कुमार धारीवाल , जुझार सिंह , भरत सिंह , भी मंत्री रहे , ओम जी बिरला संसदीय सचिव भी रहे , तो अब कोटा लोकसभा के अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च पद पर है , लेकिन भुवनेश चतुर्वेदी तो भुवनेश चतुर्वेदी साबित हुए , उन्होंने अपने इर्द गिर्द लोगों को , कैसे ऊँचे ओहदों पर बैठाया जाए , उनकी वफादारी , उनके त्याग का प्रतिफल उन्हें कैसे दिया जाये इस पर पूरा फॉकस रखा और पूरी दुनिया , कांग्रेस के सिद्धांतों की परवाह किये बगैर अपने इर्द गिर्द लोगों को सिरमौर बनाने के प्रयासों में जुटे रहे ,, जबकि कोटा से राज्य और राष्ट्रिय स्तर पर ऊँचे ओहदों पर अपने इर्द गिर्द समर्थकों से काम लेने वाले , उनसे चमचागिरी , चापलूसी करवाने वाले तो बहुत नेता है , लेकिन पावर में आने के बाद , उन्हें ओहदे दिलवाने , उन्हें तरक़्क़ी दिलवाने के लिए राष्ट्रिय और राज्य स्तर के पदों पर उन्हें बिठाने के कोई प्रयास आज तक इन नेताओं ने नहीं किये ,वरना राजस्थान के कई महत्वपूर्ण पदों पर कोटा का प्रतिनिधित्व होता , और गत दस वर्षों से देश की महत्वपूर्ण संस्थानों में कोटा का प्रतिनिधित्व होता जो वीज़न इन लोगों में है ही नहीं , भुवनेश चतुर्वेदी अपने इर्द गिर्द लोगों से लड़ते भी थे , डांटते भी थे , लेकिन बांटते भी थे , उन्होंने उनके इर्द गिर्द लोगों में से हाईकोर्ट जज भी बनाये , तो महाधिवक्ता भी बनाये , लोकसेवा आयोग में सदस्य भी बने ,राज्यपाल शासन में तो भुवनेश चतुर्वेदी ने अपने लोगों की खुलकर मदद की ,, कोटा में रहीम साहब को कई सालों तक बार बार भुवनेश चतुर्वेदी ने लोक अभियोजक बनाये रखा , उनके पास कोई बी ऐड होकर नौकरी मांगने गया , तो उसे टिकिट देकर विधायक फिर मंत्री बना दिया , डॉक्टर हनुमान यादव को अटरू विधानसभा से टिकिट दिया , रामगोपाल बेरवा को इटावा से टिकिट दिया , रामनारायण मीणा को कोटा सांसद का टिकिट दिलवाया ,, रमेश सक्सेना जी को , कोटा जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाया , लीलाधर अग्रवाल , रमेश सक्सेना , शिवनारायण वर्मा ,सहित कई इर्द गिर्द लोगों को विधानसभा के टिकिट दिए , रामगोपाल बैरवा को सरकार में मंत्री तक बनवा दिया , ,अटरू से डॉक्टर हनुमान यादव नहीं जीत पाए तो उन्हें क्षतिपूर्ति के तोर पर केंद्रीय सफाई मज़दूर आयोग में मंत्री दर्जा दिलवाकर सदस्य बनवाया ,, सभी सुविधाएं दिलवाईं ,, बजरंग सिंह सिंदेल जगन्नाथ पहाड़िया के कार्यकाल में इटावा से चुनाव हार गए तो उन्हें नगर विकास न्यास में चेयरमेन बनवाया ,, विनय भार्गव को , कोटा को ऑपरेटिव बैंक चेयरमेन बनवाया तो दुबारा बजरंग सिंह सिंदेल को वोह टिकिट नहीं दे पाए तब भी उन्हें , राष्ट्रीयकृत बैंकों में डाइरेक्टर बनवाया जबकि उक्त पदों पर देश भर के सर्वोच्च पदों जैसे सुप्रीमकोर्ट , हाईकोर्ट , मुख्य सचिव सेवानिवृत पदों से सदस्य थे , भुवनेश चतुर्वेदी ने अपने लोगों को , बांटा ही बांटा ,, उनकी योग्यता से उन्हें मतलब नहीं रहा , बस उनके वफादार हैं ,इर्दगिर्द है , और फिर उन्होंने खुलकर उन्हें ऊँचे ओहदे पर बिठाने की क़वाइद शुरू कर दी , अफ़सोस यह है के राजस्थान के मंत्रियों , मंत्री स्तर के लोगों ,, केंद्र में वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च पद पर बैठे हुए सम्मानीय लोगों ने अपने इर्द गिर्द , ज़िम्मेदारों को , वफादारों को , ऊँचे ओहदे पर बिठाकर उन्हें सम्मान देने की तरफ कोई भी पहल की शुरुआत नहीं की है , एक मंत्री जी ने तो राज्य स्तरीय मंत्री दर्जा पद की योग्यता रखने वाली शख़्सियत को सहवरित पार्षद बनाकर कोटा वासियों को चोंका दिया था, जबकि वर्तमान में दिल्ली के ऊंचे ओहदे पर बैठे सिरमौर ऐसे ताक़तवर हैं कि कई महत्वपूर्ण पद तो इन लोगों की सिफारिश , इन लोगों के दिल्ली में बैठे जी हुज़ूरीयों की क़लम के नीचे से ही निकलते है ,फिर भी कोई महत्वपूर्ण पद इनके दरबारियों को नाम मात्र भी नहीं मिला है, खेर उम्मीद तो है के कोटा के इर्द गिर्द वफादारों को , आज नहीं तो कल , भुवनेश चतुर्वेदी के फार्मूले के अनुरूप ,, एक नहीं दो नहीं , दर्जन नहीं दो दर्जन से भी ज़्यादा लोगों को , केंद्र और राज्य सरकार के प्रसाद पर्यन्त पदों पर नियुक्ति ,मिलेगी ,, भुवनेश चतुर्वेदी का तो संगठन में भी उनके अपनों को ओहदे दिलाने के लिए खुला दखल रहता था ,,, अभी कुछ तो है ,, लेकिन बहुत कुछ अंदरूनी तोर पर ऐसे ओहदों की प्रतीक्षा करते करते थक गए है , वोह झल्लाने लगे है , चिड़चिड़ाने लगे हैं , उनसे पूंछो तो बस एक जवाब भाईसाहब की कृपा होगी तब ही कुछ हो पायेगा , तो कोटा वाले हो , ऊँचे ओहदों पर हो , इस लायक हो , कोटा के अपने इर्द गिर्द वफादारों को भी ऊँचे ओहदों का सम्मान दिलाने के बारे में ज़रा कुछ होना ही चाहिए ,, ,भुवनेश चतुर्वेदी के मार्गदर्शन पर चलकर अपने चहेतों को सम्मानित तो करना ही चाहिए ,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
akhtar khan akela

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