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25 फ़रवरी 2025

गायत्री मंत्र,वेदमन्त्रों के साथ आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को मिला पहला देहदान

  गायत्री मंत्र,वेदमन्त्रों के साथ आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज को मिला पहला देहदान
2. 300 से अधिक भावी आयुर्वेद चिकित्सकों ने नत- मस्तक होकर स्वीकार किया देहदान

मेरा जन्म वाहे गुरू जी का दिया हुआ,मेरी मृत्यु के बाद भी मेरा शरीर समाज या देश के काम आ सके यही मेरा सौभाग्य होगा । ऐसी सोच थी,स्टेशन रोड निवासी,रेल्वे विभाग से सेवानिवृत सरदार ओम प्रकाश सिंह की। सेवा को पूजा मानने वाले सरदार ओमप्रकाश काफी मेहनती, ईमानदार और निस्वार्थ भाव से जीवन बिताने वाले व्यक्ति थे ।

बीते 15 दिन से ओमप्रकाश जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था, उन्होंने देहदान का कोई संकल्प पत्र भी नहीं भरा हुआ था, परंतु अपनी देहदान करने की इच्छा,दोनों बेटों अमरजीत (ऑटो चालक) और चरणजीत (शिक्षक) को बता दी थी । उन्होंने यह भी कहा था कि, देहदान से व्यर्थ पेड़ नहीं जलेंगे,अनावश्यक की क्रियाओं में पैसा व्यर्थ नहीं होगा, रिश्तेदारों का शोक में आने जाने में भी उनका समय और पैसा बचेगा ।

पिता जी की अंतिम इच्छा जान,चरणजीत ने काफी समय पहले से ही शाइन इंडिया फाउंडेशन के डॉ कुलवंत गौड़ से देहदान के संदर्भ में पूरी जानकारी ले ली थी, आज जब उनका देवलोक गमन हुआ, तो उन्होंने तुरंत ही डॉ गौड़ के बताए हुए दिशा निर्देशों को मानते हुए, रानपुर स्थित राजकीय आयुर्वेद,योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा महाविद्यालय में पिता के पार्थिव देह को दान किया ।

आयुर्वेदिक महाविद्यालय में मृत-देह के पहुँचते ही परिसर में कोटा के साथ साथ अकलेरा,झुंझुनू भरतपुर के आयुर्वेद एवं योग महाविद्यालय से आये 300 से अधिक भावी आयुर्वेद चिकित्सकों ने ओमप्रकाश जी के पार्थिव देह पर पुष्पवर्षा की,साथ ही वेद मंत्र,गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र के उच्चारण के साथ देह को स्वीकार किया । उपस्थित भावी चिकित्सकों व कॉलेज के सभी स्टाफ,चिकित्सकों ने सिर झुका कर देहदान करने वाले परिवार का अभिवादन किया ।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नित्यानंद शर्मा, शरीर रचना विभाग अध्यक्ष डॉ निरंजन गौतम,और पूर्व प्राचार्य डॉ विष्णु चंद जोशी ने देहदानी परिवार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि,देहदानी का एक शरीर अमूक शिक्षक के रूप में,पांच दस सालों तक,अध्ययन के काम आता है । प्रदोष और विजया एकादशी के दिन इस पुण्य कार्य का संपन्न होना देहदानी को मोक्ष की प्राप्ति देता है ।

देहदान के समय पर महाविद्यालय के काफी सारे चिकित्सक डॉ प्रेम सिंह माली,डॉ ओमप्रकाश गुप्ता,डॉ मनीष मीणा,डॉ बृजराज मालव, डॉ श्याम स्वरूप मीना,डॉ मांडवी गौतम डॉ शकुन्तला नागर,डॉ रंगोली चौहान, डॉ सुरभि पंकज, संस्कृत टीचर निलेश जोशी,डॉ विनोद मीणा उपस्थित थे ।

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