सूरए अन नास मक्का या मदीना में नाजि़ल हुआ और इसकी छः (6) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
(ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार (1)
लोगों के बादशाह (2)
लोगों के माबूद की (शैतानी) (3)
वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ (4)
जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है (5)
जिन्नात में से ख़्वाह आदमियों में से (6)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
17 जनवरी 2025
(ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार
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