संभाग के दानवीरों की 2600 से ज्यादा आँखों से है,हज़ारों लोगों की दुनिया रौशन
2. कॉर्निया की अंधता से पीड़ित लोगों को नया जीवन देता है, नेत्रदानी
3. दान में आँख ना मिली होती,तो अंधेरों में भी बीतता पूरा जीवन
4. बंद हो चुकी आँखों से,कई जीवन हो गए रौशन
5. प्रदेश का ऐसा संभाग जहां शोक होते ही परिजन पहले कराते हैं नेत्रदान,बाकी सब काम बाद में ।
6. अंधेरी दुनिया रौशन होने के,सकारात्मक बदलाव की अनोखी कहानी
प्रदेश में नेत्रदान,अंगदान, त्वचादान और देहदान के लिए सम्मिलित रूप से 13 वर्षों से अनवरत कार्य कर रही संस्था शाइन इंडिया फाउंडेशन के जागरूकता अभियानों से पूरे हाडोती संभाग में काफ़ी जागरूकता बढ़ गई है कि,अब किसी भी घर में शोक की अवस्था आने पर शोकाकुल परिवार के सदस्य सबसे पहले यही प्रयास करते हैं कि,दिवंगत के नेत्रदान हो जाये बाकी जरूरी कार्य जैसे कर्मकांडी पंडित को और करीबी रिश्तेदारों को सूचना देने का कार्य यह सब बाद में किए जाते हैं ।
दान के सबसे बड़े पर्व मकर संक्रांति पर कुछ ऐसे लोगों की कहानी हम आप तक पहुंचा रहे हैं, जीने यदि दान में आंखें नहीं मिली होती तो शायद वह यह दुनिया नहीं देख पा रहे होते ।
*केस 1*
छावनी निवासी शारदा देवी पिछले 4 सालों से मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद में हुए कॉर्निया की सफेदी से परेशान थी । दूसरी आंख में भी मोतियाबिंद पक रहा था, ऐसे में उनको डर था की,ऑपरेशन करने के बाद उस आँख में भी कहीं कोई दिक्कत ना आ जाए, 1 साल के इंतजार के बाद कौन है प्रत्यारोपण से अब वह काफी अच्छे से अपना दैनिक कार्य कर रही हैं ।
केस 2
विज्ञान नगर निवासी सुदर्शन कुमार अरोड़ा को भी काफी समय से आंखों से देखने में दिक्कत आ रही थी जांच में पता चला कि करने प्रत्यारोपण के बाद ही वह ठीक से देख सकेंगे एक साल के लगातार इंतजार के बाद, थोड़े समय पहले एम्स नई दिल्ली में उनका कॉर्निया प्रत्यारोपण हुआ, उन्हें फिर से जीने की आस मिल गई आज पूरा परिवार उनको खुश देखकर, खुश है ।
केस 3
कैथूनीपोल निवासी चारुल अग्रवाल की भी दाई आँख में केरेटोकोनस बीमारी की वजह से दिखाई देना बिल्कुल बंद सा हो गया था, इसकी वजह से काफी सिरदर्द भी रहने लगा था, दूसरी आँख पर भी जोर पड़ रहा था । कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय था, शाइन इंडिया के सहयोग से अभी थोड़े समय पहले ही उनका कॉर्निया ट्रांसप्लांट हुआ ,और वापस उनकी जिंदगी पटरी पर आ गई है ।
*11 वर्षों से अनवरत कार्य कर रही है संस्था*
इंडिया फाउंडेशन पिछले 11 वर्षों से पूरे हाड़ौती संभाग में नेत्रदान,अंगदान और देहदान के लिए अनवरत कार्य कर रही है । पूरे राज्य में आई बैंक सोसाइटी ऑफ राजस्थान,जयपुर के मार्गदर्शन में जयपुर के अलावा ,10 से ज्यादा जिलों में नेत्रदान का कार्य हो रहा है परंतु कोटा संभाग पूरे राज्य में दूसरे पायदान पर अपना स्थान बनाए हुए हैं ।
पूरे हाड़ौती संभाग से संस्था के माध्यम से 1300 से अधिक पुण्य-आत्माओं का अभी तक नेत्रदान हो चुका है,इस तरह से संभाग से प्राप्त दान की आंखों से न सिर्फ राजस्थान राज्य के बल्कि भारत देश के अन्य राज्यों को मिलाकर दो हजार से ज्यादा कॉर्निया की अंधता का दुख भोग रहे लोगों में हमारे दान की गयी आँखों से रौशनी रोशनी पहुंची है ।
* जागरूकता शिविर ही बढ़ा सकते हैं नेत्रदान का प्रतिशत*
ईबीएसआर-बीबीजे कोऑर्डिनेटर डॉ कुलवंत गौड़ ने बताया है कि नेत्रदान का कार्य ऐसा नहीं कि सिर्फ माह में 10 दिन कर लिया जाए और आपको नेत्रदान के लिये आगे से शोकाकुल परिवार संपर्क करने लगे। आज शाइन इंडिया के कार्य घर घर इसलिये पहुँचा क्योंकि हमारा कार्य महीने में पूरे 30 दिन पूरे साल भर चलता है ऐसा कोई पल नहीं होता जब संस्था से जुड़े सदस्य नेत्रदान के बारे में दिन में 8-10 लोगों से चर्चा ना करें,तब जाकर आज यह स्थिति है कि,हम माह में 20 से 25 नेत्रदान न्यूनतम लेते हैं । शुरुआत में यह कार्य से वर्ष में 2 जोड़ी नेत्रदान से प्रारंभ हुआ था और आज यह वर्ष में 200 जोड़ी से ज्यादा नेत्रदान पर आ चुका है। इसका सारा श्रेय सबसे पहले शोक की घड़ी में नेत्रदान के लिए तैयार होने वाले परिवारों का है,हमारे सभी प्रयास उनके कार्य के आगे नगण्य मात्र है ।
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