सूरए अश शम्स मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी पन्द्रह (15) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
सूरज की क़सम और उसकी रौषनी की (1)
और चाँद की जब उसके पीछे निकले (2)
और दिन की जब उसे चमका दे (3)
और रात की जब उसे ढाँक ले (4)
और आसमान की और जिसने उसे बनाया (5)
और ज़मीन की जिसने उसे बिछाया (6)
और जान की और जिसने उसे दुरूस्त किया (7)
फिर उसकी बदकारी और परहेज़गारी को उसे समझा दिया (8)
(क़सम है) जिसने उस (जान) को (गनाह से) पाक रखा वह तो कामयाब हुआ (9)
और जिसने उसे (गुनाह करके) दबा दिया वह नामुराद रहा (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
15 दिसंबर 2024
सूरज की क़सम और उसकी रौषनी की
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