78 सूरए अन नबा
सूरए अन नबा मक्का में नाजि़ल हुआ और उसकी चालीस (40) आयतें हैंख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
ये लोग आपस में किस चीज़ का हाल पूछते हैं (1)
एक बड़ी ख़बर का हाल (2)
जिसमें लोग एख़्तेलाफ कर रहे हैं (3)
देखो उन्हें अनक़रीब ही मालूम हो जाएगा (4)
फिर इन्हें अनक़रीब ही ज़रूर मालूम हो जाएगा (5)
क्या हमने ज़मीन को बिछौना (6)
और पहाड़ों को (ज़मीन) की मेख़े नहीं बनाया (7)
और हमने तुम लोगों को जोड़ा जोड़ा पैदा किया (8)
और तुम्हारी नींद को आराम (का बाइस) क़रार दिया (9)
और रात को परदा बनाया (10)
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