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09 नवंबर 2024

कोटा के कुन्हाड़ी जैन मंदिर में स्थापित होगी विश्व की सबसे ऊंची स्फटिक मूर्तियां, मल्टीनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में होगा नाम दर्ज।

 

कोटा के कुन्हाड़ी जैन मंदिर में स्थापित होगी विश्व की सबसे ऊंची स्फटिक मूर्तियां, मल्टीनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में होगा नाम दर्ज।

कोटा, 9 नवम्बर। 

शिक्षानगरी कोटा में स्थित जैन मंदिर में स्फटिक मणि से निर्मित भगवान की सबसे ऊंची मूर्तियां स्थापित होगी। 

दुनिया की सबसे ऊंची पदमासन श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान की 35.80 इंच (लगभग तीन फुट) एवं श्री 1008 संभवनाथ भगवान की स्फटिक मणि की कमलासन प्रतिमा जिसकी उंचाई 30.20 इंच है,
बनकर तैयार हो चुकी हैं और आगामी 14 नवम्बर को दोनों प्रतिमाएं श्रुत संवेगी श्रमण 108 श्री आदित्य सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में वेदी पर प्रतिष्ठित हो जाएंगी। 
भगवान की ये दोनों मूर्तियां कुन्हाड़ी स्थित श्री 1008 चंद्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कोटा में प्रतिष्ठित की जाएगी। 
मूर्ति को विश्व की सबसे ऊंची स्फटिक मूर्ति के रूप में मल्टीनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (लंदन) के भारत के सीईओ कृष्ण कुमार उपाध्याय ने रिकॉर्ड कैटेगरी में प्रतिमाओ को शामिल करने की घोषणा की। 
उन्होंने बताया कि शीघ्र ही सम्मान हेतु सर्टिफिकेट संस्था द्वारा दिया जाएगा। वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होने की घोषणा होते ही समाजबंधुओं में खुशी की लहर दौड़ गई। 
इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुनि श्री 108 आदित्य सागर जी महाराज ने कहा कि ये कोटा ही नहीं अपितु पूरे देश के लिए गौरव का विषय है कि ये गौरव कोटा की धरती पर जैन समाज को प्राप्त हो रहा है। 
महाराजश्री ने कहा कि ये सम्मान अकेले जैन समाज के लिये ही नहीं अपितु सर्व समाज के लिए हर्ष का विषय है। 
मूर्ति बनने में करीब आठ महीने का समय लगा, उसके पॉलिश होकर तैयार होने में लगभग 15 महीने का समय लगा। 
इन प्रतिमाओं का वजन लगभग डेढ़ सौ से दो सौ किलो है। 
उन्होंने बताया कि स्फटिक वास्तु के लिहाज से स्फटिक पॉजीटिव एनर्जी का स्त्रोत होता है।
इसलिए किसी मंदिर,घर या ऑफिस के शिलान्यास पर वास्तुकार स्फटिक रखने की सलाह देते हैं।
जिसमें प्रतिमाओं की पॉजीटिव उर्जा इन सबसे बढ़कर होती है। 
मुनि श्री ने बताया कि भगवान की मूर्तियों की स्थापना मंदिर में 14 नवम्बर को होगी, कार्यक्रम के अनुसार 14 नवम्बर को वेदी पर मूर्ति स्थापना और 15 नवम्बर को मूर्ति का विधिवत रूप से महामस्ताभिषेक कार्यक्रम होगा।

उन्होंने कहा कि छोटी मूर्तियां भारत में कई जगहों पर हैं, लेकिन बड़ी मूर्तियां मध्यप्रदेश के सिवनी, इंदौर, सागर, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व भीलवाड़ा में ही स्थापित हैं। 
इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के कार्याध्यक्ष प्रकाश जैन बज ने कहा कि मुनि श्री के सानिध्य में कोटा के जैन मंदिर में स्फटिक मणि की स्थापना होने से कोटा के जैन समाज का गौरव बढ़ा है। 
इससे समाज में खुशी की लहर है। 
पत्रकार वार्ता के दौरान करनी झाला, शुभम पाटनी, महामंत्री पारस बज आदित्य,चिंटू पाटनी,जम्बु बज,चंद्रेश रंवका,सुधी बड़जात्या,राकेश पाटोदी,पारस जी सौगानी ,अंकित जैन समेत अन्य समाजबंधु मौजूद रहे।



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