जिसमें न ठन्डक है और न जहन्नुम की लपक से बचाएगा (31)
उससे इतने बड़े बड़े अँगारे बरसते होंगे जैसे महल (32)
गोया ज़र्द रंग के ऊँट हैं (33)
उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है (34)
ये वह दिन होगा कि लोग लब तक न हिला सकेंगे (35)
और उनको इजाज़त दी जाएगी कि कुछ उज्र माअज़ेरत कर सकें (36)
उस दिन झुठलाने वालों की तबाही है (37)
यही फैसले का दिन है (जिस में) हमने तुमको और अगलों को इकट्ठा किया है (38)
तो अगर तुम्हें कोई दाँव करना हो तो आओ चल चुको (39)
उस दिन झुठलाने वालों की ख़राबी है (40)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
07 नवंबर 2024
जिसमें न ठन्डक है और न जहन्नुम की लपक से बचाएगा
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