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13 नवंबर 2024

उन (फरिश्तों) की कसम जो (कुफ्फ़ार की रूह) डूब कर सख्ती से खीच लेते हैं

 सुरए नाज़ेआत मक्के में नाजिल हुआ और इसमें (46) आयतें और दो रुकूअ हैं
शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान रहेम वाला हैं
उन (फरिश्तों) की कसम जो (कुफ्फ़ार की रूह) डूब कर सख्ती से खीच लेते हैं(1)
और उनकी कसम जो (मोमिन की जान) आसानी से खोल देता हैं (2)
और उन की कसम जो (आसमान ज़मीन के दरमियान) पैरते फिरते हैं (3)
फिर एक के आगे बढते है (4)
बढते फिर (दुनिया के) इंतेज़ाम करते हैं (5)
(उनकी कसम कि क़यामत हो कर रहेगी) जिस दिन ज़मीन को भूचाल आएगा (6)
फिर उस पीछे और ज़लज़ला आएगा (7)
उस दिन दिलों की धड़कन होंगी (8)
उन की आँखे (निदामत से) झुंकी हुई होंगी (9)
कुफ्फ़ार कहते है की क्या हम उलटे पाँव (ज़िन्दगी की तरफ) फिर लौटेंगे (10)

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