1. नेत्रदान के लिए एक घण्टा देरी से निकली शव यात्रा
2. पूरी आँख नहीं लेकर जाएंगे,यह बात समझ आई, तो संपन्न हुआ नेत्रदान
कोटा से 20 किलोमीटर दूर कैथून के पास के गांव भीमपुरा में आज सुबह मेहनत मजदूरी करके घर चलाने वाले गरीब परिवार के मूलचंद गौघड़िया का आकस्मिक निधन हुआ । जिसकी सूचना कोटा निवासी उनके भतीजे लेखराज और लक्ष्मी नारायण जारवाल को लगी,यह शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र के साथ-साथ नेत्रदानी परिवार भी हैं ।
नेत्रदान संभव हो यह सोचकर दोनों घर से भीमपुरा के लिये रवाना हुए और उनके बेटे भेरूलाल और खेमचंद को पिता के नेत्रदान करवाने के लिए कहा । दोनों बेटे अशिक्षित थे,परंतु धर्म कर्म में आस्था रखने के कारण तुरंत ही नेत्रदान करवाने के लिए राजी हो गए । परंतु जानकारी के अभाव के कारण ग्राम वासियों और उपस्थित करीबी रिश्तेदारों ने नैत्रदान का विरोध करना प्रारंभ कर दिया और शव यात्रा निकालने की तैयारी प्रारंभ कर दी ।
पुनः मूलचंद के दोनों बेटों को आगे कर वापस एक बार समझाइश की गई और उनको कहा गया की, नेत्रदान में ऊपर की पतली झिल्ली लेंगे पूरी आँख नहीं लेंगे और कोई खून नहीं आएगा, यह बात जानने के बाद नेत्रदान के लिये वापस सभी की सहमति बनी ।
सहमति मिलते ही कोटा से डॉ कुलवंत गौड़ तुरंत ही नेत्र संकलन वाहिनी ज्योति रथ लेकर, भीमपुरा कैथून पहुंचे और घर परिवार की 200 से ज्यादा महिलाओं के बीच में नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई । नेत्रदान के बाद डॉ गौड़ ने वहीं पर रुककर, ग्राम वासियों को नेत्रदान की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी । इस पूरी प्रक्रिया के कारण शव यात्रा एक घंटा देरी से प्रारंभ हुई पुनीत कार्य में सहयोग करने के लिए डॉ गौड़ ने सभी का धन्यवाद दिया ।
2. पूरी आँख नहीं लेकर जाएंगे,यह बात समझ आई, तो संपन्न हुआ नेत्रदान
कोटा से 20 किलोमीटर दूर कैथून के पास के गांव भीमपुरा में आज सुबह मेहनत मजदूरी करके घर चलाने वाले गरीब परिवार के मूलचंद गौघड़िया का आकस्मिक निधन हुआ । जिसकी सूचना कोटा निवासी उनके भतीजे लेखराज और लक्ष्मी नारायण जारवाल को लगी,यह शाइन इंडिया फाउंडेशन के ज्योति मित्र के साथ-साथ नेत्रदानी परिवार भी हैं ।
नेत्रदान संभव हो यह सोचकर दोनों घर से भीमपुरा के लिये रवाना हुए और उनके बेटे भेरूलाल और खेमचंद को पिता के नेत्रदान करवाने के लिए कहा । दोनों बेटे अशिक्षित थे,परंतु धर्म कर्म में आस्था रखने के कारण तुरंत ही नेत्रदान करवाने के लिए राजी हो गए । परंतु जानकारी के अभाव के कारण ग्राम वासियों और उपस्थित करीबी रिश्तेदारों ने नैत्रदान का विरोध करना प्रारंभ कर दिया और शव यात्रा निकालने की तैयारी प्रारंभ कर दी ।
पुनः मूलचंद के दोनों बेटों को आगे कर वापस एक बार समझाइश की गई और उनको कहा गया की, नेत्रदान में ऊपर की पतली झिल्ली लेंगे पूरी आँख नहीं लेंगे और कोई खून नहीं आएगा, यह बात जानने के बाद नेत्रदान के लिये वापस सभी की सहमति बनी ।
सहमति मिलते ही कोटा से डॉ कुलवंत गौड़ तुरंत ही नेत्र संकलन वाहिनी ज्योति रथ लेकर, भीमपुरा कैथून पहुंचे और घर परिवार की 200 से ज्यादा महिलाओं के बीच में नेत्रदान की प्रक्रिया संपन्न हुई । नेत्रदान के बाद डॉ गौड़ ने वहीं पर रुककर, ग्राम वासियों को नेत्रदान की पूरी प्रक्रिया की जानकारी दी । इस पूरी प्रक्रिया के कारण शव यात्रा एक घंटा देरी से प्रारंभ हुई पुनीत कार्य में सहयोग करने के लिए डॉ गौड़ ने सभी का धन्यवाद दिया ।
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