सूरए अल हाक़्क़ह मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी बावन (52) आयतें हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
सच मुच होने वाली (क़यामत) (1)
और सच मुच होने वाली क्या चीज़ है (2)
और तुम्हें क्या मालूम कि वह सच मुच होने वाली क्या है (3)
(वही) खड़ खड़ाने वाली (जिस) को आद व समूद ने झुठलाया (4)
ग़रज़ समूद तो चिंघाड़ से हलाक कर दिए गए (5)
रहे आद तो वह बहुत शदीद तेज़ आँधी से हलाक कर दिए गए (6)
ख़ुदा ने उसे सात रात और आठ दिन लगाकर उन पर चलाया तो लोगों को इस तरह
ढहे (मुर्दे) पड़े देखता कि गोया वह खजूरों के खोखले तने हैं (7)
तू क्या इनमें से किसी को भी बचा खुचा देखता है (8)
और फि़रऔन और जो लोग उससे पहले थे और वह लोग (क़ौमे लूत) जो उलटी हुयी बस्तियों के रहने वाले थे सब गुनाह के काम करते थे (9)
तो उन लोगों ने अपने परवरदिगार के रसूल की नाफ़रमानी की तो ख़ुदा ने भी उनकी बड़ी सख़्ती से ले दे कर डाली (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 अक्टूबर 2024
और सच मुच होने वाली क्या चीज़ है
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)