(ये भी) कह दो कि मैं तुम्हारे हक़ में न बुराई ही का एख़्तेयार रखता हूँ और न भलाई का (21)
(ये भी) कह दो कि मुझे ख़ुदा (के अज़ाब) से कोई भी पनाह नहीं दे सकता और न मैं उसके सिवा कहीं पनाह की जगह देखता हूँ (22)
ख़ुदा की तरफ़ से (एहकाम के) पहुँचा देने और उसके पैग़ामों के सिवा (कुछ
नहीं कर सकता) और जिसने ख़ुदा और उसके रसूल की नाफ़रमानी की तो उसके लिए
यक़ीनन जहन्नुम की आग है जिसमें वह हमेशा और अबादुल आबाद तक रहेगा (23)
यहाँ तक कि जब ये लोग उन चीज़ों को देख लेंगे जिनका उनसे वायदा किया जाता
है तो उनको मालूम हो जाएगा कि किसके मददगार कमज़ोर और किसका शुमार कम है
(24)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं नहीं जानता कि जिस दिन का तुमसे वायदा किया
जाता है क़रीब है या मेरे परवरदिगार ने उसकी मुद्दत दराज़ कर दी है (25)
(वही) ग़ैबवाँ है और अपनी ग़ैब की बाते किसी पर ज़ाहिर नहीं करता (26)
मगर जिस पैग़म्बर को पसन्द फ़रमाए तो उसके आगे और पीछे निगेहबान फरिश्ते मुक़र्रर कर देता है (27)
ताकि देख ले कि उन्होंने अपने परवरदिगार के पैग़ामात पहुँचा दिए और (यूँ
तो) जो कुछ उनके पास है वह सब पर हावी है और उसने तो एक एक चीज़ गिन रखी
हैं (28)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 अक्टूबर 2024
(ये भी) कह दो कि मैं तुम्हारे हक़ में न बुराई ही का एख़्तेयार रखता हूँ और न भलाई का
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