कौन ऐसा है जो ख़ुदा को ख़ालिस नियत से क़र्जे हसना दे तो ख़ुदा उसके लिए
(अज्र को) दूना कर दे और उसके लिए बहुत मुअज़्जि़ज़ सिला (जन्नत) तो है ही
(11)
जिस दिन तुम मोमिन मर्द और मोमिन औरतों को देखोगे कि उन (के ईमान) का
नूर उनके आगे आगे और दाहिने तरफ़ चल रहा होगा तो उनसे कहा (जाएगा) तुमको
बशारत हो कि आज तुम्हारे लिए वह बाग़ है जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें
हमेशा रहोगे यही तो बड़ी कामयाबी है (12)
उस दिन मुनाफि़क मर्द और मुनाफि़क औरतें ईमानदारों से कहेंगे एक नज़र
(शफ़क़्क़त) हमारी तरफ़ भी करो कि हम भी तुम्हारे नूर से कुछ रौशनी हासिल
करें तो (उनसे) कहा जाएगा कि तुम अपने पीछे (दुनिया में) लौट जाओ और (वही)
किसी और नूर की तलाष करो फिर उनके बीच में एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी
जिसमें एक दरवाज़ा होगा (और) उसके अन्दर की जानिब तो रहमत है और बाहर की
तरफ़ अज़ाब तो मुनाफि़क़ीन मोमिनीन से पुकार कर कहेंगे (13)
(क्यों भाई) क्या हम कभी तुम्हारे साथ न थे तो मोमिनीन कहेंगे थे तो
ज़रूर मगर तुम ने तो ख़ुद अपने आपको बला में डाला और (हमारे हक़ में
गर्दिषों के) मुन्तजि़र हैं और (दीन में) शक किया किए और तुम्हें
(तुम्हारी) तमन्नाओं ने धोखे में रखा यहाँ तक कि ख़ुदा का हुक्म आ पहुँचा
और एक बड़े दग़ाबाज़ (शैतान) ने ख़ुदा के बारे में तुमको फ़रेब दिया (14)
तो आज न तो तुमसे कोई मुआवज़ा लिया जाएगा और न काफि़रों से तुम सबका
ठिकाना (बस) जहन्नुम है वही तुम्हारे वास्ते सज़ावार है और (क्या) बुरी जगह
है (15)
क्या ईमानदारों के लिए अभी तक इसका वक़्त नहीं आया कि ख़ुदा की याद और
क़ुरआन के लिए जो (ख़ुदा की तरफ़ से) नाजि़ल हुआ है उनके दिल नरम हों और वह
उन लोगों के से न हो जाएँ जिनको उन से पहले किताब (तौरेत, इन्जील) दी गयी
थी तो (जब) एक ज़माना दराज़ गुज़र गया तो उनके दिल सख़्त हो गए और इनमें से
बहुतेरे बदकार हैं (16)
जान रखो कि ख़ुदा ही ज़मीन को उसके मरने (उफ़तादा होने) के बाद जि़न्दा
(आबाद) करता है हमने तुमसे अपनी (क़ुदरत की) निशानियाँ खोल खोल कर बयान कर
दी हैं ताकि तुम समझो (17)
बेशक ख़ैरात देने वाले मर्द और ख़ैरात देने वाली औरतें और (जो लोग)
ख़ुदा की नीयत से ख़ालिस क़र्ज़ देते हैं उनको दोगुना (अज्र) दिया जाएगा और
उनका बहुत मुअजि़ज़ सिला (जन्नत) तो है ही (18)
और जो लोग ख़ुदा और उसके रसूलों पर ईमान लाए यही लोग अपने परवरदिगार के
नज़दीक सिद्दीक़ों और शहीदों के दरजे में होंगे उनके लिए उन्ही (सिद्दीकों
और शहीदों) का अज्र और उन्हीं का नूर होगा और जिन लोगों ने कुफ़्र किया और
हमारी आयतों को झुठलाया वही लोग जहन्नुमी हैं (19)
जान रखो कि दुनियावी जि़न्दगी महज़ खेल और तमाशा और ज़ाहिरी ज़ीनत (व
आसाइश) और आपस में एक दूसरे पर फ़ख्ऱ करना और माल और औलाद की एक दूसरे से
ज़्यादा ख़्वाहिशष है (दुनयावी जि़न्दगी की मिसाल तो) बारिश की सी मिसाल है
जिस (की वजह) से किसानों की खेती (लहलहाती और) उनको ख़ुश कर देती थी फिर
सूख जाती है तो तू उसको देखता है कि ज़र्द हो जाती है फिर चूर चूर हो जाती
है और आखि़रत में (कुफ्फ़ार के लिए) सख़्त अज़ाब है और (मोमिनों के लिए)
ख़ुदा की तरफ़ से बख़शिश और ख़ुशनूदी और दुनयावी जि़न्दगी तो बस फ़रेब का
साज़ो सामान है (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
09 सितंबर 2024
कौन ऐसा है जो ख़ुदा को ख़ालिस नियत से क़र्जे हसना दे तो ख़ुदा उसके लिए (अज्र को) दूना कर दे और उसके लिए बहुत मुअज़्जि़ज़ सिला (जन्नत) तो है ही
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