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23 सितंबर 2024

कोटा कोचिंग सिटी के अस्तित्व को संरक्षित करते हुए स्कूली शिक्षा का ढांचा बचाये रखना, स्कूली शिक्षा मंत्री राजस्थान सरकार मदन जी दिलावर के लियें बढ़ी चुनोती, सैद्धांतिक फैसला हुआ, तभी स्कूली शिक्षा ढांचा, स्कूली बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो पाना सम्भव होगा,

 

कोटा कोचिंग सिटी के अस्तित्व को संरक्षित करते हुए स्कूली शिक्षा का ढांचा बचाये रखना, स्कूली शिक्षा मंत्री राजस्थान सरकार मदन जी दिलावर के लियें बढ़ी चुनोती, सैद्धांतिक फैसला हुआ, तभी स्कूली शिक्षा ढांचा, स्कूली बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो पाना सम्भव होगा,
राजस्थान सरकार में स्कूली शिक्षा मंत्री मदन जी दिलावर का ग्रह जिला ,, निर्वाचन क्षेत्र रामगंजमंडी कोटा है , यहां कोचिंग युग की शुरुआत के बाद , स्कूली शिक्षा को कोचिंग अज़गर बनकर निगल रहे हैं ,, ऐसे आरोपों के बाद , कोचिंग छात्र छात्राओं के डिप्रेशन सहित दूसरी अव्यवस्थाओं के बाद , सो मोटो जनहित याचिका मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के सख्त दिशा निर्देश के बाद ,, राजस्थान कोचिंग व्यवस्था के लिए एक बिल प्रस्तावित है , जो क़ानून बनकर आएगा , उक्त बिल को लागु करने के पूर्व , स्कूली शिक्षा से जुड़े , स्कूल मालिक , और कोचिंग संचालकों की बैठक हाल ही में राजस्थान सरकार ने ली है , जो की स्कूली शिक्षा मंत्रालय के अधीन नहीं होकर, उच्च शिक्षा मंत्रालय के अधीन हुई है , ,खेर यह व्यवस्था की बात है , लेकिन कोचिंग निति में , 16 साल तक के बच्चों का प्रवेश कोचिंग में प्रतिबंधित किया है , जबकि कोचिंग वालों ने बैठक में चर्चा के दौरान इस 16 वर्ष की आयु सीमा को कम करने की मांग शिद्द्त से उठाई है , ,सवाल स्कूली शिक्षा को जीवित रखने का है , ऐसे में जब स्कूल ही जीवित नहीं रहेंगे , तो फिर बच्चों को स्कूली शिक्षा ,देकर अनुशासन सिखाने वाले , स्कूल खत्म होते जाएंगे या फिर उन्हें सिद्धांतों , ईमानदारी से समझौता कर , दोहरे एडमिशन के नाम पर एक ही छात्र को डमी के रूप में स्कूल में एडमिशन देना पढ़ रहा है , और वही छात्र स्कूली समय में , कोचिंग में भी उपस्थित है , स्कूल में भी उपस्थित है , यूँ तो कुछ कोचिंग ने खुद अपने स्कूल खोल लिए हैं , कुछ ने गिनती के स्कूलों से समन्वय स्थापित किया है , लेकिन इन सब माहौल में स्कूली शिक्षा का ढांचा ,, जो बच्चों को आदर सम्मान ,, देश के प्रति प्रार्थनाये , अनुशासन , राष्ट्रभक्ति के , कार्यक्रम , खेल , कूद , मनोरंजन , एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों से जोड़कर , बहुत कुछ सिखाता है , गुरु का सम्मान , स्कूल में आने जाने के वक़्त की पाबंदी नियमित प्रार्थना , प्रतिज्ञा , खेलकूद , महापुरुषों की जयंतियां वगेरा सभी तरह के ज्ञान उस छात्र को होते हैं , जबकि , उस छात्र को पढ़ाने के लिए विशेष तोर से उस आयु वर्ग के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके से पढ़ाने , समझाने के लिए प्रशिक्षित ,,बी ऐड , एस टी सी , एम ऐड शिक्षक होते हैं , ,लकिन कोचिंगों में , एक छात्र पर स्कूल के डमी एडमिशन का दबाव होता है , अलग अलग शहरों में भी उनके एडमिशन हो सकते हैं , वोह स्कूल के वातावरण से अलग थलग रहते हैं , सिर्फ प्रेक्टिकल देने , एक्ज़ाम देने तक ही उनकी स्कूल आवागमन की ज़िम्मेदारी रहती है , कोचिंग में पढ़ाने के लिए , कोई प्रशिक्षित लेचररर नहीं होता , उनका अपना स्टाइल , अपना अंदाज़ होता है , सिर्फ पेपर में आने वाली जानकारियों तक उन्हें सीमित किया जाता है , ना प्रार्थना , ना प्रतिज्ञा ना राष्ट्रभक्त के कार्यक्रमों की सीख ,, खेलकूद प्रतियोगिताएं , वाद विवाद प्रतियोगिताएं सब से कोचिंग छात्र अलग थलग रहता है , फिर उसमे एडमिशन अवैध होता है , एक छात्र स्कूल में रहते हुए , स्कूल समय में , ही कोचिंग में और स्कूल में कैसे उपस्थित रह सकता है , इस दर्द को , राजस्थान हाईकोर्ट ने जाना था और स्कूली समय में , कोचिंग नहीं चलेंगे , कोचिंग स्कूली समय के बाद जहि चलाये जाएँ यह सुझाव आया था , फिर कोचिंग सक्रिय हुए , कोचिंग नीति बनी , अब दो वर्षों से कोचिंग नीति के नाम पर , बैठकें हो रही हैं , ज्ञापन बाज़ी हो रही है , लेकिन कोचिंग निति अभी तक अंतिम रूप में नहीं आई है , कोचिंग और स्कूली शिक्षा दोनों अलग अलग है , ऐसे में स्कूली शिक्षा को बचाने , उसे ज़िंदा रखने के लिए स्कूली व्यवस्थाओं के दिशा निर्देश , विधि नियमों के साथ , स्कूली शिक्षा मंत्री कोटा ग्रह ज़िले के होने से , उनका दायित्व बढ़ गया है , क्योंकि सभी जानते है , स्कूल ही अगर खत्म हो गए तो बच्चे इंजीनियर ,. डॉक्टर तो बन कर दिखा देंग , लेकिन एक अच्छा भारतीय ,एक अच्छा नागरिक बनने की सीख उनकी आधी अधूरी रह सकती है , ,फिर एक डॉक्टर , एक इंजीनियर , उनमे से कई , आई ऐ एस , आई पी एस भी बनते है, उनकी बुनियाद , एक ही वक़्त में , क़ानूनी रूप से स्कूल में एडमिशन और उसी दिन स्कूल से बंक होकर , कोचिंग में उपस्थिति की जो नियमित अवैधानिक व्यवस्था है , वोह उसमे शामिल रहती है , जो किसी ना किसी तरीके से अनैतिक तो होती है , देश के बुद्धिजियों , शिक्षाविदों , स्कूली शिक्षा मत्रियों को , इस मामले विचार करना ही होगा , स्कूल के संचालक और कोचिंग संचालकों का डिमांड चार्टर अलग अलग हो सकता है , लेकिन , देश के भविष्य , छात्र छात्रों के चारित्रिक , विकास के लिए क्या ज़्यादा ज़रूरी है यह देश को सोचना होगा ,, ,कोई नीति जो ईमानदार हो , जो देश के भविष्य कहे जाने वाले इन स्कूली बच्चों , स्कूल में पढ़ाई नहीं होने , का प्रचार कर , कोचिंग की पढ़ाई अभियान , के बारे में चिंतन तो ज़रूरी है , अगर स्कूल है , अगर स्कूलों में पढ़ाई है , तो फिर कोचिंग अगर है तो सीधी सी बात है , स्कूल की शिक्षा कंडम है , स्कूल की शिक्षा में बच्चा अगर टॉपर हो , तो भी वोह कोचिंग के बगैर कई बार नीट , आई आई टी वगेरा में प्रवेश परीक्षा में रह जाता है ,और अगर इनमे पास हो जाता है , तो फिर स्कूल में डमी होने से कई बार स्कूली शिक्षा में रह जाता है , इस विरोधाभास को राष्ट्रिय निति बनाकर ही , स्कूल की शिक्षा , पाठ्यक्रम , स्कूली शिक्षा के टॉपर को प्रवेश में सम्मान देकर ही दिया जा सकता है , स्कूली शिक्षा का ही पाठ्यक्रम , प्रतियोगी प्रवेश परीक्षाओं में हों , ऐसा नियम बनाया जा सकता है , छात्र स्कूल के बाद चाहे तो प्रतिभा बढ़ाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम के अनुरूप ही , कोचिंग में शिक्षा ले सकता है , लेकिन स्कूली शिक्षा का बच्चा पाठय्रकम के तोर तरीके अलग अलग होने से ,, प्रवेश परीक्षाओं में कोचिंग शिक्षा लेने पर मजबूर होता है , तो फिर एक तो यह तरीक़ा हो सकता है , जो पुराना ,था ईमानदाराना था , स्कूल में जितने भी छात्र हैं , उनकी टॉपर लिस्ट के हिसाब से एडमिशन हो , या फिर कोचिंग इंडस्ट्रीज़ को बढ़ाने के लिए अगर स्कूली बच्चों के लिए प्रतिभा होने पर भी , पृथक से प्रवेश परीक्षा देना ज़रूरी हो , तो पाठ्यक्रम स्कूल में जो पढ़ाया जाता है , उसी में से उस प्रवेश परीक्षा के सवाल आयें , आवश्यकता पढ़े तो स्कूली पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव कर ले ,, लेकिन देश के भविष्य , देश के कर्णधारों को , स्कूल और कोचिंग की भूल भुलय्या में उलझाकर निराशावाद में तो जाने से रोकें , ,इस मामले में कोटा ग्रह ज़िले के स्कूली शिक्षा मंत्री की ज़िम्मेदारी अब बढ़ गई है , दो व्यवस्थाएं हो जाए , एक तो स्कूली बच्चा स्कूली समय में कोचिंग में उपस्थित न रहे , स्कूल के बाद ही कोचिंग की शैक्षणिक व्यवस्था का क़ानून हो , और 16 वर्ष से कम किसी भी बच्चे को , कोचिंग में एमिशन देने पर प्रतिबंध हो ,, स्कूलों को जो , नंबर भेजने का नियम है , वोह पूरी तरह से खत्म हो , छात्र एक्ज़ाम दे , जितने भी नंबर आये , पुरे नंबर के एक्ज़ाम पेपर में से ही आएं ताकि स्कूली शिक्षा भी मज़बूत हो , स्कूली अनुशासन भी मज़बूत हो ,,,,,, , अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

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