तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो (71)
क्या उसके दरख़्त को तुमने पैदा किया या हम पैदा करते हैं (72)
हमने आग को (जहन्नुम की) याद देहानी और मुसाफिरों के नफ़े के (वास्ते पैदा किया) (73)
तो (ऐ रसूल) तुम अपने बुज़ुर्ग परवरदिगार की तस्बीह करो (74)
तो मैं तारों के मनाजि़ल की क़सम खाता हूँ (75)
और अगर तुम समझो तो ये बड़ी क़सम है (76)
कि बेशक ये बड़े रूतबे का क़ुरआन है (77)
जो किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है (78)
इसको बस वही लोग छूते हैं जो पाक हैं (79)
सारे जहाँ के परवरदिगार की तरफ से (मोहम्मद पर) नाजि़ल हुआ है (80)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 सितंबर 2024
तो क्या तुमने आग पर भी ग़ौर किया जिसे तुम लोग लकड़ी से निकालते हो
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