मगर ये कुफ़्फ़ार तो सरकशी और नफ़रत (के भँवर) में फँसे हुए हैं भला जो
शख़्स औंधे मुँह के बाल चले वह ज़्यादा हिदायत याफ्ता होगा (21)
या वह शख़्स जो सीधा बराबर राहे रास्त पर चल रहा हो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा तो वही है जिसने तुमको नित नया पैदा किया (22)
और तुम्हारे वास्ते कान और आँख और दिल बनाए (मगर) तुम तो बहुत कम शुक्र अदा करते हो (23)
कह दो कि वही तो है जिसने तुमको ज़मीन में फैला दिया और उसी के सामने जमा किए जाओगे (24)
और कुफ़्फ़ार कहते हैं कि अगर तुम सच्चे हो तो (आखि़र) ये वायदा कब (पूरा) होगा (25)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि (इसका) इल्म तो बस ख़ुदा ही को है और मैं तो सिर्फ साफ़ साफ़ (अज़ाब से) डराने वाला हूँ (26)
तो जब ये लोग उसे करीब से देख लेंगे (ख़ौफ के मारे) काफ़िरों के चेहरे
बिगड़ जाएँगे और उनसे कहा जाएगा ये वही है जिसके तुम ख़वास्तग़ार थे (27)
(ऐ रसूल) तुम कह दो भला देखो तो कि अगर ख़ुदा मुझको और मेरे साथियों को
हलाक कर दे या हम पर रहम फ़रमाए तो काफि़रों को दर्दनाक अज़ाब से कौन पनाह
देगा (28)
तुम कह दो कि वही (ख़ुदा) बड़ा रहम करने वाला है जिस पर हम ईमान लाए हैं
और हमने तो उसी पर भरोसा कर लिया है तो अनक़रीब ही तुम्हें मालूम हो जाएगा
कि कौन सरीही गुमराही में (पड़ा) है (29)
ऐ रसूल तुम कह दो कि भला देखो तो कि अगर तुम्हारा पानी ज़मीन के अन्दर
चला जाए कौन ऐसा है जो तुम्हारे लिए पानी का चश्मा बहा लाए (30)
सूरए अल मुल्क ख़त्म
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)