चलो हिम्मत दिखाओ, देवस्थान, वक़्फ़ कानून में करो संशोधन, अतिक्रमी को दस साल की सज़ा, गबन कर्ता, घोटालेबाज़, भ्रष्टाचारी को मृत्यु दंड, कल्याणकारी व्यवस्थाओं पर खर्च, सरकार क़ब्ज़े करे तो सरकार की बर्खास्तगी का करो संशोधन, नहीं तो सियासत तो रोज़ होती है, झूँठ फैलाकर नफरत रोज़ भड़काते हो , फिर कभी सच के आईने में भी झांककर तो देखो,
केंद्र में नरेंद्र मोदी जी ,,, नितीश कुमार ,, चंद्रबाबू नायडू सहित कई लोगों की मिली जुली सरकार ,, देश में कई सालों से चल रहे , केंद्रीय वक़्फ़ क़ानून के संशोधन की बात कर रही है , फीलहाल तो यह क़ानून जे पी सी को सुझावों के लिए भेज दिया गया है , लेकिन देश देख रहा है , कुछ ट्रोल तन्खैयये ,, इस क़ानून से नफरत करते हुए , इसके खिलाफ माहौल बनाने की साज़िशी हरकतों से जुड़े है , यक़ीनन उन्हें कुछ ज्ञान नहीं है , वोह सिर्फ सियासत और नफरत के कारणों से ऐसा कर रहे हैं , वगरना उन्होंने देश के देवस्थान क़ानून , वक़्फ़ क़ानून सहित देश के इतिहास रिफ्यूजियों का कहाँ किन सम्पत्तियों पर पनाह मिली इस बारे में ज़रूर जानते , समझते , खेर यह बात दीगर है ,, इसके लिए हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू , पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पूरी तरह से ज़िम्मेदार हैं , क्योंकि देश के विभाजन के बाद जब भीम राव अबेडकर सहित संविधान सभा ने संविधान बनाया , तो देश में धर्म ,. जाति , लिंग के आधार पर किसी भी भेदभाव पर संवैधानिक रोक लगाई गई , लेकिन देश में अमीरी , गरीबी , सामजिक अर्थव्यवस्था के बिगड़े हालातों को देखते हुए , देश के निचले स्तर पर रह रहे , समाजों , कर्मकारों को , बिना किसी धार्मिक भेदभाव के , उच्च स्तर पर लाने के प्रयासों के लिए , उनके अध्ययन और सुझावों के लिए काका केलकर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई , उक्त काका केलकर कमेटी ने ,, अपनी रिपोर्ट में कहा के देश में कपड़ा बुनने वाले बुनकर ,, मांस का व्यवसाय करने वाले , खाल का व्यवसाय करने ,वाले कपड़े धोने वाले , वगेरा वगेरा कारोबार से जुड़े लोग पिछड़ी स्थिति में जी रहे हैं , जिनके आर्थिक उत्थान के लिए सरकार को इनकी मदद करना चाहिए , ,ऐसे लोगों के लिए विशेष आरक्षण की सुविधा का क़ानून बना, ,, अब आरक्षण के वक़्त पंडित जवाहर लाल नेहरू , और शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद सहित उस वक़्त की तात्कालिक सरकार का संविधान , संविधान की भावना तोड़कर नियम बनाने की नाइंसाफी देखिये , काका केलकर की रिपोर्ट में मांस के कारोबारी , चमड़े के कारोबारी , कपड़े बुनने के कारोबारी , कपड़ा धोने के कारोबारी वगेरा के उत्थान की सिफारिश की थी , लेकिन इसमें , मुस्लिमों को इस लाभ से वंचित करने के लिए देश की पहली संविधान विरोधी नाइंसाफी की शुरुआत हुई , ,, और काका केलकर की सिफारिश पर ऐसे लोगों को , आर्थिक मदद , आरक्षण के लिए विशेष दर्जा तो दिया गया , लेकिन उसमे नॉट अंकित किया गया , सिर्फ हिन्दुओं के लिए , ज़ाहिर है , हिन्दू भाई खटीक समाज ,, हिन्दू भाई कोली समाज , धोबी समाज , वगेरा वगेरा ,, जो भी थे , उन्हें आरक्षण मिला , नौकरियों और राजनितिक चुनाव लड़ने के लिए आरक्षण मिला , विशेष सुविधाएं , छात्रवृत्ति वगेरा सभी मिली , लेकिन इसी तरह के कारोबारी देश के दूसरे मुस्लिम लोगों में जुलाहे , अंसारी , कसाई , सहित अन्य कारोबारियों को , इस लाभ से वंचित रखकर उन्हें तरक़्क़ी से रोक दिया गया , खेर ना इंसाफ़ी की बात थी , मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद ने इस नाइंसाफी के समर्थन और खामोश रहने के बदले इनामात हांसिल किये,, खेर यह आरक्षण भी दस साल का था , लेकिन आज तक अलग अलग तरीके से बदल बदल कर लागू है , हालात यह ,है के देश में ज़ीरो से लेकर ,,सो में से सो प्रतिशत नंबर लाने वाले , अलग अलग व्यस्थाओं के तहत , कलेक्टर भी हैं , इंजीनियर भी हैं , डॉक्टर भी हैं , कर्मचारी भी हैं , अब एक नंबर लाकर नौकरी करने वाला , और सो में से सो नंबर लाकर नौकरी लेने वाला एक ही पद पर एक ही तरह का काम कर रहे हैं , तो देश के लिए गलत तो है , एक नंबर वाला नौकरी पर , सो में से अस्सी वाला नौकरी से बाहर गलत तो है , लेकिन देश में सभी को पढ़ने का हक़ है , नौकरियों के लिए कम्पीटिशन देकर , नौकरी करने का हक़ है , ऐसे में देश में अगर हर वर्ग , हर समाज को पढ़ाई के लिए पूरा खर्च , पूरी तरह की सुविधाएँ , नौकरी के कोचिंग के लिए पूरा खर्च पूरी सुविधाएं देकर, कम्पीटिशन में नौकरियों में आरक्षण अगर खत्म किया जाए , सामाजिक व्यवस्था लागू होगी , देश में प्रशासनिक ढांचा भी मज़बूत होगा , क्योंकि एक तीस नंबर वाला कलेक्टर और सो नंबर वाला कलेक्टर फ़र्क़ तो होगा ,, फौज में भी तो आरक्षण की व्यवस्था न्यूनतम है , तो देश के हक़ के लिए ज़रूरतमंदों को पढ़ाओ , पेंशन दो , किताब ,.कोचिंग खर्च दो , छात्रवृत्तियां दो , लेकिन नौकरी जो पात्रता वाले नंबर लाये उसे ही दो ऐसी व्यवस्था तो होना ही चाहिए , फिर सियासत में चुनाव में ,, जो बहतर काम कर रहा है , उसे उस सीट से चुनाव लड़ने दो , ,आरक्षण के नाम पर सीटों का बंटवारा , सियासत का बंटवारा गलत है , जो समाज से जुड़ा होगा , वोह जीत कर आ जाएगा , चुनाव और नौकरी चयन ओपन होना चाहिए , बाक़ी सभी सुविधाएं सम्पूर्ण रूप से खुलकर दरियादिली से ज़रूरतमंदों तक पहुंचना ही चाहिए ,,,
, ,फिर वक़्फ़ क़ानून जो अल्लाह की राह में समर्पित सम्पत्ति से संबंधित था उस क़ानून का सत्यानास हुआ , सर्वेक्षण हुए , लेकिन ठीक तरह से नहीं हो पाए , फिर जब नोटिफिकेशन निकले , तो आधे अधूरे निकले , वक़्फ़ क़ानून को लल्लू , पंजू , लंगड़ा , लूला बनाया गया , एक तरफ तो वक़्फ़ सम्पत्तियों पर सरकार का अतिक्रमण हुआ , दूसरी तरफ वक़्फ़ में बैठे लोगों को लूट की पूरी इजाज़त दी गई , ,फिर हर साल , वक़्फ़ सम्पत्तियों के सर्वेक्षण के नाम पर , करोड़ों करोड़ रुपए सरकारी तोर पर खर्च करवाए गए , नतीजा ज़ीरो रहा ,, क्योंकि इस खर्च , इस भारी घोटाले के बाद भी , वक़्फ़ सम्पत्तियों को वक़्फ़ की होने के बावजूद भी , वक़्फ़ के खाते में दर्ज नहीं की गई , वक़्फ़ के रिकॉर्ड को पुख्ता कर अधिसूचनाएं जारी नहीं की गई , जो वक़्फ़ मंत्री बने , जो वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमेन , जिला कमेटियों के चेयरमेन बने उन्होएँ सिर्फ सियासी मज़े लिए जी हुज़ूरी की , वक़्फ़ सम्पत्तियों के अतिक्रमण को हटाने के लिए , नगर निगम , नगर विकास न्यास , की तरह से , बुलडोज़र चलाकर अतिक्रमण हटाने के अधिकार नहीं दिए गये , किरायेदारी , और अतिक्रमण ,, सीमाज्ञान के नाम पर , अरबों नहीं खरबों नहीं , खरबों खरब रूपये की सम्पत्तियों का सत्यानास हो गया , अब बात करते हुए , वक़्फ़ क़ानून में संशोधन की ज़रूरत की , तो अगर वक़्फ़ के नाम पर सियासत नहीं है , तो वक़्फ़ क़ानून में संशोधन इस तरह से होना ही चाहिए ,,,,
वक़्फ़ सम्पत्ति पर जो कोई भी अतिक्रमी हो , उस अतिक्रमी को , विधिक अधिकार के तहत , जिला प्रशासन ,, पुलिस की मदद से , वक़्फ़ के ज़िम्मेदारों को , उक्त सम्पत्ति पर से अतिक्रमण हटाने , बुलडोज़र चलाने , जुर्माना वसूलने का क़ानूनी अधिकार दिया जाए ,
वक़्फ़ सम्पत्ति का एक नया रजिस्टर बनाकर उसकी पैमाइश , उसकी देखरेख करने वाले का नाम पता ,, उपयोग ,, किरायेदारी ,, जो भी हो उसकी सम्पूर्ण जानकारी हो , ,
वक़्फ़ के रख रखाव के लिए , नगर निगम , नगर विकास न्यास , देवस्थान की तर्ज़ पर , मंत्रालयिक कर्मचारियों की नियुक्ति का प्रावधान हो , ,विभाग के समस्त खर्चे सरकार अपने स्तर पर ही उठाये , ,
वक़्फ़ सम्पत्तियों , से सभी प्रकार की आमदनी का , लेखा जोखा विस्तृत रूप से तय्यार हो वार्षिक ऑडिट ,हो , पाई पाई का हिसाब हो , उक्त समस्त राशि सिर्फ कल्याकारी सामजिक योजनाओं पर खर्च हो , इसमें एक रूपये की भी अगर अनियमितता पाई जाए , तो जांच करवाकर , ऐसे दोषी व्यक्ति को कमसे कम उम्र क़ैद की सज़ा हो , क्योंकि अल्लाह की राह में सम्पर्पित सम्पत्ति की आमदनी में खयानत करने वाले के लिए यह भी न्यूनतम सज़ा है ,,
वक़्फ़ की सम्पत्ति पर जो भी अतिक्रमणकारी है , उस अतिक्रमणकारी की पहचान कर अगर वोह मुस्लिम समाज का है , तो उसे न्यूनतम दस वर्ष की सज़ा हो , और दूसरे समाज का हो तो उसे तीन वर्ष की सज़ा का प्रावधान हो ,,
वक़्फ़ संपत्ति के ज़िम्मेदार , चेयरमेन , सदस्य , जिला कमेटियों के अध्यक्ष ,, मुतव्वली अगर भ्र्ष्ट आचरण रखकर वक़्फ़ सम्पत्तियों को गलत तरीके से किसी दूसरे को किराये पर सस्ते में , क़ब्ज़े में , या विक्रय जैसे हालात बनाकर देने के लिए ज़िम्मेदार पाए जाते हैं , यात्रा और अन्य भत्तों के नाम पर भ्रष्ट आचरण के दोषी होते हैं , तो ऐसे सभी लोगों को अदालत में सुनवाई के बाद दोषी पाए जाने पर , उनके लिए कम से कम मृत्यु दंड का ही प्रावधान हो , क्योंकि ऐसे लोग जो अल्लाह की राह में समर्पित सम्पत्ति में खयानत कर रहे हैं , उनके लिए यही सज़ा है ,,
केंद्र सरकार , राज्य सरकारें , ऐसी सम्पत्तियों के रख रखाव , उनकी आमदनी वृद्धि , व्यवसायीकरण , सोंदर्यकरण , जनउपयोगी सेवाओं के लिए विस्तार को लेकर मदद करें , अधिकारी नियुक्त करे , आमदनी में से ज़रूरी खर्च घटाकर , समस्त राशि , समाज के उत्थान , कल्याण , शिक्षा , कोचिंग , उच्च स्तरीय ,, स्वावलंबन कार्यक्रमों पर ही खर्च हो , यह सुनिश्चित करे ,, ,
और भी बहुत कुछ है बदलाव , लेकिन निकम्मे सांसद , निकम्मे नाकारा विधायकों ,,बार कौंसिलर ,. समाजसेवक ,, मुतव्वली के नाम पर , यह बंदरबांट निर्वाचन व्यवस्था भी बदलना ही चाहिए ,,,, वक़्फ़ सम्पत्तियों के रखरखाव में बेईमानी ,भ्रष्टाचार , मनमानी , फ़िज़ूलखर्ची , खत्म कर दोषी लोगों को सज़ा का प्रावधान बढे रूप में होना ही चाहिए ,, ,
सरकार क़ब्ज़े करे तो सरकार बर्खास्त हो, यही कानून वक़्फ़, देवस्थान, खानकाह, दरगाह, मस्जिद, मदरसों, मंदिर, मठ, गिरजा, गुरुद्वारे, सभी धर्मों के ट्रस्ट पर लागू हों, है हिम्मत तो करो संशोधन, बनाओ कानून, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339
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