कि उसमें मेवे और खजूर के दरख़्त हैं जिसके ख़ोशों में गि़लाफ़ होते हैं (11)
और अनाज जिसके साथ भुस होता है और ख़ुशबूदार फूल (12)
तो (ऐ गिरोह जिन व इन्स) तुम दोनों अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमतों को न मानोगे (13)
उसी ने इन्सान को ठीकरे की तरह खन खनाती हुयी मिटटी से पैदा किया (14)
और उसी ने जिन्नात को आग के शोले से पैदा किया (15)
तो (ऐ गिरोह जिन व इन्स) तुम अपने परवरदिगार की कौन कौन सी नेअमतों से मुकरोगे (16)
वही जाड़े गर्मी के दोनों मशरिको का मालिक है और दोनों मग़रिबों का (भी) मालिक है (17)
तो (ऐ जिनों) और (आदमियों) तुम अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे (18)
उसी ने दरिया बहाए जो बाहम मिल जाते हैं (19)
दो के दरम्यिान एक हद्दे फ़ासिल (आड़) है जिससे तजाउज़ नहीं कर सकते (20)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 अगस्त 2024
कि उसमें मेवे और खजूर के दरख़्त हैं जिसके ख़ोशों में गि़लाफ़ होते हैं
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