आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

29 अगस्त 2024

तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे

 तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से मुकरोगे (51)
इन दोनों बाग़ों में सब मेवे दो दो किस्म के होंगे (52)
तुम दोनों अपने परवरदिगार की किस किस नेअमत से इन्कार करोगे (53)
यह लोग उन फर्शों पर जिनके असतर अतलस के होंगे तकिये लगाकर बैठे होंगे तो दोनों बाग़ों के मेवे (इस क़दर) क़रीब होंगे (कि अगर चाहे तो लगे हुए खालें) (54)
तो तुम दोनों अपने मालिक की किस किस नेअमत को न मानोगे (55)
इसमें (पाक दामन ग़ैर की तरफ आँख उठा कर न देखने वाली औरतें होंगी जिनको उन से पहले न किसी इन्सान ने हाथ लगाया होगा) और जिन ने (56)
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों को झुठलाओगे (57)
(ऐसी हसीन) गोया वह (मुजस्सिम) याक़ूत व मूँगे हैं (58)
तो तुम दोनों अपने परवरदिगार की किन किन नेअमतों से मुकरोगे (59)
भला नेकी का बदला नेकी के सिवा कुछ और भी है (60)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...