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18 अगस्त 2024

क्या तुम्हारे तो बेटे हैं और उसके लिए बेटियाँ

 क्या तुम्हारे तो बेटे हैं और उसके लिए बेटियाँ (21)
ये तो बहुत बेइन्साफ़ी की तक़सीम है (22)
ये तो बस सिर्फ़ नाम ही नाम है जो तुमने और तुम्हारे बाप दादाओं ने गढ़ लिए हैं, ख़ुदा ने तो इसकी कोई सनद नाजि़ल नहीं की ये लोग तो बस अटकल और अपनी नफ़सानी ख़्वाहिश के पीछे चल रहे हैं हालाँकि उनके पास उनके परवरदिगार की तरफ़ से हिदायत भी आ चुकी है (23)
क्या जिस चीज़ की इन्सान तमन्ना करे वह उसे ज़रूर मिलती है (24)
आख़ेरत और दुनिया तो ख़ास ख़ुदा ही के एख़्तेयार में हैं (25)
और आसमानों में बहुत से फ़रिश्ते हैं जिनकी सिफ़ारिश कुछ भी काम न आती, मगर ख़ुदा जिसके लिए चाहे इजाज़त दे दे और पसन्द करे उसके बाद (सिफ़ारिश कर सकते हैं) (26)
जो लोग आख़ेरत पर ईमान नहीं रखते वह फ़रिश्ते के नाम रखते हैं औरतों के से नाम हालाँकि उन्हें इसकी कुछ ख़बर नहीं (27)
वह लोग तो बस गुमान (ख़्याल) के पीछे चल रहे हैं, हालाँकि गुमान यक़ीन के बदले में कुछ भी काम नहीं आया करता, (28)
तो जो हमारी याद से रदगिरदानी करे ओर सिर्फ़ दुनिया की जि़न्दगी ही का तालिब हो तुम भी उससे मुँह फेर लो (29)
उनके इल्म की यही इन्तिहा है तुम्हारा परवरदिगार, जो उसके रास्ते से भटक गया उसको भी ख़ूब जानता है, और जो राहे रास्त पर है उनसे भी ख़ूब वाकि़फ है (30)

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