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11 अगस्त 2024

और पहाड़ उड़ने लागेंगें

 सूरए अत तूर मक्का में नाजि़ल हुआ और इसकी उन्चास (49) आयते हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम वाला है
(कोहे) तूर की क़सम (1)
और उसकी किताब (लौहे महफूज़) की (2)
जो क़ुशादा औराक़ में लिखी हुयी है (3)
और बैतुल मामूर की (जो काबा के सामने फ़रिश्तों का कि़ब्ला है) (4)
और ऊँची छत (आसमान) की (5)
और जोश व ख़रोश वाले समुन्द्र की (6)
कि तुम्हारे परवरदिगार का अज़ाब बेशक वाके़ए होकर रहेगा (7)
(और) इसका कोई रोकने वाला नहीं (8)
जिस दिन आसमान चक्कर खाने लगेगा (9)
और पहाड़ उड़ने लागेंगें(10)

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