सूरए अल अहक़ाफ़ ‘‘कुल अराएैतुम इनकाना, फ़सबिर कमा सब्र व वसीयतल
इन्साना’’ तीन आयतों के सिवा मक्का में नाजि़ल हुआ और इस की पैंतीस (35)
आयतें हैं और चार रूकूउ हैं
ख़ुदा के नाम से (शुरू करता हूँ) जो बड़ा मेहरबान निहायत रहम वाला है
हा मीम (1)
ये किताब ग़ालिब (व) हकीम ख़ुदा की तरफ़ से नाजि़ल हुयी है (2)
हमने तो सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है हिकमत ही
से एक ख़ास वक़्त तक के लिए ही पैदा किया है और कुफ़्फ़ार जिन चीज़ों से
डराए जाते हैं उन से मुँह फेर लेते हैं (3)
(ऐ रसूल) तुम पूछो कि ख़ुदा को छोड़ कर जिनकी तुम इबादत करते हो क्या
तुमने उनको देखा है मुझे भी तो दिखाओ कि उन लोगों ने ज़मीन में क्या चीज़े
पैदा की हैं या आसमानों (के बनाने) में उनकी शिरकत है तो अगर तुम सच्चे हो
तो उससे पहले की कोई किताब (या अगलों के) इल्म का बकि़या हो तो मेरे सामने
पेश करो (4)
और उस शख़्स से बढ़ कर कौन गुमराह हो सकता है जो ख़ुदा के सिवा ऐसे
शख़्स को पुकारे जो उसे क़यामत तक जवाब ही न दे और उनको उनके पुकारने की
ख़बरें तक न हों (5)
और जब लोग (क़यामत) में जमा किये जाएगें तो वह (माबूद) उनके दुशमन हो जाएंगे और उनकी परसतिश से इन्कार करेंगे (6)
और जब हमारी खुली खुली आयतें उनके सामने पढ़ी जाती हैं तो जो लोग काफ़िर
हैं हक़ के बारे में जब उनके पास आ चुका तो कहते हैं ये तो सरीही जादू है
(7)
क्या ये कहते हैं कि इसने इसको ख़ुद गढ़ लिया है तो (ऐ रसूल) तुम कह दो
कि अगर मैं इसको (अपने जी से) गढ़ लेता तो तुम ख़ुदा के सामने मेरे कुछ भी
काम न आओगे जो जो बातें तुम लोग उसके बारे में करते रहते हो वह ख़ूब जानता
है मेरे और तुम्हारे दरमियान वही गवाही को काफ़ी है और वही बड़ा बख्शने
वाला है मेहरबान है (8)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मैं कोई नया रसूल तो आया नहीं हूँ और मैं कुछ
नहीं जानता कि आइन्दा मेरे साथ क्या किया जाएगा और न (ये कि) तुम्हारे साथ
क्या किया जाएगा मैं तो बस उसी का पाबन्द हूँ जो मेरे पास वही आयी है और
मैं तो बस एलानिया डराने वाला हूँ (9)
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि भला देखो तो कि अगर ये (क़़ुरआन) ख़ुदा की तरफ़
से हो और तुम उससे इन्कार कर बैठे हालाँकि (बनी इसराईल में से) एक गवाह
उसके मिसल की गवाही भी दे चुका और ईमान भी ले आया और तुमने सरकशी की (तो
तुम्हारे ज़ालिम होने में क्या शक है) बेशक ख़ुदा ज़ालिम लोगों को मन्जि़ल ए
मक़सूद तक नहीं पहुँचाता (10)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 जुलाई 2024
ये किताब ग़ालिब (व) हकीम ख़ुदा की तरफ़ से नाजि़ल हुयी है
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